गुवाहाटी, 27 नवम्बर (हि.स.)। असम-नगालैंड सीमा पर तनाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। नगालैंड से सटी असम की सीमा पर नगा उपद्रवियों के साथ ही नगालैंड प्रशासन द्वारा असम की जमीन दखल करने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। नगालैंड से सटे जोरहाट जिले के मरियानी वनांचल क्षेत्र के न्यू सोनोवाल वनांचल खंड पदाधिकारी कार्यालय के अधीन वाले इलाके में नगालैंड पुलिस द्वारा कथित अवैध तरीके से एक पुलिस चौकी स्थापित किये जाने को लेकर पूरे इलाके में हंगामे की स्थिति बन गई है।
जानकारी के अनुसार न सिर्फ इस वनांचल में नगालैंड पुलिस की चौकी स्थापित की गई है, बल्कि यहां अस्थाई शिविर भी नगालैंड पुलिस द्वारा बनाये जाने की सूचना है। इस शिविर में बड़ी संख्या में नगालैंड पुलिस के जवानों को तैनात कर दिया गया है। इस घटना को लेकर बीते कई दिनों से नगालैंड पुलिस और असम पुलिस के साथ ही स्थानीय लोगों के साथ झड़प हो रही है।
आखिरकार मामले को सुलझाने के लिए दोनों ही राज्यों की ओर से संबंधित जिलों के नागरिक एवं पुलिस प्रशासन के पदाधिकारियों की एक शांति वार्ता बैठक भी आयोजित की गई। लेकिन बैठक के दौरान नगालैंड नागरिक एवं पुलिस प्रशासन द्वारा न तो पुलिस चौकी के स्थापित किए जाने के संबंध में कुछ स्पष्ट उत्तर दिया गया और न ही बैठक में शामिल हुए पदाधिकारियों द्वारा इस विवादित पुलिस चौकी को हटा लिए जाने संबंधी आश्वासन ही असम के प्रशासन को दिया गया। बैठक देर शाम संपन्न हुई लेकिन पूरे इलाके में तनाव अब भी बरकरार है।
आज (शनिवार को) नगालैंड में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पहुंचने वाले हैं। इसी बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा असम राइफल्स को एनएससीएन उग्रवादियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिए जाने को लेकर एनएससीएन उग्रवादी भड़के हुए हैं। असम की भूमि पर नगालैंड पुलिस द्वारा किए जा रहे हैं, इस कथित कब्जे से संबंधित मामले को एनएससीएन भी हवा देने की कोशिश में लगा हुआ है। दोनों ही राज्यों के बीच व्याप्त तनाव को कम करने के लिए गुरुवार को जोरहाट जिला मुख्यालय में हुई असम और नगालैंड के प्रशासनिक स्तर की बैठक बेनतीजा समाप्त हो गई थी।
बैठक में असम की ओर से जोरहाट प्रशासन और नगालैंड की ओर से मोकोकचुंग जिला प्रशासन के पदाधिकारी शामिल हुए। इसमें दोनों ही राज्यों की ओर से पुलिस एवं नागरिक प्रशासन के ढाई दर्जन पदाधिकारी भाग लेने पहुंचे थे लेकिन असम सरकार की ओर से बुलाई गई यह शांति वार्ता पूरी तरह विफल रही। इस पूरे घटनाक्रम को केंद्रीय गृह मंत्री के नगालैंड भ्रमण के दौरान सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा सकता है।
एनएससीएन लगातार एनएससीएन के विरुद्ध सैन्य कार्रवाई को नगा जाति की अस्मिता से जोड़कर नगालैंड में अपनी खोई हुई जमीन लौटाने की कोशिश में लगा हुआ है। नगालैंड द्वारा लगातार असम की भूमि पर कब्जा करने, असम की भूमि पर विद्युतीकरण करने, सड़क एवं पुल निर्माण करने के साथ ही सरकारी कार्यालय व प्रतिष्ठान स्थापित कर लेने के मामले सामने आते रहे हैं।
असम-नगालैंड के बीच के भूमि विवाद को लेकर सन् 1988 से ही सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित पड़ा हुआ है। सन् 1972 में दोनों ही राज्यों के बीच हुए सीमा समझौते को लेकर दोनों ही राज्यों द्वारा आपत्ति दर्ज कराई जाती रही है। केंद्र सरकार द्वारा राज्यों के आपसी सीमा विवाद को सुलझाने के लिए सीमा निर्धारण आयोग भी गठित किया जा चुका है लेकिन लंबा समय बीत जाने के बावजूद यह आयोग विवाद सुलझाने की दिशा में कुछ भी नहीं कर पाया है। समस्या लगातार जटिल होती जा रही है। देखना यह है कि गृहमंत्री द्वारा इस पूरे मामले को सुलझाने के लिए आखिर क्या कार्रवाई की जाती है।