नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (हि.स)। दिल्ली में कोरोना की रफ्तार बेकाबू हो गई है। हर दिन नए मामलों की संख्या रिकॉर्ड बना रही है तो वहीं मौत का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है। आलम यह हो गया है कि मौत के बाद दफन करने के लिए दो गज जमीन के लिए भी जद्दोजहद की नौबत आ गई है। आईटीओ स्थित दिल्ली के सबसे बड़े कब्रिस्तान में अधिक से अधिक 70 लोगों के शव दफन करने लायक ही जगह बची है।
कोरोना के कारण मौत का सिलसिला ऐसे ही चलता रहा तो दिक्कत आने वाली है। सबसे बड़े कब्रिस्तान जदीद कब्रिस्तान एहले इस्लाम के सुपरवाइज़र मोहम्मद शमीम ने इस बात की पुष्टि की है जबकि जमीयत उलेमा-ए-हिंद यूथ क्लब के जिम्मेदार कारी आरिफ कासमी ने बताया है कि कब्रिस्तान में काफी जगह ख़ाली है और घबराने की कोई जरूरत नहीं है। यूथ क्लब उन शवों को अस्पताल से लाकर कब्रिस्तान में दफन कर रहा है जिनका शव उनके परिवार वाले लेने से मना कर देते हैं या परिवार के लोग दिल्ली में नहीं रहते है। क्लब ने अब तक सैकड़ों ऐसे शवों को अपने खर्च पर दफ़न करने का काम किया है।
दिल्ली गेट कब्रिस्तान में करीब 10 बीघे के एरिया में कोरोना से मरने वालों को दफन करने के लिए जगह का इंतजाम किया गया है। वैसे तो ये कब्रिस्तान 45 एकड़ में फैला है लेकिन अधिकतर हिस्सा पथरीला होने की वजह से कब्र बनाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। लिहाज़ा कोरोना के कारण मौतों का सिलसिला अगर ऐसे ही बढ़ता रहा तो मैय्यत के लिए कब्र उपलब्ध करा पाना नामुमकिन हो जाएगा। 20 दिन पहले एक-एक हफ्ते तक कोविड का कोई शव नहीं आया लेकिन पिछले कुछ दिनों से हर रोज तीन से पांच शव आ रहे हैं।
कब्र की खुदाई के लिए सरकार से जेसीबी उपलब्ध कराने की मांग की गई है। इंतजामिया कमेटी का सख्त आदेश है कि कोई कब्र को पक्का न कराए लेकिन कमेटी के आदेश को नज़रअंदाज़ कर वहां कई पक्की कब्रें बनाई जा रही हैं। इस कब्रिस्तान में अब तक 768 कोरोना संक्रमितों को दफनाए जाने की जानकारी दी गई है। दिल्ली में मंगोलपुरी स्थित दो एकड़ में फैले मुस्लिम कब्रिस्तान, शास्त्री पार्क स्थित एक एकड़ में फैले बुलंद मस्जिद मुस्लिम कब्रिस्तान, कोंडली के पास ढाई एकड़ में फैले मुल्ला कॉलोनी मुस्लिम कब्रिस्तान में भी शव दफनाए जाते हैं मगर यहां का आंकड़ा मौजूद नहीं है। दिल्ली गेट सबसे बड़ा कब्रिस्तान होने की वजह से अस्पताल से ज्यादा शव यहीं दफनाने के लिए लाए जाते हैं।