पहला ​अर्जुन ​मार्क​-​1ए टैंक प्रधानमंत्री मोदी जनरल नरवणे को सौंपेंगे

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इसके बाद ​6,600 करोड़ रुपये के अर्जुन एमबीटी के​ ​ऑर्डर​ का रास्ता होगा साफ   ​​सैनिकों के साथ ​​लोंगेवाला ​में ​​दिवाली मना​ने गए मोदी ने ​इसी टैंक पर की थी सवारी ​ ​



​नई दिल्ली, 13 फरवरी (हि.स.)। ​प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को चेन्नई में एक समारोह में सेना प्रमुख जनरल एमएम​​ नरवणे को पहला ​​अर्जुन ​​मार्क​-​1ए मुख्य युद्धक टैंक (एमबीटी) सौंपेंगे​​​ ​इससे ​​6,600 करोड़ रुपये के अर्जुन एमबीटी के अंतिम बैच के उत्पादन के लिए औपचारिक रूप से आदेश देने का रास्ता साफ हो जाएगा।​ ​इस बार जैसलमेर सीमा पर जवानों के साथ दीपावली मनाने के बाद जब प्रधानमंत्री मोदी ने अर्जुन टैंक पर सवारी की थी, तभी लम्बे समय से लंबित चले आ रहे अर्जुन एमके-1ए टैंक के जल्द ही पूरा होने के संकेत मिले थे, क्योंकि उन्होंने ‘लोकल फॉर वोकल’ का साफ संदेश भी दिया था। ​​   ​
अर्जुन​ टैंक को​ डीआरडीओ के कॉम्बैट व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट​ (सीवीआरडीई​​) ने डिजाइन किया है​​।​​​ डीआरडीओ​ के चेयरमैन ​जी सतीश रेड्डी प्रधानमंत्री मोदी को पहला अर्जुन मार्क​-​1ए सौंपेंगे।​ टैंक का निर्माण ऑर्डिनेंस ​फैक्टरी बोर्ड ​(​ओएफबी​)​ के हेवी व्हीकल फैक्ट्री अवाडी द्वारा किया जाएगा​।​ सरकार से अनुबंध पर हस्ताक्षर होने के 30 महीनों के भीतर पांच एमबीटी का पहला बैच सेना को सौंप दिया जाएगा।​ अर्जुन​ युद्धक टैंक पूरी तरह से स्वदेश निर्मित है​ जिसे पहली बार 2004 में अर्जुन टैंक को भारतीय सेना में शामिल किया गया था। मौजूदा समय में सेना के पास 124 अर्जुन टैंक ​की दो रेजिमेंट ​हैं, जिन्हें जैसलमेर में भारत-पाकिस्तान की सीमा पर तैनात किया गया है।प्रधानमंत्री मोदी ​जब नवम्बर में ​​​​सैनिकों के साथ दिवाली मना​ने ​​​पाकिस्तान से लगी जैसलमेर (राजस्थान) के ​​लोंगेवाला सीमा पर ​​​गए थे तो उन्होंने जिस अर्जुन टैंक की सवारी की​ थी, उसी का ​यह ​उन्नत संस्करण ​​एमके-1ए​ है​।
 
​रक्षा मंत्रालय की रक्षा अधिग्रहण समिति (डीएसी) ने 2014 में 118 अर्जुन एमके-1ए​ टैंकों के लिए 6,600 करोड़ रुपये के ऑर्डर को मंजूरी दे दी थी, लेकिन ऑर्डर नहीं दिया गया था।​ यह परियोजना इसलिए 2015 से अधर में थी क्योंकि सेना ने रूसी टी-90 टैंकों के ऑर्डर देने पर ध्यान केंद्रित किया था। इसके बाद 2019 में सेना ने रूस को 464 टी-90 के लिए करीब 14 हजार करोड़ रुपये का  ऑर्डर दिया भी था। 2012 में विकसित किये गए अर्जुन मार्क-2 को 2018 में अर्जुन मार्क​-​1ए नाम दिया गया था। साथ ही सेना ने मुख्य बंदूक और मिसाइल दागने की क्षमता जैसी सभी आवश्यकताओं को पूरा करने को कहा था। अब उन्नत संस्करण अर्जुन मार्क-1ए ने 2020 में सभी परीक्षण पूरे कर लिए हैं जिसके बाद अब सरकार से आदेश का इंतजार है। 
 

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