कानपुर, 27 नवम्बर (हि.स.)। पूर्व प्रधानमंत्री व भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी का कानपुर से गहरा लगाव था। यहां पर शिक्षा ग्रहण के दौरान अक्सर गंगा के घाटों पर बैठते थे और उनकी ख्वाहिश थी कि काश यहां पर भी हरिद्वार व काशी की भांति गंगा महाआरती हो ताकि छोटी काशी यानी कानपुर की भी गिनती आध्यात्मिक शहरों में हो सके। उनका यह सपना प्रशासन ने शुक्रवार को पूरा कर दिया। आज ट्रायल के रूप में गंगा बैराज के अटल घाट पर महाआरती हुई और आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा महाआरती किये जाने के बाद यह नियमित हो जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले वर्ष 14 दिसम्बर को कानपुर आये थे और पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों व प्रतिनिधियों संग राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक की थी जिसमें गंगा की अविरलता और निर्मलता को लेकर आगामी योजनाएं तैयार की गयी थी। इसके बाद प्रधानमंत्री ने अटल घाट पर गंगा में नौकायन भी किया था और इसी दौरान उन्हें बताया गया था कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की याद में ‘अटल घाट’ बनाया गया है। उन्हें यह भी बताया गया था कि अटल जी का सपना हरिद्वार और काशी की भांति यहां पर भी रोजाना गंगा महाआरती होने का था जिससे कानपुर की पहचान आध्यात्मिक शहरों में हो सके और यहां का पर्यटन क्षेत्र भी बढ़ सके।
इस पर प्रधानमंत्री ने प्रशासनिक अधिकारियों से उनके सपने को पूरा करने के लिए भावनात्मक बातें कहीं थी। इसके बाद मंडलायुक्त डॉ. राजशेखर ने इसका पूरा खाका तैयार किया और आखिरकार शुक्रवार को गंगा महाआरती का ट्रायल हो गया। इस मौके पर अटल घाट को हरिद्वार और काशी के घाटों की भांति सजाया गया था। उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री सतीश महाना, महापौर प्रमिला पाण्डेय, मंडलायुक्त डॉ. राजशेखर और नगर आयुक्त अक्षय त्रिपाठी की देखरेख में आचार्य पं. शिवाकांत जी महाराज ने गंगा मंत्रोचार के साथ गंगा महाआरती की। यह नजारा काशी के विश्वनाथ घाट से कम नहीं दिख रहा था। गंगा की लहरों में आरती ऐसे शोभायमान थी जैसे मानों देवता खुद आरती कर रहे हों। इसके साथ ही 11 हजार दीपक गंगा घाट पर जलाये गये। इस दौरान राज्य मंत्री अजीत पाल सिंह, डीआईजी डॉ. प्रीतिंदर सिंह, गंगा समग्र के राघवेन्द्र, किरण निषाद, विक्की छावड़ा, प्रमोद विश्वकर्मा, विकास दुबे, रोहित अवस्थी आदि मौजूद रहे।
हरिद्वार से आया गंगा जल
कानपुर में गंगा महाआरती की शुरुआत करने के लिए उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के कहने पर हरिद्वार से आयुष पंडित गंगा जल लेकर आये थे। गंगा मैइया की आरती करना और उसको देखना सभी को भाता है। इसमें शामिल होने के लिए सभी का प्रयास रहता है। हरिद्वार और काशी में अभी तक होने वाली गंगा आरती नगर वासियों के लिए सपने से कम नहीं थी। अब कानपुर में गंगा महाआरती होने से लोगों में गंगा के प्रति आस्था बढ़ेगी। मंडलायुक्त ने कहा कि घाट पर पर्यटकों को लुभाने व लोगों को गंगा की महिमा से अवगत कराने के उद्देश्य से यहां निरन्तर आगामी दिनों में गंगा आरती का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
कानपुर की जीवन रेखा है गंगा नदी
गंगा नदी कानपुर की जीवन रेखा है और इतिहास, संस्कृति, परंपरा और उद्योग गंगा जी पर बहुत हद तक निर्भर करते हैं। लोगों में स्वच्छ और प्रचुर मात्रा में गंगा के बारे में जागरूक लाने के उद्देश से प्रशासन अटल घाट पर गंगा आरती की शुरुआत कर दी है। गंगा बैराज को पर्यटन के रूप में विकास किया जाना है। इसके साथ ही इसके आसपास सुनियोजित विकास की योजना तैयार की जा रही है। सुनियोजित विकास के लिए ही गंगा बैराज विकास समिति का गठन किया गया है। इसके लिए नगर निगम, सिंचाई विभाग, पीडब्ल्यूडी आदि विभागों के अफसरों को लगाया गया है। अब यहां अनियोजित प्लॉटिंग नहीं हो पाएगी और ना ही बिना नक्शे के मकान बन पाएंगे। इसके साथ ही बैराज की सड़क भी चौड़ी की जाएगी।
शहीदों के बारे में मिलेगी जानकारी
अटल घाट के पीछे ही 40 एकड़ में गंगा थीम पार्क की स्थापना की जानी है। इसके लिए कंसल्टेंट नामित करने की प्रक्रिया चल रही है। इसमें कानपुर के ऐतिहासिक धार्मिक और गंगा के इतिहास को बताया जाएगा। लाइट एंड साउंड की सुविधा भी होगी। 1857 की क्रांति में कानपुर के योगदान को भी दर्शाया जाएगा। उन शहीदों का नाम भी लोग जान सकेंगे, जिन्होंने देश को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।