वाजपेयी जी का चुटीला अंदाज और हाजिरजवाबी

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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती (25 दिसम्बर) पर विशेष
श्वेता गोयल
देश के पूर्व प्रधानमंत्री तथा भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य रहे अटल बिहारी वाजपेयी जी इतने हाजिरजवाब राजनेता थे कि पलभर में सामने वाले बोलती बंद कर किया करते थे। उनकी इसी हाजिरजवाबी, मजाकिया स्वभाव और ईमानदार शख्सियत के कारण विरोधी दलों के नेता भी उन्हें भरपूर मान-सम्मान दिया करते थे। भारत ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी वाजपेयी जी अपने चुटीले अंदाज और हाजिरजवाबी से दूसरे पक्ष को चुप करा दिया करते थे। देश-विदेश में उनकी हाजिरजवाबी के ऐसे ही अनेक किस्से प्रचलित हैं। ऐसे ही किस्सों में से कुछ अपने पाठकों के लिए यहां प्रस्तुत कर रहे हैं।
ताली और चुटकी
एकबार पाकिस्तान के आतंकी कैंपों के बारे में पत्रकारों ने वाजपेयी जी से सवाल किया कि पड़ोसी कहते हैं, ताली एक हाथ से नहीं बजती। वाजपेयी जी ने यह सुनते ही तपाक से जवाब दिया कि ताली नहीं पर चुटकी तो बज ही सकती है। इसी प्रकार एकबार पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने बयान दिया कि कश्मीर के बिना पाकिस्तान अधूरा है। इसपर वाजपेयी जी ने अपने चुटीले अंदाज में टिप्पणी करते हुए कहा, ‘किन्तु पाकिस्तान के बिना हिन्दुस्तान अधूरा है।’
शादी का प्रस्ताव
ऐसा ही एक और किस्सा स्मरण आता है, जब एक महिला पाकिस्तानी पत्रकार ने अटल जी के समक्ष अपनी शादी का अनूठा प्रस्ताव रखा। उसने अटल जी से कहा कि अगर आप मुंह दिखाई में कश्मीर दे दें तो मैं आपसे शादी करने को तैयार हूं। अटल जी ने उस महिला पत्रकार को ऐसा करारा जवाब दिया कि उनके उस जवाब की गूंज लंबे समय तक पूरे पाकिस्तान में गूंजती रही। उन्होंने कहा कि ठीक है, मैं आपसे शादी तो कर लूंगा लेकिन दहेज में मुझे पूरा पाकिस्तान चाहिए।
बेनजीर को संदेश
भाजपा 1996 के लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनी। तब वाजपेयी जी का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया गया। रात के समय आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में एक पत्रकार ने वाजपेयी से पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो को लेकर एक प्रश्न पूछा कि आप आज रात बेनजीर भुट्टो को क्या संदेश देना चाहेंगे? हाजिरजवाबी का परिचय देते हुए उन्होंने उत्तर दिया कि यदि मैं कल सुबह बेनजीर को कोई संदेश दूं तो क्या उससे कोई नुकसान है?
इंदिरा भी हुईं निरुत्तर
अपनी ऐसी ही हाजिरजवाबी का परिचय देते हुए वाजपेयी जी ने एकबार तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी निरुत्तर कर दिया था। दरअसल इंदिरा गांधी ने जनसंघ पर कुछ तीखी टिप्पणियां की थी। इंदिरा ने संसद में दिए अपने भाषण में भारतीयता के मुद्दे पर जनसंघ को घेरते हुए कहा था कि वो जनसंघ जैसी पार्टी से पांच मिनट में ही निपट सकती हैं। वाजपेयी जी को इंदिरा का वह वक्तव्य बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने तीखे शब्दों में उसका जवाब देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री महोदया कहती हैं कि वह जनसंघ से पांच मिनट में ही निपट सकती हैं लेकिन पांच मिनट में तो आप अपने बाल भी ठीक नहीं कर सकती हैं, फिर भला हमसे कैसे निपटेंगी?
ममता की मान-मनौव्वल
ममता बनर्जी जब वाजपेयी जी के कार्यकाल में रेलमंत्री थी, तब भी वह बात-बेबात नाराज हो जाती थीं। वाजपेयी जी की ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर देती थीं। ऐसे ही एक बार पेट्रोल-डीजल के बढ़े दामों को लेकर ममता दीदी की नाराजगी को लेकर केन्द्र में उन्हीं की सरकार पर सवालिया निशान लगने लगे। हालांकि वाजपेयी जी ने उन्हें मनाने का बहुत प्रयास किया लेकिन ममता अपनी जिद से टस से मस नहीं हुई। जब वह किसी भी तरह मानने का तैयार नहीं हुई तो देश के प्रधानमंत्री होते हुए भी वाजपेयी जी स्वयं कोलकाता में ममता के घर जा पहुंचे। ममता उस वक्त कोलकाता में नहीं थी, इसलिए उन्होंने ममता की मां को कहा कि आपकी बेटी बहुत शरारती है और बहुत तंग करती है। जब ममता वापस कोलकाता लौटी और उनकी मां ने वाजपेयी जी का संदेश उन्हें दिया तो वाजपेयी जी की महान शख्सियत के समक्ष सातवें आसमान पर बैठा ममता का गुस्सा पलभर में ही गायब हो गया।
भारतीय राजनीति के भीष्म पितामह अटल बिहारी वाजपेयी 93 वर्ष के अपने जीवनकाल में कुल तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने। देश को परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र बनाने का कारनामा भी वाजपेयी जी के कार्यकाल में हुआ था। उनके प्रधानमंत्री रहते हुए ही राजस्थान के पोरखण में 1 मई 1998 को परमाणु बम परीक्षण किया गया था और भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न देश बनने का गौरव हसिल हुआ था। 16 अगस्त 2018 को यह महान हस्ती इस दुनिया को सदा के लिए अलविदा कह गई। आज भले ही यह महान शख्सियत हमारे बीच नहीं है लेकिन प्रत्येक देशवासी के हृदय में वे हमेशा अजर-अमर रहेंगे।
(लेखिका शिक्षिका हैं)

 


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