लॉस एंजेल्स , 28 जून (हि.स.)। अमेरिका की जनगणना में नागरिकता का सवाल पूछे जाने पर एक रोचक विवाद खड़ा हो गया है।राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गुरुवार को मतगणना में नागरिकता के सवाल पर सुप्रीम कोर्ट के सुझाव आने तक प्रतीक्षा करने और इस उपक्रम में विलंब होने के संकेत दिए हैं।
इस सवाल पर उच्च न्यायालय की पीठ ने यह तो स्वीकार किया है कि सरकार को नागरिकता के सवाल पर लोगों से उनकी नागरिकता के बारे में पूछने का अधिकार है, लेकिन इसके साथ ही मतगणना ब्यूरो को यह स्पष्ट भी करना चाहिए कि उसे मौजूदा फ़ार्म में यह परिवर्तन करने की ज़रूरत क्यों पड़ी? इस पर राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्वीट कर कहा है कि ”यह बहुत हास्यास्पद है कि सरकार, यहां तक देश को यह जानने का हक़ नहीं है कि वह नागरिकता का सवाल पूछे। जनगणना एक बहुत महत्वपूर्ण और महंगा उपक्रम है। इसमें सरकार का अधिकार है कि वह जनगणना फ़ार्म में लोगों की नागरिकता पर सवाल उठा सकता है। उन्होंने वकीलों से कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट से इस बारे में अतिरिक्त जानकारी मांगेें, भले ही मतगणना का कार्य देरी से क्यों न पूरा हो।
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफ़ोर्निया, बर्कली, में सांख्यकी के प्रोफ़ेसर और मतगणना विशेषज्ञ फ़िलिप स्टार्क ने कहा है कि उन्हें इस बात का कोई भान नहीं है कि व्हाइट हाउस ने कभी मतगणना के मामले में विलंब की बात की हो। उन्होंने आगे कहा है कि महीने दो महीने की देरी की बात तो समझ में आती है, लेकिन साल भर की देरी समझ से परे की बात है। एक अन्य विशेषज्ञ ने कहा है कि मतगणना एक संविधानिक ज़िम्मेदारी है और इसका समय पर पूरा होना ज़रूरी है।
इस संबंध में एक मतगणना अधिकारी ने कहा है कि अगर मतगणना फ़ार्म समय पर प्रकाशित नहीं किए जाते हैं तो मतगणना के कार्य में विलंब होना स्वाभाविक है। मतगणना समय सारिणी के अनुसार फ़ार्म 12 मार्च तक तैयार होकर प्रकाशन के लिए भेज दिया जाना चाहिए था और मतगणना का कार्य 31 दिसंबर ,2020 तक पूरा हो जाना चाहिए।