नई दिल्ली, 22 जून (हि.स.)। सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने सोमवार को दिल्ली में सेना के शीर्ष कमांडरों के साथ देश की सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की। कमांडरों के सम्मेलन का दूसरा चरण 22-23 जून को होना है जिसके लिए सभी कमांडर इस समय राष्ट्रीय राजधानी में हैं। कमांडर सम्मेलन में उत्तरी और पश्चिमी दोनों मोर्चों पर तैनात सेना की स्थिति की समीक्षा होगी।
राष्ट्र की रक्षा और सुरक्षा से संबंधित सभी निर्णय थल सेना के चीफ (सीओएएस) की अध्यक्षता में सेना कमांडरों के बीच एक कॉलेजिएट प्रणाली में लिए जाते हैं। सेना कमांडरों के सम्मेलन का दूसरा चरण 22-23 जून को दिल्ली में होना है, जिसमें सभी 07 कमांडर शामिल होंगे। सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने आज राजधानी में सेना के शीर्ष कमांडरों के साथ सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की। इसमें उत्तरी कमान के लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने भी भाग लिया।
सेना कमांडरों का सम्मेलन एक शीर्ष स्तर का आयोजन है, जिसे साल में दो बार आयोजित किया जाता है। यह सम्मेलन अप्रैल में होना था लेकिन कोरोना वायरस की महामारी की वजह से नहीं हो पाया था। इसलिए इस बार यह सम्मेलन दो हिस्सों में किया गया। पहला चरण दिल्ली में 27 मई से 29 मई तक साउथ ब्लॉक स्थित रक्षा मंत्रालय में हुआ था। इसमें लॉजिस्टिक्स और मानव संसाधन से संबंधित अध्ययन सहित परिचालन और प्रशासनिक मुद्दों से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई थी। सम्मेलन में भारतीय सेना के शीर्ष नेतृत्व ने मौजूदा उभरती सुरक्षा और प्रशासनिक चुनौतियों पर विचार-मंथन करके भारतीय सेना के लिए भविष्य की रूपरेखा तय की थी।
अब सेना कमांडरों के सम्मेलन के दूसरे चरण में भारतीय सेना की योजना, निष्पादन प्रक्रिया, उचित परिश्रम सुनिश्चित करने के लिए सेना कमांडरों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कॉलेजिएट प्रणाली के माध्यम से निर्णय लिए जाने हैं जिसमें सेना के कमांडर और वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। भारतीय सेना का शीर्ष नेतृत्व मौजूदा उभरती सुरक्षा एवं प्रशासनिक चुनौतियों पर विचार-मंथन करके भारतीय सेना के लिए आगे की रूपरेखा तय करेगा। इस दौरान महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों के साथ सम्मेलन का समापन होगा।