दिल तंदुरुस्त तभी शरीर रहेगा दुरुस्त,एंजाइना के दर्द की न करें अनदेखी
लखनऊ, 25 जनवरी (हि.स.)। कोरोना संक्रमण के चलते भले ही लोगों ने गुजरे साल का ज्यादा वक्त घर में बिताया हो और अभी भी वैक्सीन लगने तक वर्क फ्रॉम होम के जरिए घर पर रहकर सतर्कता बरत रहे हों। लेकिन, बदली जीवनशैली और शारीरिक श्रम से दूरी बनाना उनके दिल की सेहत पर भारी पड़ सकता है।
अनियमित खानपान और शारीरिक मेहनत कम होने के चलते कम आयु में ही हार्ट अटैक और हाई ब्लड कोलेस्ट्रोल जैसी समस्याएं हो रही हैं। शारीरिक परिश्रम नहीं हो पाने के कारण आज अधिकतर लोग कई बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। इन बीमारियों में सबसे अधिक दिल से सम्बन्धित बीमारियां, जैसे उच्च रक्तचाप, निम्न रक्तचाप, स्ट्रोक, हार्ट अटैक और कोलेस्टॉल का बढ़ना है। वहीं अगर दिल का दौरा पड़ने की बात करें तो कई तरह के लक्षण इसका संकेत देते हैं। ऐसे में अगर इन्हें समय रहते समझ लिया जाए तो बड़े खतरे को टाला जा सकता है।
दिल पर अत्यधिक दबाव सेहत पर पड़ता है भारी
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. डॉ. अरविंद मिश्रा के मुताबिक, अनियमित दिनचर्या, वसायुक्त ज्यादा भोजन खाने और नियमित व्यायाम नहीं करने के कारण हमारी रक्त धमनियों में कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ जाता है और रक्त का फ्लो प्रभावित होता है। दिल को रक्त पहुंचाने वाली धमनियां ज्यादा कोलेस्ट्रोल के कारण सिकुड़ने लगती हैं तो दिल पर ज्यादा दबाव आने लगता है और अंतत: दिल का दौरा पड़ने जैसी बीमारी हो जाती है।
एंजाइना दर्द को गम्भीरता से ले, समझें चेतावनी
डॉ. अरविंद ने बताया कि आजकल गलत खानपान के चलते हर उम्रवर्ग के लोग दिल की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं क्योंकि खानपान का दिल से सीधा सम्बन्ध होता है। दिल का दौरा आने से पहले सीने में जो दर्द होता है, उसे एंजाइना कहा जाता है। एंजाइना को मेडिकल भाषा में इस्केमिक चेस्ट पेन कहा जाता है। इसके मतलब ऐसे सीने के दर्द से है, जिसकी शुरुआत दिल तक पर्याप्त खून के न पहुंचने से होती है। इस दौरान व्यक्ति को दिल के दौरे पड़ने या फिर सीने में दबाव महसूस हो सकता है। एंजाइना दर्द तब होता है, जब दिल की नसों में रक्त प्रवाह ठीक तरह से नहीं हो पाता है। एंजाइना दर्द जबड़े, बांह और पीठ के ऊपरी हिस्से में होता है। यह इस बात का संकेत हो सकता है कि हृदय को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है। एंजाइना मुख्य तौर पर चार प्रकार का होता है। इनमें स्टेबल एंजाइना, अनस्टेबल एंजाइना, माइक्रोवैस्कुलर एंजाइना और वेरिएंट एंजाइना है। इनमें स्टेबल एंजाइना का सबसे साधारण प्रकार है, जो शारीरिक कार्य, तनाव से सम्बन्धित होता है।
एंजाइना के लक्षणों को लेकर रहें सतर्क
एंजाइना का दर्द वैसे तो अधिक उम्र में ही होता है। लेकिन, आजकल अनियमित दिनचर्या के कारण कम उम्र में भी देखने को मिल रहा है। एंजाइना से पीड़ित व्यक्ति को सीने, बांहों, जबड़े, कंधे या गर्दन में खिंचाव या दर्द महसूस होता है।
सांस फूलना, उल्टी आना, पेट में दर्द, अधिक पसीना आना, अधिक थकान लगना, चक्कर या बेहोशी आना, घबराहट महसूस होना जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। महिलाओं में पेट, गर्दन, गले या पीठ में दर्द की समस्या भी हो सकती है। लेकिन, कभी-कभी किसी को ये लक्षण भी महसूस नहीं होते हैं।
