नई दिल्ली, 02 अप्रैल (हि.स.)। आर्मी वॉर कॉलेज, महू ने शुक्रवार को स्वर्ण जयंती मनाकर अपनी स्थापना के 50 गौरवशाली वर्षों को भारतीय सेना के प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान के रूप में चिह्नित किया। समारोह का समापन थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने आर्मी वार कॉलेज की ई-बुक लॉन्च करने के साथ किया। इस अवसर पर गोल्डन जुबली ट्रॉफी का भी अनावरण किया गया। सेना प्रमुख ने अपने संदेश में कहा कि आर्मी वॉर कॉलेज में प्रशिक्षण आधुनिक एवं समकालीन है और सशस्त्र बलों की गतिशील जरूरतों को पूरा करने के लिए लगातार विकसित हो रहा है।
उन्होंने कहा कि भारतीय सेना में सभी सामरिक प्रशिक्षण केन्द्रों में यह कॉलेज प्रमुख है। यहां भारतीय सशस्त्र बलों और विदेशी मित्र देशों के सैन्य अधिकारियों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था है। यह कॉलेज युद्ध की शिक्षा देने में अग्रणी है। इसके अलावा यहां रणनीति, रसद, समकालीन सैन्य अध्ययन और सैन्य सिद्धांत में सुधार के लिए शोध किया जाता है। अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले आर्मी वॉर कॉलेज का आदर्श वाक्य ‘युद्धाय कृतनिश्चयः’ है, जिसका अर्थ ‘संकल्प के साथ लड़ाई में’ है। इस कॉलेज की शुरुआत 1971 में हुई थी जिसके बाद सैन्य नेतृत्व की शिक्षा, विकास के शानदार और जीवंत क्षेत्र में यह विकसित हुआ है।
कॉलेज की स्वर्ण जयंती पर साइक्लोथॉन और ‘दशकों से युद्धकला का विकास, भारतीय सैन्य विरासत, उभरते हुए संघर्ष के रूप और भारतीय सैन्य सोच को फिर से जीवंत करना’ विषय पर वेबिनार आयोजित की गई। इसके अलावा मुख्य कार्यक्रम आर्मी वॉर कॉलेज के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल वीवीएस श्रीनिवास के मार्गदर्शन में आयोजित किये गए। सभी रैंकों और रक्षा नागरिक कर्मचारियों के लिए एक विशेष सैनिक सम्मेलन को एडब्ल्यूसी के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल वीएस श्रीनिवास ने संबोधित किया। उन्होंने अपने संबोधन के दौरान सभी रैंकों और रक्षा नागरिकों को कर्तव्यों का पालन करते हुए उनके द्वारा प्रदर्शित व्यावसायिकता और समर्पण के उच्च मानकों की सराहना की।
इस मौके पर चयनित व्यक्तियों को विभिन्न क्षेत्रों में उनकी सराहनीय सेवा के लिए सम्मानित किया गया। आर्मी वार कॉलेज में आज सुबह पुष्पांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला, लेफ्टिनेंट जनरल वीएस श्रीनिवास, लेफ्टिनेंट जनरल दुष्यंत सिंह (सेवानिवृत्त) और लेफ्टिनेंट जनरल पीजी कामथ (सेवानिवृत्त) ने माल्यार्पण किया।