एटा, 07 जून(हि.स.)। उत्तरप्रदेश के कासगंज जिले में शनिवार दोपहर गिरफ्तार होनेवाली शिक्षिका प्रदेश के 25 जिलों में एक साथ नियुक्ति पाकर वेतन लेनेवाली ‘अनामिका शुक्ला’ नहीं, फर्रूखाबाद के कायमगंज की ‘प्रिया’ है। असली ‘अनामिका शुक्ला’, यदि इसका कोई अस्तित्व है तो वह अब भी फरार है। यह जानकारी कथित अनामिका शुक्ला से हुई सख्त पूछताछ में सामने आई है।
गिरफ्तार अनामिका शुक्ला ने स्वीकारा है कि उसका नाम प्रिया पुत्री महीपालसिंह निवासी नई बस्ती, कायमगंज, फर्रूखाबाद है। उसका कहना है कि उसे अनामिका शुक्ला के संदर्भित शैक्षिक अभिलेख एक लाख रूपया में मैनपुरी निवासी किसी ‘राज’ नामक युवक ने दिये थे।
बता दें कि बागपत जिले के बड़ौत के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में विज्ञान शिक्षिका के रूप में बीते 31 दिसम्बर को आवासीय शिक्षक के रूप में पदस्थ हुई कथित अनामिका शुक्ला के फर्जी अभिलेखों पर नियुक्त होने की जानकारी उस समय सामने आई जब विभाग ने लाॅकडाउन की अवधि में अपने सारे शिक्षकों का डाटाबेस तैयार कराया। इस डाटाबेस से खुलासा हुआ कि अनामिका शुक्ला नाम से एक ही तरह के शैक्षणिक अभिलेखों पर प्रदेश के 25 विद्यालयों में कथित अनामिका शुक्ला ने नियुक्ति पायी है। बड़ौत के इस मामले में विभाग की सतर्कता के चलते कथित अनामिका शुक्ला को कोई भी वेतन नहीं दिया गया था।
बागपत के बाद दूसरा मामला सहारनपुर जिले के मुजफ्फराबाद ब्लाक के कस्तूरबा गांधी विद्यालय का सामने आया। यहां ‘अनामिका शुक्ला’ लगभग 1.17 लाख रूपया वेतन आहरित कर चुकी थी। इस मामले में प्राथमिकी भी दर्ज कराई गयी है।
दो मामले सामने आने के बाद जब विभाग ने जांच कराई तो अंबेडकरनगर, अलीगढ़, प्रयागराज आदि 25 जिले ऐसे मिले जहां यह अनामिका शुक्ला नामक कथित शिक्षिका नियमित विज्ञान शिक्षक के रूप में तैनात ही नहीं मिली वरन् बाकायदा वेतन आदि भी लेती मिली।
इन खुलासों के बाद राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा उत्तरप्रदेश ने 26 मई को पत्र भेज उन सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को अनामिका शुक्ला के शैक्षणिक प्रमाणपत्रों की जांच करने व फर्जी पाये जाने पर कार्यवाही करने के आदेश दिये। इसमें कासगंज जिले का भी नाम था। क्योंकि यहां के कस्तुरबा गांधी विद्यालय फरीदपुर में भी एक अनामिका शुक्ला उन्हीं संदिग्ध प्रमाणपत्रों के आधार पदस्थ पायी गयी थी। यहां लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व नियुक्त हुई यह अनामिका शुक्ला 22हजार प्रतिमाह से लगभग 4 लाख रूपया वेतन भी आहरित कर चुकी थी।
इस पत्र के मिलने के बाद कासगंज की बेसिक शिक्षा अधिकारी अंजली अग्रवाल ने 4 जून को उक्त शिक्षिका को नोटिस जारी किया। इस नोटिस के जवाब में शनिवार को यह शिक्षिका अपने साथी संजय के साथ त्यागपत्र देने बीएसए कार्यालय पहुंची थी, जहां से इसे गिरफ्तार किया गया।
बताया जा रहा है कि अपने विद्यालय स्थित आवास पर पड़े कपड़े आदि कुछ जरूरी सामान व बैंक खाते में शेष 17 हजार रूपये के लालच में यह शिक्षिका कासगंज पहुंची थी। जबकि इससे पूर्व 2 व 3 जून को खाते से 50-50 हजा रूपया निकाल चुकी थी। विद्यालय पहुंचने पर वहां ताला लगा देख इसने लेखाकार राहुल को फोन किया तो उसने बीएसए से संपर्क करने को कहा। इसके बाद इसने इलाहाबाद बैंक पहुंच अपने खाते से भी 17 हजार निकालने का प्रयास किया। किन्तु यहां भी बीएसए के आदेश से 4 जून से खाता सीज करा देने से कामयाबी नहीं मिली। यहां से भी बीएसए को जानकारी दिये जाने के बाद इसकी गिरफ्तारी हुई।
