स्तनपान से 15 गुणा तक कम हो जाती है डायरिया और निमोनिया से मौत की संभावना
बेगूसराय, 28 अगस्त (हि.स.)। कोरोना महामारी के दौर में भी सुरक्षा के साथ स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए जिले में स्वास्थ्य विभाग एवं आईसीडीएस के संयुक्त सहयोग से व्यापक पैमाने पर जागरूकता बढ़ाई जा रही है। इस दौरान महिलाओं को स्तनपान से होने वाले लाभ और महत्ता की विस्तार से जानकारी भी दी जा रही है। यह अभियान बच्चों के सर्वांगीण विकास एवं नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है। इसके लिए एएनएम, आशा एवं आंगनबाड़ी सेविका समेत अन्य कर्मी घर तक जाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं जिससे शत-प्रतिशत लोगों को इसकी जानकारी मिल सके एवं लोग शामिल होकर लाभ ले सकें।
बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी है स्तनपान-
आईसीडीएस डीपीओ रचना सिन्हा ने बताया कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए स्तनपान बेहद जरूरी है क्योंकि मां के दूध से बच्चों को उसके शरीर के अनुकूल पर्याप्त ऊर्जा मिलती है और जन्म के बाद छह माह तक नवजात शिशु को स्तनपान कराने से शिशु का स्वस्थ शरीर का निर्माण होता है। बच्चों को छह माह तक स्तनपान के अलावा बाहर से पानी भी नहीं देना चाहिए। इससे शिशुओं में डायरिया व निमोनिया से होने वाली मृत्यु की आशंका 11 से 15 गुणा तक कम हो जाती है। साथ ही स्तनपान कराने वाली माताओं में स्तन एवं ओवरी कैंसर होने का खतरा कम रहता है जिससे स्वस्थ माँ मजबूत बच्चा का निर्माण होता है।
संक्रमित माताएं भी करा सकती हैंं स्तनपान-
अगर कोई महिलाएं कोरोना से संक्रमित हो चुकी हैं और वह इलाजरत हैं तो ऐसी महिलाएं भी अपने शिशु को स्तनपान करा सकती हैं। लेकिन इस दौरान उन्हें अपने हाथों की अच्छी तरह सफाई करनी होगी और स्तनपान के दौरान मास्क का भी अनिवार्य रूप से उपयोग करना होगा। इससे मां का संक्रमण बच्चे के शरीर तक नहीं पहुंच पाएगा। इसके अलावे इस बात का भी ध्यान रखना है कि मां अपने बच्चों को स्तनपान कराने में सक्षम है या नहीं क्योंकि बीमारी के कारण कमजोर होने पर स्तनपान कराने में मां खुद को सक्षम महसूस नहीं कर पाती है।
टीकाकरण के दौरान भी किया जाता है जागरूक-
आंगनबाड़ी केंद्र पर होने वाले बच्चों एवं महिलाओं का नियमित टीकाकरण के दौरान भी स्तनपान को लेकर जागरूक किया जाता है। विस्तार पूर्वक इसकी जानकारी भी दी जाती है। इसके अलावा गृह भेंट कार्यक्रम के दौरान भी सेविका द्वारा महिलाओं को स्तनपान के लिए जागरूक किया जाता है।
बनाए जा रहे हैं स्तनपान कॉर्नर-
स्वास्थ्य केन्द्र अथवा आरोग्य दिवस पर महिला अपने प्रसव या नवजात शिशु की जांच के लिए आती हैं तो उन्हें तथा उनके परिवार वालों को केंद्र की आशा, एएनएम द्वारा स्तनपान के महत्व की जानकारी दी जाती है। उन्हें छह माह तक केवल स्तनपान कराने की जानकारी दी जाती है। इसके साथ ही विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर स्तनपान कार्नर भी लगवाये जा रहे हैं जहां महिलाएं सुरक्षित रूप से अपने शिशु को स्तनपान करा सकती हैं।