अमेरिका में बढ़ रहा हिंदू यूनिवर्सिटी के प्रति उत्साह : प्रो. मनोहर शिंदेl

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वैदिक संस्कृति, हिंदू सभ्यता, वास्तु, ज्योतिष, संस्कृत भाषा और योग होंगे पठन-पाठन के विषय



लॉस एंजेल्स, 04 दिसम्बर (हि.स.)। हिंदू यूनिवर्सिटी ऑफ अमेरिका के प्रति दुनिया के विभिन्न मत-मतांतरों के विद्वजनों, उदभट्ट छात्रों में वैदिक ज्ञान को लेकर रुचि बढ़ रही है। हिंदू यूनिवर्सिटी के बुनियादी ढांचे में पठन-पाठन के क्षेत्र में वैदिक संस्कृति, हिंदू सभ्यता, वास्तु, ज्योतिष शास्त्र और हिंदू दर्शन, संस्कृत भाषा और योग के कई पाठ्यक्रमों में अब स्नातक से पीएचडी की डिग्री दिए जाने के सभी अपेक्षित बंदोबस्त किए गए हैं। इसके लिए अमेरिका और भारत के कुल मिला कर 22 विद्वान प्राध्यापकों की एक फैकल्टी तैयार हो चुकी है। शुरुआत में, 01 जनवरी, 2019 में छात्रों की संख्या दस थी, जो 30 सितम्बर,2019 को बढ़ कर 84 हो गई। इसके प्रबंध मंडल में डेनेवर यूनिवर्सिटी में क़ानूनविद और अमेरिकी कांग्रेस के अनेक सांसदों को अन्तरराष्ट्रीय कानून की बारीकियों की शिक्षा दीक्षा देने वाले पद्म भूषण डॉ वेद प्रकाश नंदा को प्रबंध मंडल का चेयरमैन बनाया गया है। अपना कारोबार छोड़ धर्मा सिविलाइज़ेशन फाउंडेशन से जुड़े इस ग़ैर सरकारी संस्था के प्रेज़ीडेंट कल्याण विश्वनाथन ने दावा किया है कि अमेरिकी, एशियाई, लेटिन अमेरिकी छात्रों विद्वत जनों में वैदिक संस्कृति को जानने-समझने के लिए रुचि बढ़ रही है। इस यूनिवर्सिटी के विधिवत गठन के पहले वर्ष में ही 84 स्टूडेंट्स ने पंजीकरण कराया है, जो उत्साह वर्धक है।

इस यूनिवर्सिटी के स्वरूप, संरचना, पाठ्यक्रम और अन्यान्य प्रोग्राम को लेकर आगामी सात दिसम्बर को सेरिटास में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया है। सेरिटास (आर्टिसिया) यहां लघु भारत के रूप में ख़ासा चर्चित है। इस उपनगर में यत्र तत्र हिंदुस्तानी गोलगप्पे, दही भल्ले, बड़ा पाव, ढोकला अथवा डोसा खाते नज़र आएंगे। आभूषण और पहनावे में एक से एक मंहगी साड़ियों और पंजाबी सूट की दुकानों पर दूर-दूर से लोग आते हैं। कल्याण विश्वनाथ, जो अब पूर्ण कालिक तौर पर इस मिशन के साथ जुड़ गए हैं, ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व भारतीय मूलवंशी हिंदू स्कॉलरों के मन में एक विचार आया था कि अमेरिकी यूनिवर्सिटियों में जब सिख, जैन और बौद्ध चेयर हो सकती हैं, तो फिर हिंदू चेयर क्यों नहीं?

इस पर विश्व प्रसिद्ध यूसीएलए में साइकोलॉज़ी के प्रो. डॉक्टर मनोहर शिंदे बताते हैं, ”भारत की तरह अमेरिका में भी साम्यवादियों को जैन अथवा सिख चेयर से तो गुरेज़ नहीं था, हिंदू चेयर की स्थापना पर परहेज़ रहा है। हमें हिंदू चेयर की अनुमति तो नहीं मिल सकी लेकिन हिंदू यूनिवर्सिटी की स्थापना में हम ज़रूर सफल रहे हैं।”

विश्वनाथ ने बताया कि फ़्लोरिडा में हिंदू यूनिवर्सिटी के बुनियादी ढांचे, वैदिक संस्कृति, हिंदू सभ्यता, वास्तु, ज्योतिष और हिंदू धर्म शास्त्र तथा संस्कृत भाषा और योग के पाठ्यक्रमों में अब स्नातक की डिग्री और पीएचडी की डिग्री दिए जाने के लिए फ़ैकल्टी की स्थापना की जा चुकी है। दिल्ली की लॉ फैकल्टी में शिक्षित फिर वहीं पर फैकल्टी में रहे प्राध्यापक, भारतीय मूल वंशी, डेनेवर यूनिवर्सिटी की ला फेकल्टी में विधिवेता प्रो. वेदप्रकाश नंदा को इस यूनिवर्सिटी के प्रबंध मंडल का अध्यक्ष बनाया गया है।

प्रो. नंदा को पिछले साल ही पद्मभूषण से अलंकृत किया गया है। प्रो. नंदा का कथन है कि दुनिया भर में इवेंजलिकल ईसाई धर्म के हज़ारों स्कूल कॉलेज हैं, तो हिंदू यूनिवर्सिटी की संरचना में क्या दिक़्क़त हो सकती थी? उन्होंने अफ़सोस जताया कि ईसाई यूनिवर्सिटियों में न्यायिक प्रक्रिया में ईसाईयत लाई जा सकती है, तो हम अपने स्कूल कॉलेज में अपनी संस्कृति की छाप क्यों नहीं छोड़ सकते? उन्हें अफ़सोस जताया कि भारत और चीन से प्रति वर्ष हज़ारों छात्र अमेरिका आते हैं। उन्हें अपने धर्म, संस्कृति और परंपराओं के बारे कोई ज्ञान नहीं है।

विश्व न्यायिक संगठन के अध्यक्ष और क़ानून की ढेरों पुस्तकों के रचियता प्रो. वेदप्रकाश नंदा ने कहा कि उन्हें इस बात का गर्व है कि वह अमेरिकी कांग्रेस में सीनेट और प्रतिनिधि सभा के सांसदों पर अमेरिकी न्यायिक प्रक्रिया के क्षेत्र में निपुणता की छाप छोड़ चुके हैं।

 


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