राम मंदिर के लिए 65 प्रतिशत पत्थरों की तराशी का कार्य पूरा

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तराशे गए पत्थर राम जन्मभूमि न्यास कार्यशाला और रामसेवकपुरम की कार्यशाला में रखे गए- राम मंदिर निर्माण के लिए अब तक लगभग एक लाख घन फुट पत्थर तराशे गए- लगभग 6 हजार घन फुट पत्थर की है और जरूरत, राजस्थान से लाए जायेंगे- पहली मंजिल की पत्थर तराशी पूरी, अब दूसरी मंजिल के लिए काम तेज



अयोध्या, 17 अक्टूबर (हि.स.)। एक बार फिर अयोध्या मामला देश-विदेश की सुर्खियां बटोर रहा है। सभी को सुप्रीम कोर्ट में 40 दिन लगातार चली सुनवाई के बाद अब निर्णय का बेसब्री से इंतजार है। पूरी अयोध्या को सुरक्षा घेरे में लिया जा चुका है। राम मंदिर के 65 प्रतिशत पत्थरों की तराशी का कार्य पूरा हो चुका है। राम मंदिर निर्माण के लिए पहली मंजिल के पत्थर पहले ही तराशे जा चुके हैं। अब दूसरी मंजिल के लिए पत्थर तराशी का काम तेज कर दिया गया है जिसके लिए लगभग 6 हजार घन फुट पत्थर की और जरूरत है।
विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कुशल कारीगरों ने राम मंदिर के लिए पत्थरों की तराशी कुछ इस तरह की है कि जब राम मंदिर का निर्माण शुरू होगा तो तराशे गए पत्थरों को सिर्फ उठाकर ले जाने में ही मशक्कत करनी होगी। इसके बाद बिना सीमेंट के खांचों के माध्यम से एक दूसरे को आपस में जोड़ने का ही कार्य किया जायेगा। राम मंदिर निर्माण के लिए अब तक लगभग एक लाख घन फुट पत्थर तराशे जा चुके हैं। सभी को सुप्रीम कोर्ट में 40 दिन लगातार चली सुनवाई के बाद अब निर्णय का बेसब्री से इंतजार है। विश्व हिन्दू परिषद ने भी अपनी गतिविधियों में तेजी लाने के संकेत दिए हैं। फिलहाल परिषद ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को अपने पक्ष में मानते हुए राममन्दिर आन्दोलन की गति धीमी कर रखी है।
विहिप के अनुसार न्यास द्वारा प्रस्तावित मंदिर 270 फीट लंबा, 135 फीट चौड़ा तथा 125 फीट ऊंचा होगा। दो मंजिला मंदिर के प्रत्येक तल पर 106 स्तंभ लगने हैं। भूतल के स्तंभ 16.5 फीट ऊंचे हैं। इन स्तंभों के ऊपर तीन फीट मोटे पत्थर की बीम और एक फीट मोटे पत्थर की छत होगी। ऊपर की मंजिल के स्तंभ 14.5 फीट ऊंचे होंगे। इसके बाद बीम, छत एवं शिखर संयोजित होगा। मंदिर की दीवारें छह फीट मोटे पत्थर की होंगी तथा चौखट सफेद संगमरमर का होगा। रामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला में पत्थरतराशी का काम 65 फीसदी से अधिक पूर्ण हो चुका है। अब जो पत्थर तराशी का काम चल रहा है, वह राम मंदिर निर्माण की दूसरी मंजिल के लिए हैं। यह सारे पत्थर इस तरह तराशे और डिजाइन किए गए हैं जैसे पुरातन शैली में बिना सीमेंट के खांचे के माध्यम से जोड़े जाते थे।
तराशे गए पत्थर राम जन्मभूमि न्यास कार्यशाला और रामसेवकपुरम की कार्यशाला में रखे गए हैं। अयोध्या में विवादित ढांचे को ढहाये जाने से दो साल पहले 30 अगस्त 1990 को अयोध्या के रामघाट क्षेत्र में कारसेवकपुरम् न्याय कार्यशाला की स्थापना की गई थी। तब से लेकर आज तक पत्थर तराशी का काम जारी है। 2007 से 2010 तक पत्थरों की कमी के कारण काम बंद रहा। 2011 से काम फिर शुरू हुआ। इसमें पांच कारीगर और पांच मजदूरों को लगाया गया। अभी मात्र दो कारीगर और पांच मजदूर काम पर लगे हैं। रामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला के मुख्य कारीगर रजनीकांत सोमपुरा के निर्देशन में पत्थर तराशी काम चल रहा है।
विहिप के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ को बताया कि राममंदिर निर्माण के लिए अब जितने पत्थरों की जरूरत है, उन्हें राजस्थान से लाया जायेगा। बचे हुए पत्थरों को अयोध्या लाने के लिए राम जन्मभूमि न्यास के पदाधिकारियों ने निर्देश दे दिए हैं। बरसात के कारण पत्थर नहीं आ पा रहे थे। राम मंदिर निर्माण के लिए नियमित प्रक्रिया चलती रहेगी। उन्होंने कहा कि न्यास कार्यशाला मंदिर निर्माण के संकल्प का प्रत्यक्ष और महान परिचायक है और राममन्दिर के निर्माण में अब देरी नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट का फैसला रामलला के पक्ष में आने वाला है। विहिप के अवध प्रांत के संगठन मंत्री भोलेन्द्र का कहना है कि अयोध्या आने वाले सभी मार्गों पर बजरंग दल की टोली लगा दी गई है।

 


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