एनआरसी सूची से निकाले गए लोग कानूनी उपायों का ले सकते हैं सहाराः विदेश मंत्रालय
नई दिल्ली, 01 सितम्बर (हि.स.)। विदेश मंत्रालय ने आज स्पष्ट किया कि जिन लोगों का नाम असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) में शामिल नहीं है, वे अपील जैसे कानूनी उपायों का सहारा ले सकते हैं। रजिस्टर से बाहर किए गए लोगों को जब तक कानूनी उपायों की सुविधा हासिल है, तब तक उन्हें न तो गिरफ्तार किया जाएगा, न ही उनके अधिकार कम होंगे।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने एनआरसी को लेकर पश्चिमी मीडिया में किए जा रहे दुष्प्रचार को खारिज करते हुए कहा कि जिन लोगों के नाम एनआरसी सूची में नही हैं, वे देश विहीन और अवांछित व्यक्ति नही हैं तथा वे कानूनी उपायों का सहारा ले सकते हैं।
जब तक यह उपाय समाप्त नही होते, इन लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
प्रवक्ता ने कहा कि एनआरसी तैयार करने का काम सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों और निगरानी में हुआ है। यह सरकार द्वारा शुरू की गई प्रक्रिया नहीं थी। सरकार ने केवल न्यायालय के आदेश के अनुसार काम किया। न्यायालय द्वारा ही रजिस्टर तैयार करने की अंतिम समय सीमा तय की गई थी।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से वर्ष 2013 में एनआरसी तैयार करने के लिए कहा था। वर्ष 2015 में एनआरसी को अद्यतन (अपडेट) करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। पूरी प्रक्रिया विधिसम्मत और पारदर्शी थी।
प्रवक्ता ने एनआरसी की पृष्ठभूमि बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने असम के संगठनों के साथ 1985 में असम समझौता किया था, जिसमें राज्य के लोगों के हितों को सुरक्षित रखने की बात कही गई थी। यह समझौता केंद्र सरकार, असम सरकार, अखिल असम छात्र यूनियन (आसू), अखिल असम गण संग्राम परिषद के बीच हुआ था। एनआरसी की कवायद असम समझौते को लागू करने के लिए शुरू की गई थी। असम सरकार ने उन लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता मुहैया कराने का आश्वासन दिया है, जिनके नाम एनआरसी सूची में शामिल नहीं हैं। जो लोग कानूनी सलाह का खर्च वहन करने की स्थिति में नही हैं, उन्हें समुचित कानूनी सहायता मुहैया कराई जाएगी।
प्रवक्ता ने एनआरसी के बारे में पश्चिमी मीडिया में प्रसारित खबरों को गलत बताया।