पहले अनामिका शुक्ला, फिर अनामिका सिंह और बाद में प्रिया
पुलिस की हिरासत में पहुंचने के बाद होनेवाली पूछताछ में कथित अनामिका पहले तो बहुत देर तक अपना नाम ‘अनामिका शुक्ला’ पुत्री सुभाषचंद्र निवासी रजपालपुर, लखनपुर, फरूखाबाद ही बताती रही। फिर उसने स्वयं को अनामिका सिंह पुत्री राजेश निवासी लखनपुर फरूखाबाद कहना शुरू किया। पुलिस व अधिकारियों की सख्त पूछताछ में यह नाम भी अधिक देर नहीं टिका और अंत में शिक्षिका ने स्वीकार किया कि उसका सही नाम ‘प्रिया’ पुत्री राजेश निवासी नईबस्ती कायमगंज, फर्रूखाबाद है।
असली ‘अनामिका’ अब भी है फरार
पहले तो अभी यह ही निश्चित नहीं कि अनामिका शुक्ला नाम की कोई महिला वास्तव में है भी अथवा नहीं। इसके शैक्षिक प्रमाणपत्रों की तरह यह नाम भी फर्जी हो सकता है। दूसरे यदि इस नाम की कोई युवती है तो शैक्षिक प्रमाणपत्रों में उसका पता मैनपुरी के हसनपुर का लिखा गया है। जबकि मैनपुरी के पुलिस प्रशासन का कहना है कि उनकी जांच में हसनपुर में कोई भी अनामिका शुक्ला नहीं पाई गयी है।
जिन प्रमाणपत्रों के आधार पर इस अनामिका शुक्ला ने प्रदेश के 25 जिलों में शिक्षिका बनने में सफलता पाई है, उनमें हाईस्कूल में उसे 76.83, इंटरमीडिएट में 78.6, बीएससी में 55.60 तथा बीएड में 76.5 अंक दर्शाए गये हैं। इन सब का कटआफ 71.89 होता है।
सवाल और भी हैं
कासगंज में पकड़ी गयी शिक्षिका अनामिका है अथवा प्रिया? यह अभी जांच का विषय है। किन्तु अभी और भी अनेक प्रश्न हैं जिनका उत्तर ढूंढा जाना है। उदाहरण के लिए कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों का कोई डाटाबेस तैयार नहीं होता। यहां केवल शैक्षिक प्रमाणपत्रों की जांच के बाद नौकरी मिल जाती है- इस तथ्य का जाननेवाला कोई विभागीय व्यक्ति भी इस गिरोह का संचालक हो सकता है? दूसरे, अनामिका शुक्ला के नाम से सभी 25 जिलों में क्या अलग-अलग प्रियाएं’ ही शिक्षण कार्य कर रही हैं? साथ ही इनके द्वारा खोले गये बैंक खातों में आधारकार्ड आदि पहचानपत्र भी क्या एक ही हैं, अथवा अलग-अलग यह भी फर्जी बनाकर लगाए गये हैं? तीसरे, इन खातों में लगे खाताधारक के चित्र एक हैं या अलग-अलग? शिक्षिका के प्रमाणपत्र जिस रघुकुल महिला विद्यापीठ गोंडा व आदर्श कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय अंबेडकरनगर के हैं, उनकी इस घोटाले में क्या भूमिका है? और अंतिम, इतना बड़ा घोटाला बिना शिक्षा विभाग के किसी सक्षम अधिकारी की मिलीभगत के नहीं हो सकता। ऐसे में कौन है वह ‘बड़ी मछली’ शिक्षा माफिया?
फिलहाल कासगंज प्रकरण में बीएसए ने इस गिरफ्तार शिक्षिका के शैक्षिक प्रमाणपत्रों की जांच के लिए 3 सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति में जिला समन्वयक गौरव कुमार, खंड शिक्षा अधिकारी राजेन्द्र बोरा व श्रीकांत पटेल हैं। देखना है कि यह समिति किस निष्कर्ष पर पहुंचती है तथा प्रदेशव्यापी इस मामले में कितनी सहायक होती है। वहीं मंडल स्तर पर इस मामले की जांच एडी बेसिक अलीगढ़ द्वारा भी की जा रही है।