नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (हि.स.)। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने ई-कॉमर्स कंपनियों अमेजन एवं फ्लिपकार्ट और अन्य द्वारा ऑनलाइन बिक्री में गुड्स एवं सर्विस (टैक्स) जीएसटी के नुकसान होने के आरोप लगाया है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में कैट ने कहा कि यह कंपनियां बाजार मूल्य से बहुत कम दाम पर सामान बेचकर सरकार को होने वाले जीएसटी राजस्व का चूना लगा रही हैं।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने सोमवार को बताया कि दोनों ई-कॉमर्स कंपनियां लागत से भी कम मूल्य पर माल (सामान) बेच रही है और भारी छूट भी दे रही है, जो सरकार की एफडीआई नीति के खिलाफ है। कैट ने वित्तमंत्री से इन कंपनियों के व्यवसाय मॉडल की जांच करने का आग्रह किया है, जिसकी वजह से सरकार को बड़े पैमाने पर जीएसटी राजस्व का नुकसान हो रहा है। कैट ने इस मसले पर पत्र केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और सभी राज्यों के वित्तमंत्रियों को भी भेजे हैं।
सीतारमण को भेजे पत्र में कैट ने विभिन्न ई-कॉमर्स पोर्टलों खासकर अमेजन और फ्लिपकार्ट द्वारा की गई बिक्री और 10 फीसदी से 80 फीसदी तक की छूट की ओर ध्यान दिलाया है। इसके साथ कैट का ये भी कहना है कि ये छूट असामान्य और ऑफलाइन बाजार में उपलब्ध नहीं है। कैट का कहना है कि ई-कॉमर्स कंपनियां उत्पाद के वास्तविक बाजार मूल्य पर जीएसटी चार्ज करने के लिए बाध्य है लेकिय ये कंपनिया ठीक इसका उलटा कर रही है। इससे सरकार को गत तीन वर्षों से जीएसटी का बड़ा नुक्सान हो रहा है।
खंडेलवाल ने कहा कि यदि ये व्यापार के सामान्य व्यवहार में दी जाने वाली छूट है तो यह स्वीकार्य है लेकिन कीमतों को कृत्रिम रूप से कम करना और फिर जीएसटी को चार्ज करना एक ऐसा मामला है, जिस पर सरकार को तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है और तुरंत जरूरी कार्रवाई भी की जानी चाहिए।