हमीरपुर, 16 अगस्त (हि.स.)। बुन्देलखंड के हमीरपुर जनपद में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने पचास साल पूर्व अपने ही पार्टी के सांसद के यहां कार्यक्रम में शिरकत करते हुये राजनीति पर बड़ी टिप्पणी की थी। उनकी राजनैतिक टिप्पणी के मायने उस जमाने में कोई समझ नहीं पाया था लेकिन बाद में उन्हीं के पार्टी के सांसद स्वामी ब्रह्मानंद महाराज जनसंघ छोड़कर कांग्रेस में चले गये थे।
रविवार को अटल जी के पुराने संस्मरण याद आते ही यहां समाजसेवियों और बुजुर्ग लोगों की आंखें भर आयीं। भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता बाबूराम प्रकाश त्रिपाठी, पंडित दिनेश दुबे व डा.भवानीदीन समेत तमाम लोगों ने कहा कि अटल ने बेबाक नेता थे जिनका हर कोई दल सम्मान करता था। उनकी राजनीति बेमिसाल थी। हर कोई उन्हें राजनीति का गुरु मानते थे।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई उस जमाने में हमीरपुर आये थे जब वह जनसंघ पार्टी के संस्थापक थे। जनपद के राठ कस्बे में 4 दिसम्बर 1969 को अटल जी स्वामी ब्रह्मानंद महाराज के यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम में कार से आये थे। स्वामी को जन्मदिन का तोहफा भी दिया गया था।
राठ क्षेत्र के निवासी दधीचि मिश्रा ने रविवार को बताया कि अटल बिहारी बाजपेई जनसंघ के प्रमुख जो सांसद बतौर पहली बार हमीरपुर जनपद के राठ कस्बे में आये थे। 4 दिसम्बर 1969 को राठ कस्बे में स्वामी ब्रह्मानंद महाराज के जन्मदिवस कार्यक्रम का अटल ने उद्घाटन किया था। यहां यह कार्यक्रम ब्रह्मानंद डिग्री कालेज राठ में सम्पन्न हुआ था।
वह करीब पांच घंटे तक रहे थे और कस्बे के कोट बाजार में बैठकर सभी के साथ नाश्ता किया था। लेकिन उसके बाद दोबारा अटल जी हमीरपुर जनपद में कभी नहीं आये। उन्होंने बताया कि अटल जी स्वामी जी से कहते थे कि बुन्देलखण्ड एतिहासिक क्षेत्र है जो बेहद पिछड़ा है क्योंकि यहां के लोग लड़ते रहते है। अटल जी बुन्देलखण्ड के पिछड़ेपन को लेकर चिंतित रहते थे। स्वामी ब्रह्मानंद जी महाराज भी जनसंघ पार्टी से सांसद थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने समारोह को सम्बोधित करते हुये कहा था कि राजनीति बड़ी ही रपटीली होती है। क्योंकि पता ही नहीं चलता कि कौन कब और कहा रपट जाये। अटल जी कार्यक्रम काफी देर तक रहे थे।
अटल जी काले रंग का कोट पैंट पहने थे जो बहुत सुन्दर दिख रहे थे। बुजुर्ग कार्यकर्ता दधीचि मिश्रा ने बताया कि अटल जी के जाने के दो महीने के अन्दर ही स्वामी ब्रह्मानंद ने अटल की पार्टी छोड़ दी थी और कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। बता दे कि स्वामी ब्रम्हानंद महाराज दो बार यहां के सांसद रहे थे। दरअसल में अटल ने समारोह में जो बात कही थी वह स्वामी ब्रह्मानंद पर कही थी। वह जानते थे कि स्वामी इन्दिरा गांधी के सम्पर्क है और जनसंघ छोड़ स्वामी कांग्रेस में जायेंगे। उनके जाने के बाद जो अटल जी को आभास था वही सामने आया। यहां के वरिष्ठ कार्यकर्ता बाबूराम प्रकाश त्रिपाठी ने अटल के संस्मरण सुनाते हुये बताया कि अटल जैसा कोई दूसरा नेता पूरे विश्व में नहीं मिलेगा। वह राजनीति भी बड़े ही ईमानदारी से करते थे। इसीलिये उन्हें अन्य दल के नेता आदर और सम्मान करते है।
ईमानदारी से राजनीति करने में अटल की गिरी थी सरकार
नानाजी देशमुख के यहां चार सालों तक कार्यकर्ता के रूप में कार्य करने वाले राठ कस्बा निवासी वरिष्ठ कार्यकर्ता कृष्ण कुमार गुप्ता उर्फ केके बंटी ने बताया कि अटल अपनी ईमानदारी पर जीवन पर्यन्त तक अटल रहे है। उन्होंने बताया कि पहली बार जब केन्द्र में अटल जी की सरकार बनी थी तब उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था जिसे अटल लोकसभा में ईमानदारी से विश्वास जीतना चाहते थे। ईमानदारी के कारण ही एक वोट से सरकार गिर गयी थी। इस ईमानदारी के कारण ही अटल दोबारा सत्ता में आये थे।
गौरक्षा आंदोलन में स्वामी जी बने थे सांसद
भाजपा के बुजुर्ग कार्यकर्ता दधीचि मिश्रा ने बताया कि यहां के स्वामी ब्रम्हानंद अटल की पार्टी जनसंघ में थे तब गौरक्षा आन्दोलन में उन्होंने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। वर्ष 1967 स्वामी ब्रह्मानंद महाराज अटल की पार्टी जनसंघ से सांसद बने थे वहीं इसके बाद जनसंघ पार्टी छोड़कर कांग्रेस के टिकट से स्वामी जी वर्ष 1977 में सांसद बने थे। राठ में सांसद बनने के बाद इन्दिरा गांधी और पूर्व राष्ट्रपति गिरी स्वामी जी के कार्यक्रम में राठ आये थे। आज भी राठ कस्बे में इन्दिरा गांधी के नाम से पार्क बना है।
दिल टूटने के बाद भी अटल से मिलने जाते थे स्वामी
स्वामी ब्रह्मानंद समाज सुधार बिग्रेड के संस्थापक लक्ष्मीनारायण सिंह हमीरपुर जिला पंचायत के अध्यक्ष भी रहे है। उन्होंने बताया कि यह बात बिल्कुल सत्य है कि जनसंघ छोड़ कांग्रेस में शामिल होने के बाद स्वामी जी के यहां अटल जी कभी नहीं आये थे लेकिन कांग्रेस के टिकट से सांसद बनने के बाद स्वामी जी दिल्ली में अक्सर अटल जी से मिलने जाते थे। उनका कहना है कि इतना सब होने के बाद भी अटल के चेहरे में मुस्कान रहती थी। वह एक महान नेता थे जिन्हें खोने का दर्द है। उन्होंने बताया कि स्वामी जी कर्मयोगी थे इसीलिये अटल जी उन्हें पसंद करते थे।