एंजाइना दर्द की ये हो सकती है वजह
चिकित्सकों के मुताबिक एंजाइना का दर्द ज्यादा व्यायाम या ज्यादा काम करने पर हो सकता है। यह ज्यादा भोजन करने पर भी हो सकता है। एंजाइना का दर्द तापमान के अधिक गर्म या अधिक ठंडा होने पर या किसी भावनात्मक या तनावपूर्ण घटना होने पर भी हो सकता है। ध्रूमपान, नशीले पदार्थ का सेवन करने वाले लोगों में भी एंजाइना का खतरा काफी अधिक होता है। इसी तरह अधिक वजन वाले लोगों के एंजाइना के शिकार होने के मामले सामने आते रहते हैं। जब भी एंजाइना के लक्षण महसूस हों तो तुरंत चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए। ध्यान रखें कि स्वयं अस्पताल न जाएं तो बेहतर है। परिजन या दोस्त के साथ ही अस्पताल जाएं, क्योंकि एंजाइना दर्द होने पर दिल का दौरा पड़ने की भी सम्भावना होती है। ऐसे में अकेले जाने पर समस्या बढ़ सकती है।
कई थैरेपी की मदद से हो सकता है इलाज
डॉ. अरविंद के मुताबिक एंजाइना दर्द होने पर घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि आज इसके इलाज के लिए कई तरह की थैरेपी मौजूद हैं। यदि मरीज के दिल की नसें संकरी हो जाती हैं तो फिर एंजियोप्लास्टी के जरिए नसों को गुब्बारे की तरह फुलाकर चौड़ा किया जाता है। इससे मरीज ठीक हो जाता है। इसके अतिरिक्त यदि कुछ और कारण हैं तो एंजाइना की विशेष दवाएं दी जाती हैं, इससे भी मरीज का उपचार हो जाता है।
खतरा कम करने को इन बातों का रखें परहेज
डॉ. अरविंद कहते हैं कि आज बीमारियों का खतरा काफी हद तक बढ़ चुका है। ऐसे में सभी लोगों को समय-समय पर अपनी स्वास्थ्य जांच कराते रहना चाहिए, ताकि आने वाली समस्या का समय रहते पता चल सके। यदि शरीर में किसी बीमारी के होने के लक्षण नजर आते हैं तो समय रहते इलाज करके उसे खत्म किया जा सकता है। एंजाइना की रोकथाम के लिए धूम्रपान से दूरी बनाना, खानपान का ध्यान रखना, अत्यधिक वसायुक्त भोजन से परहेज व पौष्टिक आहार लेना तथा तनाव न लेना मददगार साबित हो सकता है। स्ट्रेस कई बीमारियों की वजह है। इनमें एंजाइना भी शामिल है। एंजाइना जैसी गम्भीर स्थिति से बचने के लिए पहले ही जीवनशैली में उचित और स्वस्थ बदलाव करना बेहतर होगा।
दिल अपनी समस्या सीने में दर्द, डिसनिया, डिस्प्नीया के रूप में करता है व्यक्त
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. जेपी सिंह बताते हैं कि एंजाइना दर्द की अनदेखी दिल की सेहत पर भारी पड़ सकती है। यह दिल के दौरे का संकेत भी है। इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। वह कहते हैं कि सरल भाषा में समझें तो यदि घर में चार लोगों का भोजन है और आठ लोग आ जाएं तो परेशानी होना स्वाभाविक है। इस समस्या में दिल की हालत भी कुछ इसी तरह होती है। शरीर दुरुस्त तरीके से अपना काम करता रहे, इसके लिए दिल का तंदुरुस्त होना बेहद जरूरी है।
स्वस्थ आदमी में दिल शरीर के रक्त की आवश्यताएं पूरी करता है। लेकिन, जब किसी वजह से दिल को रक्त सप्लाई करने वाले नलियां पतली या प्रभावित हो जाती हैं तो इसका असर देखने को मिला है। ऐसे में सामान्य गतिविधि से अधिक मेहनत करने की स्थिति में दिल पर अधिक भार पड़ता है। लेकिन, उसके मुताबिक वह खून की सप्लाई नहीं कर पाता है। नतीजन दिल अपनी समस्या सीने में दर्द, डिस्पनिया आदि के रूप में व्यक्त करता है। इसी को एंजानिया कहते हैं। सही समय पर इसके लक्षण पहचान कर इलाज से दिल की गम्भीर समस्या से बचा जा सकता है।