लोकसभा में ओवैसी ने कहा- डराइए मत, अमित शाह बोले- डर जेहन में है तो क्या किया जा सकता है

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ओवैसी ने शाह से कहा कि वह डराने की कोशिश न करें। इस पर पलटवार करते हुए शाह ने कहा कि वह किसी को डरा नहीं रहे, पर डर जेहन में बसा है तो वो क्या कर सकते हैं।



नई दिल्ली, 15 जुलाई (हि.स.)। लोकसभा में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (संशोधन) विधेयक-2019 पर चल रही चर्चा के दौरान एआईएमआईएम के नेता असद्दुदीन ओवैसी और गृहमंत्री अमित शाह के बीच नोकझोंक हो गई। ओवैसी ने शाह से कहा कि वह डराने की कोशिश न करें। इस पर पलटवार करते हुए शाह ने कहा कि वह किसी को डरा नहीं रहे, पर डर जेहन में बसा है तो वो क्या कर सकते हैं।

दरअसल, लोकसभा में इस महत्वपूर्ण विधेयक पर चर्चा चल रही थी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से सत्यपाल सिंह बोल रहे थे। हैदराबाद की मक्का मस्जिद में हुए बम बलास्ट का मुद्दा उठाया। इस पर ओवैसी आपत्ति जताने लगे, किंतु अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे एनके प्रेमचन्द्रन ने अनुमति नहीं दी। तब भी ओवैसी नहीं रुके और उनका बोलना जारी रहा। इस पर सदन में मौजूद शाह ने ओवैसी पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि ओवैसीजी, सदन में जब चर्चा चल रही है और हमने शांतिपूर्ण ढ़ंग से सभी को सुना है तो आप क्यों टोक रहे हैं। ए. राजा जब बोल रहे थे तो आपने कुछ नहीं बोला और सत्यपाल सिंह बोल रहे हैं तो आप टीका-टिप्पणी कर रहे हैं। शाह ने ओवैसी से कहा कि उन्हें सदन की व्यवस्था के अनुसार सुनने की आदत डालनी चाहिए।

औवेसी ने इस पर उन्हें धमकाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह किसी से नहीं डरते। जवाब में अमित शाह ने कहा कि डराने की बात नहीं है, अगर डर उनके जेहन में बसा है तो वह क्या कर सकते हैं। शाह ने कहा कि विपक्ष के लोग जब बोल रहे थे तब पक्ष के लोगों ने चुपचाप उसे सुना, अब उन्हें भी चुपचाप इसे सुनना चाहिए।

विवाद की स्थिति को देखकर अध्यक्ष आसन पर लौटे ओम बिरला ने व्यवस्था का जिक्र करते हुए ओवैसी सहित विपक्ष के अन्य नेताओं को समझाने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष के नेताओं को कोई आपत्ति है तो वह नोट लिखकर उन तक पहुंचा सकते हैं और बाद में उन्हें अपनी बात रखने का मौका दिया जाएगा।

 


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