अफगानिस्तानः सैन्य संपत्ति छोड़ गई अमेरिकी सेना, अब तालिबान उड़ाएगा ‘ब्लैक हॉक’ हेलीकॉप्टर

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 अमेरिका से ‘गिफ्ट’ में मिले सैन्य साजो-सामान से मजबूत होगा तालिबान

 करीब 20 वर्षों की जंग में अमेरिका को 2,461 सैनिक गंवाने पड़े

 अभी भी करीब 250 अमेरिकी नागरिक अफगानिस्तान में रह गए



नई दिल्ली, 31 अगस्त (हि.स.)। आतंकवाद के खिलाफ जंग के लिए अफगानिस्तान आये अमेरिका को शर्मनाक हार के बाद 30 अगस्त की आधी रात को खाली हाथ चुपचाप उल्टे पांव भागना पड़ा है। तालिबान के खिलाफ कभी खत्म न होने वाली यह जंग 19 साल और 8 महीने तक चली। करीब 20 वर्षों की इस जंग में अमेरिका को 2,461 सैनिकों तथा दो ट्रिल्यन डॉलर भी गंवाने पड़े हैं। अफगानिस्तान की सरजमीं को अलविदा कहते वक्त अमेरिका अपने सैन्य साजो-सामान भी छोड़ गया है जिन्हें कब्जे में लेने के बाद तालिबान की सैन्य शक्ति मजबूत होगी।

अलकायदा के 9/11 हमले के ठीक 8 दिन बाद ओसामा बिन लादेन के खात्मे के लिए अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के अधिकारियों ने 19 सितम्बर, 2001 को पहली बार अफगानिस्तान की सरजमीं पर कदम रखा था। उस वक्त सीआईए के अधिकारी रूस निर्मित एमआई-17 हेलिकॉप्टर में बैठकर उज्बेकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान में घुसे थे। सीआईए के अधिकारी अपने साथ भारी हथियारों और विस्फोटकों के अलावा 3 मिलियन डॉलर नकद लेकर आये थे। तीन बक्सों में भरकर लाये गए इस पैसे से ही तालिबान के खिलाफ जंग की शुरुआत की गई थी। कबायली नेताओं को खरीदने के लिए अमेरिका ने करोड़ों रुपये दिए ताकि तालिबान के खिलाफ जंग को शुरू किया जा सके। इस ऑपरेशन को ‘जॉब्रेकर’ नाम दिया गया था। इसमें अमेरिकी सेना के विशेष बल, हवाई ताकत, नॉर्दन एलायंस के लड़ाके शामिल थे।

अब जब तालिबान के हाथों करारी हार के बाद अफगानिस्तान से बैरंग वापसी के समय अमेरिकी सेना 19 साल और 8 महीने के दौरान इकट्ठा किये गए हथियार, हेलीकॉप्टर, फिक्स विंग एयरक्राफ्ट, टैंक, मशीनगन, परिवहन विमान, असॉल्ट रायफल्स, पिस्टल, आर्टिलरी यहीं छोड़कर भागी है। इन सैन्य हथियारों की संख्या का खुलासा ‘स्पेशल इन्स्पेक्टर जनरल फॉर अफगानिस्तान रिकंस्ट्रक्टर’ (सिगार) की 52वीं त्रैमासिक रिपोर्ट से होता है जो संयुक्त राज्य कांग्रेस के सामने 30 जुलाई को रखी गई थी। यह रिपोर्ट तब तैयार की गई थी जब अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी 31 अगस्त तक होने का ऐलान कर दिया गया था। इस रिपोर्ट में 20 साल के दौरान अफगानिस्तान में हुए अमेरिकी सेना के खर्च, जुटाई गई सैन्य संपत्ति, सैन्य बलों की संख्या और मारे गए अमेरिकी सैनिकों का भी ब्योरा है।

रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान से जाते वक्त अमेरिकी सेना सैन्य उपकरणों में 22,174 हमवी, 64,363 मशीनगन, 634 एम 1117 बख्तरबंद सुरक्षा वाहन, 1,62,043 रेडियो ट्रांसमीटर, 155 मैक्स्प्रो अमेरिकी सैन्य वाहन, 16,035 नाइट विजन डिवाइस, 169 एम 113 बख़्तरबंद कार्मिक वाहक, 3,58,530 असॉल्ट रायफल्स, 42,000 ट्रक्स यूएसवी, 1,26,295 पिस्टल, 8,000 ट्रक, 176 आर्टिलरी छोड़कर दबे पांव भागी है। इसके अलावा तीन वेरियंट के 109 हेलीकॉप्टर अमेरिकी सेना छोड़ गई है जिसमें 33 एमआई, 33 यूएच-60 ब्लैक हॉक और 43 एमडी-530 हेलीकॉप्टर हैं। फिक्स विंग एयरक्राफ्ट में 04 सी-130 परिवहन विमान, 23 ईएमबी 314-ए 29 सुपर टुकनो, 28 सेसना-208 और 10 सेसना एसी-208 एयरक्राफ्ट हैं। अफगानिस्तान की धरती से अमेरिका के जाने के बाद यह सारी सैन्य संपत्ति तालिबान को ‘गिफ्ट’ में मिली है।

अमेरिकी सेंट्रल कमांड ने घोषणा की है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी पूरी हो गई है। इसके साथ ही युद्धग्रस्त राष्ट्र में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति का 20 साल बाद अंत हो गया है। यूएस सेंट्रल कमांड के कमांडर केनेथ मैकेंजी ने सोमवार मध्यरात्रि एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान घोषणा की कि आखिरी सी-17 ने 30 अगस्त को हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से सोमवार दोपहर 3.29 बजे (भारतीय समयानुसार रात 1.00 बजे) उड़ान भरी। उन्होंने 27 अगस्त को काबुल में बम विस्फोटों के दौरान मारे गए 13 अमेरिकी सैनिकों सहित अफगानिस्तान में 20 साल के दौरान मारे गए 2,461 अमेरिकी सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। मैकेंजी ने कहा कि अंतिम पांच निकासी उड़ानों में कोई भी अमेरिकी नागरिक काबुल से नहीं आया है जिसका अर्थ है कि अभी भी करीब 250 अमेरिकी नागरिक अफगानिस्तान में रह गए हैं।

उन्होंने कहा कि हम उन्हें आखिरी मिनट तक लाने के लिए तैयार थे लेकिन उनमें से कोई भी हवाईअड्डे पर नहीं पहुंचा और उन्हें साथ नहीं लाया जा सका। जनरल ने कहा कि वर्तमान में अफगानिस्तान में फंसे अमेरिकी नागरिकों की संख्या बहुत कम है। इस अभियान का सैन्य चरण समाप्त होने के बाद अब उसकी अगली कूटनीतिक कड़ी शुरू होगी। जनरल ने कहा कि अमेरिका शेष 250 अमेरिकी नागरिकों को निकालने की कोशिश जारी रखेगा और योग्य अफगानों को वाशिंगटन लाने के लिए आक्रामक तरीके से तालिबान के साथ बातचीत करेगा।


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