नई दिल्ली, 11 जून (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के उन सभी निजी अस्पतालों को सभी मरीजों का कोरोना टेस्ट करने का आदेश दिया है। जिन्हें अपने यहां 20 फीसदी बेड कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित रखने का आदेश दिया गया है। जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई सुनवाई के बाद ये आदेश दिया।
हाईकोर्ट ने कहा कि जिस अस्पताल में कोरोना टेस्ट के लिए जरूरी उपकरण हैं और आईसीएमआर की अनुमति है वे कोरोना का टेस्ट करें। कोर्ट ने कहा कि अस्पतालों में सर्जरी के लिए पहुंचने वाले मरीजों में लक्षण हों या नहीं उनका कोरोना टेस्ट करें। कोर्ट ने आईसीएमआर को निर्देश दिया कि वे दिल्ली के उन मान्यता प्राप्त लैब्स की सूची दें जो अपने यहां कोरोना का टेस्ट करने की अनुमति मांग रहे हैं।
राकेश मल्होत्रा ने दायर याचिका में कहा है कि दिल्ली सरकार दिशा-निर्देश जारी करे कि सभी मरीजों की टेस्ट किया जाए चाहे उनमें लक्षण हों या नहीं हों। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में कोरोना के मरीजों की संख्या में खासी बढ़ोतरी हुई है। दिल्ली सरकार के मुताबिक 15 जून तक यह संख्या 50 हजार तक पहुंच जाएगी और 30 जुलाई तक ये आंकड़ा साढ़े पांच लाख पहुंच जाएगा।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा कि दिल्ली में 17 सरकारी लैब हैं जिनकी रोजाना 2900 मरीजों की जांच करने की क्षमता है। दिल्ली सरकार के मुताबिक 23 निजी लैब हैं, जिनकी रोजाना 5700 मरीजों की जांच करने की क्षमता है। दिल्ली सरकार के इस दावे पर याचिकाकर्ता ने सवाल उठाते हुए कहा कि दिल्ली सरकार ने छह निजी लैब्स को जांच करने की अनुमति नहीं दी है जिनमें एक गंगाराम अस्पताल भी है।
याचिकाकर्ता और दिल्ली सरकार की दलीलों में विरोधाभास होने के बाद कोर्ट ने दिल्ली के सभी 23 निजी लैब्स को निर्देश दिया वे हलफनामा दायर कर बताएं कि क्या उन्हें कोरोना की टेस्टिंग की अनुमति दी गई है। उन्हें हलफनामा में ये भी बताना होगा कि क्या उन्हें नौकरशाही से कोई परेशानी तो नहीं हुई। कोर्ट ने इन निजी लैब्स को 15 जून तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।