हांगकांग के निकट चीनी सेना का परेड, प्रदर्शनकारियों को सख्त संदेश

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा था, ‘’ हमारी इंटेलिजेंस ने हमें बताया है कि चीनी सरकार हांगकांग की सीमा की ओर सेना बढ़ा रही है। सभी लोग शांत और सुरक्षित रहें।’



बीजिंग/ हांगकांग, 15 अगस्त (हि.स.)।  हांगकांग में लोकतंत्र समर्थकों का सरकार विरोधी प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है, बल्कि यह दिनोंदिन उग्र और हिंसक होता जा रहा है। हालांकि हवाई उड्‌डे से उड़ानें संचालित होने लगी हैं, लेकिन प्रदर्शन कारी अब भी हजारों की संख्या में वहां एकत्रित हैं। यही वजह है कि आन्दोलनकारियों को डराने के लिए गुरुवार को हांगकांग सीमा के निकट चीनी सेना ने परेड किया। यह जानकारी मीडिया रिपोर्ट से मिली।

विदित हो कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा था, ‘’ हमारी इंटेलिजेंस ने हमें बताया है कि चीनी सरकार हांगकांग की सीमा की ओर सेना बढ़ा रही है। सभी लोग शांत और सुरक्षित रहें।’

विशेषज्ञों का कहना है कि चीन परेड के बहाने प्रदर्शनकारियों को कड़ा संदेश देना चाहता है। चीनी सैनिकों की बड़ी संख्या में तैनात करना इस बात का संकेत है कि ड्रैगन प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाने की तैयारी में है। हालांकि चीन इस आन्दोलन को अपनी संप्रभुता की चुनौती के रूप में पहले से देख रहा है और कह भी चुका है कि वह इस अंतरराष्ट्रीय एशियाई व्यावसायिक केंद्र में इस तरह की स्थिति लगातार नहीं बने रहने देगा।

 शायद इसी वजह से अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर कहा, ‘मुझे पता है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग बहुत अच्छे नेता है। उनके मन में अपने लोगों के लिए बहुत सम्मान है। कठिन निर्णय करते समय भी वह संयम से काम लेते हैं। मुझे इसमें कोई शक नहीं है कि वे हांगकांग संकट का जल्द और मानवीय तरीके से समाधान करेंगे।‘

 इस बीच हांगकांग की एक अदालत ने प्रदर्शनकारियों को शहर के हवाई अड्डे पर विरोध प्रदर्शन को रोकने और कामकाज में बाधा नहीं उपस्थित करने का आदेश दिया है। हवाई अड्डे के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें विशेष रूप से निर्धारित किए क्षेत्रों को छोड़कर परिसर से चला जाने के लिए कहा गया है।

उल्लेखनीय है कि प्रत्यर्पण विधेयक के खिलाफ यह प्रदर्शन दो महीने पहले शुरू हुआ। हांगकांग प्रशासन ने इस विधेयक को मृत घोषित कर दिया, लेकिन प्रदर्शनकारी इसे वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं। शहर के लोग चीन के इस कदम को अपनी स्वतंत्रता को सीमित किए जाने के रूप में देख रहे हैं जिसकी गारंटी उन्हें हांगकांग को चीनी हाथों में सौंपे जाने के समय दी गई थी।

 


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