अब अरुणाचल में घुसे 200 चीनी सैनिक, खाली बंकरों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास

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एलएसी के करीब बुम ला और यांग्त्से के सीमा दर्रे के बीच पिछले हफ्ते हुई घुसपैठ की कोशिश

 हिरासत में लिए गए पीएलए सैनिकों को स्थानीय सैन्य कमांडरों की वार्ता के बाद रिहा किया गया



नई दिल्ली, 08 अक्टूबर (हि.स.)। उत्तराखंड के बाद अब करीब 200 चीनी सैनिकों ने तिब्बत से अरुणाचल प्रदेश के रणनीतिक तवांग सेक्टर में घुसपैठ करके वहां खाली पड़े बंकरों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया। हालांकि भारतीय सुरक्षा बलों को कोई नुकसान नहीं हुआ है लेकिन चीनी सैनिकों को भारत ने हिरासत में ले लिया। बाद में स्थानीय सैन्य कमांडरों की वार्ता के बाद पीएलए सैनिकों को रिहा किया गया। अरुणाचल का सीमावर्ती तवांग सेक्टर भारत के लिए रणनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण होने के साथ ही यह तिब्बती बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण स्थान भी है।

उच्च पदस्थ सैन्य सूत्रों के अनुसार वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के करीब बुम ला और यांग्त्से के सीमा दर्रे के बीच यह घटना पिछले हफ्ते हुई थी। लगभग 200 चीनी सैनिक तिब्बत से भारतीय सीमा में पड़ने वाले अरुणाचल प्रदेश के रणनीतिक तवांग सेक्टर में घुस आए और यहां खाली पड़े बंकरों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया। इसके बाद एलएसी के भारतीय पक्ष में चीनी गश्ती दल के उल्लंघन का भारतीय सैनिकों ने कड़ा विरोध किया और कुछ चीनी सैनिकों को अस्थायी रूप से हिरासत में लिया गया। बाद में स्थानीय सैन्य कमांडरों के स्तर पर इस मामले को सुलझाकर चीनी सैनिकों को रिहा कर दिया गया, जिसके बाद स्थिति शांत हुई।

हालांकि इस घटना पर सेना की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है लेकिन रक्षा और सुरक्षा सूत्रों ने बताया कि भारतीय सुरक्षा बलों को कोई नुकसान नहीं हुआ है। भारत-चीन सीमा का औपचारिक रूप से सीमांकन नहीं किया गया है। दोनों देशों के बीच एलएसी की धारणा में अंतर होने की वजह से दोनों पक्ष अपनी-अपनी धारणा के अनुसार गश्त गतिविधियों को अंजाम देते हैं। फिलहाल दोनों देशों के बीच मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करने से इन क्षेत्रों में शांति संभव हुई है। सूत्रों ने कहा कि जब भी दोनों पक्षों के गश्ती दल मिलते हैं तो स्थापित प्रोटोकॉल और आपसी समझ के अनुसार प्रबंधित किया जाता है।

क्षेत्र में चीनी आक्रामकता का प्रदर्शन कोई नई बात नहीं है। 2016 में में 200 से अधिक चीनी सैनिकों ने यांग्त्से में एलएसी के भारतीय पक्ष में कथित तौर पर घुसपैठ की थी, लेकिन कुछ घंटों में वापस चले गए थे। 2011 में भी चीनी सैनिकों ने एलएसी के भारतीय हिस्से में 250 मीटर लंबी दीवार को तोड़ने की कोशिश की थी और इसे क्षतिग्रस्त कर दिया था। बीते अगस्त में भी इसी तरह की घुसपैठ एलएसी के पास उत्तराखंड के बाराहोती सेक्टर में की थी। यहां सौ से ज्यादा चीनी सैनिक 55 घोड़ों पर सवार होकर तुन जुन ला पास पार करके भारतीय सीमा में 5 किमी. अंदर तक घुस आए और एक पुल में तोड़फोड़ करके वापस अपनी सीमा में भाग गए। इससे पहले सितंबर 2018 में भी चीनी सैनिकों ने बाराहोती में 3 बार घुसपैठ करने की कोशिश की थी।

भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है तवांग

अरुणाचल प्रदेश में तवांग परंपरागत रूप से भारत और चीन के बीच एक विवादित बिंदु बना हुआ है। तवांग का ऐतिहासिक महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह छठे दलाई लामा का जन्मस्थान है और ल्हासा के बाद यह तिब्बती बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण स्थान है। रणनीतिक रूप से तवांग ब्रह्मपुत्र के मैदानों तक भौगोलिक पहुंच प्रदान करता है और असम में तेजपुर को सबसे छोटी धुरी प्रदान करता है। तवांग से गुवाहाटी तक संचार की लाइनें और विस्तारित सिलीगुड़ी कॉरिडोर तवांग को सैन्य दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण बनाता है। यहां के तीन प्रमुख दर्रे बोमडिला, नेचिफू और से ला तवांग को अरुणाचल प्रदेश के बाकी हिस्सों से जोड़ते हैं।


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