दिखी ‘आधुनिक युद्ध’ की तस्वीर एयरो इंडिया-21 में

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भारत ने दुनिया के सामने ‘आत्म निर्भर’ होने में कामयाबी की दास्तान लिखी स्वदेशी क्षमताओं के निर्माण की अगली​​ पीढ़ी तेजी से तैयार कर रहा है भारत आने वाले वर्षों में युद्ध के तौर-तरीके पूरी तरह बदल देने की झलक भी दिखी



बेंगलुरु, 05 फरवरी (हि.स.)। एशिया का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय हथियार मेला ‘एयरो इंडिया-21’ शुक्रवार को 21वीं सदी के ‘तकनीक युद्ध’ की तस्वीर दिखाकर खत्म हो गया। इस बार की रक्षा प्रदर्शनी में भारत ने दुनिया के सामने ‘आत्म निर्भर’ होने में कामयाबी की दास्तान लिखी। भारत ने दिखाया कि वह आने वाले समय के लिए स्वदेशी क्षमताओं के निर्माण की अगली पीढ़ी की तैयारी कर रहा है। एयरो इंडिया के 13वें संस्करण में यह भी दिखा कि भारतीय कंपनियां और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयां ऐसे प्लेटफार्मों पर काम कर रही हैं, जो आने वाले वर्षों में युद्ध के तौर-तरीके पूरी तरह बदल देंगेे।
भारत ने विभिन्न प्रकार के मिसाइल सिस्टम, लाइट कॉम्बैट एयरक्रॉफ्ट, हेलिकॉप्टर, मल्टी-पर्पस लाइट ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, वॉरशिप और पैट्रोल वेसल, आर्टिलरी गन सिस्टम, टैंक, रडार, मिलिट्री व्हीकल, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस, एस्ट्रा मिसाइल, अर्जुन टैंक, तोपखाने समेेेत 156 स्वदेश निर्मित रक्षा हथियारों के निर्यात को मंजूरी देकर पूरी दुनिया को रक्षा उद्योग के क्षेत्र में खुुुद अपने पैरों पर खड़ा होने का सबूूूत भी दिया। हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने एयरो इंडिया शो के दौरान इस तरह के प्लेटफार्मों को लाने की अपनी योजना का खाका तैयार किया। अमेरिकी परियोजना स्काईबॉर्ग की तर्ज पर एचएएल ने मानव रहित विमानों की तकनीक का प्रदर्शन करके भारत को एयरोस्पेस की नई दुुनिया में ले जाने की राह दिखाई।
एयरो इंडिया शो के दौरान भारत ने एलसीए मार्क-2 वर्जन पेश करके सैन्य विमान की दुनिया में नई हलचल पैैदा कर दी है। फाइटर जेट्स के डिजाइन तैयार करने वाली भारतीय सरकारी कंपनी एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) का दावा है कि 2023 तक मार्क-2 पहली उड़ान भरेगा और 2025 तक इसका बड़े स्तर पर उत्पादन भी शुरू हो जाएगा। यानी कि मार्क-1ए और मार्क-2 लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट 2030 तक साथ-साथ वायुसेना को मिलने के बाद भारत की वायु शक्ति में ‘डबल धमाल’ मचाएंगे। भारत ने पांचवीं जनरेशन के लड़ाकू विमान बनाने की क्षमता दिखाकर अपने स्वदेशी स्टेल्थ फाइटर जेट की डिजाइन और मॉडल दुनिया के सामने पेश किया। भारत ने इसे एडवांस मीडियम कॉम्बेट एयरक्राफ्ट (एमका) नाम दिया है। इसके बाद भारत अब अमेरिका, रूस और चीन सहित उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा, जिनके पास पहले से यह क्षमता है।
भारत ने एयरो इंडिया में स्वदेशी कॉम्बैट ट्रेनिंग सिस्टम भी दिखाया, जिसमें आने वाले दिनों में लड़ाकू विमान और ड्रोन मिलकर ‘मॉर्डन वारफेयर’ में दुश्मन पर हमला कर सकेंगे। राफेल, तेजस, सुखोई, जगुआर जैसे लड़ाकू विमानों में तीन तरह की ड्रोन प्रणाली लगाई जा सकेगी और पायलट दुश्मन के इलाके में घुसे बिना मानव रहित ड्रोन्स से हमला करके खुद को और अपने जेट्स को सुरक्षित रख सकेंगे। एयरो इंडिया के आखिरी दिन एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर उस समय लगा जब लद्दाख की वादियों में उड़ान भरकर भारतीय वायुसेना और सेना के परीक्षण में खरे उतरे एचएएल के लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (एलयूएच) के सेना संस्करण को प्रारंभिक ऑपरेशन क्लीयरेंस (आईओसी) प्रमाण पत्र सौंपा गया। एचएएल ने इस विमान का आईओसी संस्करण सेना को सौंप दिया है। एचएएल ने अगले साल अगस्त, 2022 से विमानों का उत्पादन शुरू करने का फैसला लिया है।

 


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