नई दिल्ली, 31 दिसम्बर (हि.स.)। नवनियुक्त सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा है कि अनुच्छेद-370 हटने के बाद से जम्मू कश्मीर के हालात में निश्चित रूप से सुधार हुआ है तथा हिंसा की घटनाओं में काफी कमी आई है। उन्होंने कहा कि आतंकवादी घटनाओं और स्थानीय स्तर पर होने वाली वारदातों में कमी आई है तथा राज्य शांति और समृद्धि की ओर बढ़ रहा है।
कार्यभार ग्रहण करने के बाद मीडिया से बात करते हुए नरवणे ने कहा कि पाकिस्तान सीमापार से आतंकवादियों की घुसपैठ कराने का मंसूबा बना रहा है जिसका जवाब देने के लिए भारतीय सेना पूरी तरह तैयार है। सीमापार आतंकवादियों के अड्डे हैं तथा वे घुसपैठ करने की फिराक में हैं। हमारी आतंकवाद विरोधी तैयारी पुख्ता है तथा पाकिस्तान के मंसूबे सफल नही होंगे।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकवार को सरकारी नीति के रुप में इस्तेमाल करता है तथा वह भारत के खिलाफ प्रच्छन्न युद्ध चला रहा
है। पाकिस्तान आतंकवादी घटनाओं से पल्ला झाड़ रहा है लेकिन उसका झूठ फरेब नही चल सकता। उन्होंने कहा ‘आप सभी लोगों को हमेशा मूर्ख नहीं बना सकते।’
सेनाध्यक्ष ने कहा कि भारत लंबे समय से आतंवाद का शिकार रहा है। हाल के वर्षों में दुनिया के अन्य देश भी आतंवादी खतरे को स्वीकार करने लगे हैं। पाकिस्तान की ओर से युद्ध विराम उल्लंघन की घटनाएं भी हुई हैं जिसका पूरी ताकत से जवाब दिया जा रहा है।
जनरल नरवणे ने तीनों सेनाओं के मुख्य प्रशासक के रुप में चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (सीडीएस) के पद के सृजन और इस पद परर जनरल बिपिन रावत की नियुक्ति का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव दो दशकों से विचारधीन था तथा अब ये हकीकत बना है जो स्वागतयोग्य है।
भारत-चीन सीमा के संबंध में उन्होंने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर दोनों देशों की अलग-अलग राय है। इसी कारण जमीनी स्तर पर एक-दूसरे के क्षेत्र में जाने की घटनाएं होती हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बोहान शिखर वार्ता के बाद सीमा पर शांति व्यवस्था की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। दोनों देशों की सेनाओं में उपर से लेकर नीचे तक यह समझदारी बनी है कि सीमा प्रबंधन कैसे किया जाए। दोनों देशों की सेनाओं के बीच संपर्क और सौहार्द के माहौल का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत-चीन सीमा के पांच स्थानों पर दोनों देशों के सैनिक नए वर्ष के अवसर पर मिलकर जश्न मनाएंगे।
पर्वतीय क्षेत्रों में भारतीय सेना की युद्ध क्षमता में वृद्धि करने के बारे में कहा कि समंवित सैन्य कार्रवाई के संबंध में प्रणाली विकसित की जा रही है जो अगले वर्षों में मूर्त रूप लेगी।