अयोध्या भूमि विवाद:मध्यस्थता कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में सौंपी रिपोर्ट, सुनवाई शुक्रवार को

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सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि हम अभी मध्यस्थता की रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर नहीं ले रहे हैं, क्योंकि ये गोपनीय है।



नई दिल्ली, 01 अगस्त (हि.स.)। अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त मध्यस्थता कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस मामले पर दो अगस्त को सुनवाई होगी। पिछले 18 जुलाई को कोर्ट ने मध्यस्थता कमेटी से यह रिपोर्ट मांगी थी। कोर्ट ने कहा था कि अगर जरूरत हुई तो दो अगस्त को रोजाना सुनवाई करने पर विचार कर सकते हैं।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि हम अभी मध्यस्थता की रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर नहीं ले रहे हैं, क्योंकि ये गोपनीय है। चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर रिपोर्ट में कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला तो हम इस मामले में दो अगस्त को रोजाना सुनवाई के मुद्दे पर विचार करेंगे। उसी दिन सुनवाई को लेकर आगे के मुद्दों को तय किया जाएगा। चीफ जस्टिस के समक्ष एक वकील ने कहा कि मामले से जुड़े दस्तावेजों के अनुवाद को लेकर कुछ कमियां सामने आई हैं। इस पर गोगोई ने कहा कि दो अगस्त को सुनवाई के दौरान ही हम चिह्नित कर सही कर लेंगे।
11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले की मध्यस्थता कर रही कमेटी से स्टेटस रिपोर्ट तलब की थी। सुनवाई के दौरान हिन्दू पक्षकार गोपाल सिंह विशारद की ओर से वरिष्ठ वकील के परासरन ने कोर्ट से जल्द सुनवाई की तारीख तय करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि अगर कोई समझौता हो भी जाता है, तो उसे कोर्ट की मंजूरी ज़रूरी है। इस दलील का मुस्लिम पक्षकारों की ओर से राजीव धवन ने विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि ये मध्यस्थता प्रकिया की आलोचना करने का वक़्त नहीं है। राजीव धवन ने मध्यस्थता प्रकिया ओर सवाल उठाने वाली याचिका को खारिज करने की मांग की थी लेकिन निर्मोही अखाड़ा ने गोपाल सिंह विशारद की याचिका का समर्थन किया था। निर्मोही अखाड़े ने कहा था कि मध्यस्थता प्रकिया सही दिशा में आगे नहीं बढ़ रही है।
इससे पहले अखाड़ा मध्यस्थता प्रकिया के पक्ष में था। 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर मध्यस्थता के लिए मध्यस्थों को 15 अगस्त तक मध्यस्थता पूरी करने का निर्देश दिया था। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सकारात्मक मध्यस्थता होने की बात कही थी। आठ मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जज एफ एम कलीफुल्ला, धर्म गुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचु को मध्यस्थ नियुक्त किया था। कोर्ट ने सभी पक्षों से बात कर मसले का सर्वमान्य हल निकालने की कोशिश करने को कहा था।

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