लखनऊ, 11 नवम्बर (हि.स.)। प्रदेश ने एक ऐसा समय भी देखा जब छोटी-छोटी बातों पर आपसी विवाद और आग की लपटें उठती थीं और सेना बुलानी पड़ती थी। सपा के कार्यकाल को यादकर आज भी लोग सिहर उठते हैं।
दंगों से जुड़ी घटनाओं पर सिर्फ एक साल के आंकड़ों पर नजर रखें तो 2012 में 134 सांप्रदायिक दंगे हुए थे। आज ‘धारा-370 और राम मंदिर’ जैसे गंभीर मुद्दे को क्रमश: सरकार और सुप्रीम कोर्ट ने देशहित और न्याय की परिधि में रहकर जैसे सुलझाया, उसकी जितनी प्रशंसा की जाय कम है। इस फैसले के बाद लोगों ने जिस तरह से सौहार्द्र का परिचय दिया, उसकी भी बखान होनी चाहिए।
वरिष्ठ स्तम्भकार दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि यदि राजनीतिक इच्छा शक्ति मजबूत हो तो सबकुछ संभव है। आमजन हमेशा सौहार्द्र चाहता है। अमन-चैन से वह दो रोटी की जुगाड़ में लगा रहता है। उसको अशांत करने के लिए कुछ अराजक तत्व ही उकसाने के लिए जिम्मेदार होते हैं और उसके पीछे किसी बड़े लोगों का ही हाथ होता है।
समाजसेवी और भाजपा के राज्य सुशासन प्रमुख चंद्र भूषण पांडेय कहते हैं कि दंगों के पीछे हमेशा तथाकथित तुष्टिकरण के नाम पर अन्याय ही कारण होता है। जहां तक हमारा आकलन है, यदि तुष्टिकरण के लिय किसी के साथ अन्याय करने की नीति छोड़ दी जाय तो दंगों जैसी घटनाओं की पुनरावृति नहीं होगी। अपने देश को अमन-चैन पसंद है। यदि शासन करने वाला व्यक्ति वोट बैंक पर ध्यान न देकर सिर्फ सबके विकास, सबके साथ पर ध्यान देते हुए शासन करे तो देश में हमेशा अमन-शांति बनी रहेगी। इस बात को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने और प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने सिद्ध कर दिया।
भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने बताया कि भाजपा सुशासन पर ध्यान देती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और योगी आदित्यनाथ हमेशा सबका साथ, सबका विकास के साथ आगे बढ़ रहे हैं। इस कारण आमजन अमन-चैन से देशहित की बातों पर ध्यान दे रहे हैं।
कुछ हैं अराजक जो फैलाते हैं दंगा
वहीं प्रयागराज के ईश्वर शरण डिग्री कालेज के प्राचार्य डाक्टर आनंद शंकर सिंह का कहना है कि दंगों के पीछे किसी न किसी मजबूत शक्ति का हाथ होता है। कश्मीर से 370 हटाने से पूर्व अलगाववादियों की गिरफ्तार हो जाने के बाद बिल्कुल अमन-चैन कायम रहना यही बताता है। वहीं राम मंदिर मुद्दे पर निर्णय के बाद भी सोशल मीडिया पर हर पल पुलिस की नजर ने अराजकतत्वों को घर में कैद रहने के लिए मजबूर कर दिया। इस कारण अमन पंसद जनता आज राहत की सांस ले रही है।
कानून व्यवस्था संभालने के लिए खुद डटे थे मुख्यमंत्री
गौरतलब है कि अयोध्या में रामलला पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की संभावित तिथि को लेकर योगी सरकार ने आपसी सौहार्द के लिए सघन तैयारी शुरू कर दी थी। स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कानून-व्यवस्था को लेकर अहम मोर्चे पर डटे रहे। फैसले से करीब आधा घंटा पहले ही मुख्यमंत्री योगी यूपी 112 के कंट्रोल रुम पहुंचे। उनके पहुंचने पर डीजीपी ओपी सिंह तथा एडीजी भी हैरान रह गए। वहां सीएम योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार देर शाम से शनिवार देर शाम तक खुद मोर्चा संभाल रखा था। उनकी डीजीपी समेत प्रशासनिक अधिकारियों से निरन्तर बात होती रही।
रात भर चलता रहा समीक्षा का दौर
शुक्रवार रात करीब आठ बजे सीएम योगी आदित्यनाथ ने मुख्य न्यायाधीश को तैयारियों की जानकारी देने गए डीजीपी से पूछा कि आप कितनी देर में लखनऊ पहुंच रहे हैं। एक बार फिर से तैयारियों की समीक्षा करनी है। इसके बाद फैसला आने की पुख्ता जानकारी मिलते ही देर रात तक समीक्षा का दौर चला। योगी आदित्यनाथ रोजाना चार बजे भोर में उठ जाते हैं, लेकिन शनिवार को वह निर्धारित समय से पहले उठे और फिर पूजा संपन्न कर कानून व्यवस्था की समीक्षा में लग गए। शनिवार सुबह एक बार फिर से योगी आदित्यनाथ ने डीजीपी ओपी सिंह से फोन पर बात की और पूरे राज्य की हालात का जायजा लिया। आज हर व्यक्ति कह रहा है कि योगी आदित्यनाथ ने जो मोर्चा संभाला, वह काबिले तारीफ है।