अर्जुन सिंह के पीछे पड़ा राज्य सरकार का डीआरआईई

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मुख्यमंत्री के निर्देश पर 600 ऐसी कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू की गई हैं जिसके बोर्ड आफ डायरेक्टर में अर्जुन सिंह, सुनील सिंह और उनसे जुड़े अन्य लोग शामिल हैं।



कोलकाता, 03 जुलाई (हि.स.)। केंद्रीय खुफिया राजस्व ब्यूरो (डीआरआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तर्ज पर ही ममता बनर्जी की सरकार ने सरकार ने डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस एंड एनफोर्समेंट (डीआरआईई) का गठन किया है जिसका काम राज्य में आर्थिक अपराध और कर (टैक्स) चोरी की जांच करना है। अब राज्य सरकार की यह संस्था बैरकपुर से भाजपा सांसद अर्जुन सिंह के पीछे पड़ गई है। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री के निर्देश पर 600 ऐसी कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू की गई हैं जिसके बोर्ड आफ डायरेक्टर में अर्जुन सिंह, सुनील सिंह और उनसे जुड़े अन्य लोग शामिल हैं। सुनील सिंह अर्जुन सिंह के रिश्तेदार है और पिछले महीने में भाजपा का दामन थामा है। राज्य सचिवालय के सूत्रों के मुताबिक इन कंपनियों का शेयर करीब पांच हजार करोड़ रुपये का है जिसमें से अकेले अर्जुन सिंह का शहर 800 करोड़ रुपये का है। इस बारे में कथित तौर पर मुख्यमंत्री के पास शिकायत दर्ज कराई गई थी लेकिन भाजपा में जाने के बाद सीएम ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर जांच करने का निर्देश डीआरआईई को दिया है। 300 से अधिक कंपनियों के दफ्तरों में छापेमारी की गई है। कई लोगों से पूछताछ हुई है लेकिन अभी तक कुछ खास नहीं मिला है। डीआरआई के निदेशक रणधीर कुमार को इस मामले में प्रतिक्रिया के लिए बार-बार संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने ना तो फोन उठाया और ना ही मैसेज का जवाब दिया। इधर बताया गया है कि ऐसी 20 कंपनियों के निदेशकों को नोटिस भेजा गया है जिसमें अर्जुन सिंह और उनके परिवार से जुड़े लोग निदेशक के पद पर हैं। यह भी जानकारी मिली है कि डीआरआई ने 309 ऐसी कंपनियों की एक सूची तैयार की है जिसके खिलाफ जांच होनी है। इसमें से 55 कंपनियों में अर्जुन सिंह और सुनील सिंह नाम के निदेशक हैं। बाकी कंपनियों के खिलाफ जांच चल रही है। दावा है कि ये कंपनियां जमीनी तौर पर अस्तित्व में नहीं है। फर्जी पते पर इन्हें केवल दस्तावेजों में पंजीकृत किया गया है। इस मामले में अभी तक डीआरआईई कुछ खास कार्रवाई नहीं कर सका है। वैसे अर्थशास्त्रियों ने इस मामले में दावा किया है कि राज्य सरकार की संस्था के पास बहुत अधिक अधिकार नहीं है। अगर कोई कंपनी खोलकर किसी तरह की आर्थिक धांधली अथवा कर (टैक्स) चोरी करता है तो राज्य सरकार केवल केंद्र के वित्त विभाग को चिट्ठी लिखकर इस बारे में शिकायत कर सकती है। किसी तरह का कोई कार्रवाई करने का अधिकार राज्य को नहीं है। बावजूद इसके ममता बनर्जी द्वारा गठित यह नया प्रशासनिक विभाग लगातार नोटिस भेज रहा है। आखिर इसका मकसद क्या है? इस बारे में पूछने पर अर्जुन सिंह ने कहा कि मुझे और मेरे अन्य संबंधियों को परेशान करने के लिए ममता बनर्जी ने प्रशासन को ठेका दे रखा है लेकिन इसका कोई लाभ होने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि मुझे और मेरी कंपनी के खिलाफ ममता बनर्जी जांच कर रही हैं। ऐसी ना तो कोई कंपनी है और ना ही ऐसे किसी कारोबार से मैं जुड़ा हूं। लेकिन उनके भतीजी अभिषेक बनर्जी की ऐसी कई कंपनियां चलती हैं। उसके खिलाफ भी जल्द जांच शुरू होगी। ममता बनर्जी को उसकी चिंता करनी चाहिए। अर्जुन ने कहा कि अगर राज्य सरकार मुझे किसी तरह का कोई नोटिस भेजती है तो उसका पुख्ता जवाब भी दूंगा और अदालत में भी खीचूंगा।

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