अमेरिका निर्मित अपाचे एएच-64ई लड़ाकू हेलीकॉप्टर भारतीय वायुसेना के बेड़े में हुआ शामिल – पठानकोट एयरबेस में बनी देश की पहली अपाचे स्क्वाड्रन- अपाचे हेलीकाप्टरों का इस्तेमाल करने वाला भारत दुनिया का 14वां देश बना
नई दिल्ली, 03 सितम्बर (हि.स.)। भारत की आसमानी ताकत में मंगलवार को उस वक्त और इज़ाफा हो गया जब दुनिया के सबसे खतरनाक माने जाने वाले अमेरिका निर्मित आठ अपाचे एएच-64ई लड़ाकू हेलीकॉप्टरों को भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल कर लिया गया। अपाचे को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि दुश्मन की किलेबंदी को भेदकर और उसकी सीमा में घुसकर हमला करने में सक्षम है। इसलिए इस घातक विमान से पीओके में आतंकी ठिकानों को आसानी से तबाह किया जा सकेगा।
एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ और वेस्टर्न एयर कमांडर एयर मार्शल आर. नांबियार ने नारियल फोड़कर पारंपरिक तरीके से ‘अपाचे’ को वायुसेना के बेड़े में शामिल किया। इससे पहले ‘अपाचे’ को वाटर कैनन की सलामी भी दी गई। वायुसेना प्रमुख ने अभी कुछ दिन पहले बयान दिया था कि हम 40 साल पुराने लड़ाकू विमान उड़ा रहे हैं जबकि कोई 40 साल पुरानी कार भी नहीं चलाता। इस नजरिये आज ‘अपाचे’ के वायुसेना के बेड़े में शामिल होने से वाकई भारतीय वायुसेना की ताकत में इजाफा हुआ है।
भारतीय वायुसेना ने सितम्बर 2015 में अमेरिकी सरकार और बोइंग लिमिटेड के साथ 22 अपाचे हेलिकॉप्टरों के लिए कई अरब डॉलर के अनुबंध पर हस्ताक्षर किये थे। रक्षा मंत्रालय ने 2017 में 4168 करोड़ रुपये कीमत पर सेना के लिए हथियारों के साथ आठ अपाचे हेलीकाप्टरों की खरीद को मंजूरी दी थी। भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टरों के बेड़े में शामिल होने के लिए 22 जुलाई, 2019 को पहली खेप के रूप में चार अमेरिकी लड़ाकू एएच-64ई अपाचे गार्डियन अटैक हेलीकॉप्टर गाजियाबाद स्थित हिंडन एयरबेस आये थे जिसका इंतजार भारतीय वायुसेना को काफी समय से था। इसके एक हफ्ते बाद चार और हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति हुई थी। अब तक पठानकोट एयरबेस में वायुसेना की 125 हेलीकॉप्टर स्क्वाड्रन फिलहाल एमआई-35 हेलीकॉप्टर्स उड़ाती थी लेकिन अब ये देश की पहली अपाचे स्क्वाड्रन होगी।
भारतीय वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि अपाचे बेड़े के जुड़ने से बल की लड़ाकू क्षमताओं में काफी वृद्धि होगी। अपाचे को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि दुश्मन की किलेबंदी को भेदकर और उसकी सीमा में घुसकर हमला करने में सक्षम है। इसलिए इस घातक विमान से पीओके में आतंकी ठिकानों को आसानी से तबाह किया जा सकेगा।
अपाचे हेलीकाप्टरों का निर्माण करने वाली कंपनी बोइंग ने कहा कि 2020 तक भारतीय वायुसेना 22 अपाचे हेलीकाप्टरों का बेड़ा संचालित करेगा। एएच-64ई अपाचे हेलीकाप्टरों में नवीनतम प्रौद्योगिकी है जिससे यह विश्व का सर्वश्रेष्ठ लड़ाकू हेलीकॉप्टर माना जाता है। भारतीय वायुसेना के पहले दल ने अपाचे हेलीकॉप्टर उड़ाने का अपना प्रशिक्षण अमेरिका में 2018 में शुरू किया था। एएच-64ई अपाचे ने भारतीय वायुसेना के लिए अपनी पहली सफल उड़ानें जुलाई 2018 में पूरी की थी। कंपनी ने पूरी दुनिया में अपने उपभोक्ताओं को 2200 से अधिक अपाचे हेलीकाप्टरों की आपूर्ति की है और भारत 14वां देश है जिसने उसे अपनी सेना के लिए चुना है।
अपाचे की क्या हैं खूबियां
अपाचे हेलीकॉप्टर में कई ऐसी कई खूबियां हैं जो दूसरे लड़ाकू हेलीकॉप्टरों में नहीं हैं। इनमें प्रेशियन हैलफायर मिसाइल और रॉकेट लगे हैं। एक अपाचे हेलीकॉप्टर में इस तरह की आठ हैलफायर मिसाइल और 19-19 रॉकेट के दो पॉड लग सकते हैं। खास तौर से लगी कैनन-गन से एक साथ 1200 राउंड फायर किए जा सकते हैं और इसमें 30 मिलीमीटर की दो गन लगी हैं। 280 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ान भर सकने वाले इस हेलिकॉप्टर की फ्लाइंग रेंज करीब 550 किलोमीटर है। यह एक बार में तीन घंटे तक उड़ सकता है। इस हेलीकॉप्टर से दुश्मन के ठिकाने पर दिन के साथ-साथ रात में भी हमला किया जा सकता है। यह हर तरह के मौसम में काम करने में सक्षम है और सबसे बड़ी बात ये है कि ये हेलीकॉप्टर दुश्मन के रडार में भी नहीं आता। 60 फुट ऊंचे और 50 फुट चौड़े इस अपाचे हेलीकॉप्टर को उड़ाने के लिए दो पायलट जरूरी हैं।
इस हेलीकॉप्टर में टारगेट पर अचूक निशाना लगाने के लिए एक खास तरह का हेलमेट डिजाइन किया गया है जिसमें डिसप्ले सिस्टम लगा होता है। इसमें दो इंजन लगे होने की वजह से दोनों पायलट हेलीकॉप्टर को उड़ा सकते हैं या फिर एक इंजन के खराब होने की स्थिति में दूसरे इंजन से इसे उड़ाया जा सकता है। पायलट की सुरक्षा के लिए कॉकपिट में ऐसी शील्डिंग की गई है जिसकी वजह से इसे भेदना मुश्किल हो जाता है। इसके लैंडिंग गियर, सीट और फ्यूल सिस्टम, बॉडी को ऐसा डिजाइन दिया गया है जिससे इसे क्रेश होने से बचाया जा सके।