नई दिल्ली, 22 नवंबर (हि.स.)। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कानपुर के जाजमऊ में आयोजित दो दिवसीय बैठक के बाद रविवार को देर शाम जारी किए गए घोषणापत्र में केंद्र सरकार से समान नागरिक संहिता लागू नहीं किए जाने की मांग की गई है। बोर्ड ने कहा है कि भारत जैसे विशाल और विभिन्न धर्मों के मानने वाले देश में समान नागरिक संहिता की परिकल्पना करना उचित नहीं है।
बोर्ड का कहना है कि यह संभव नहीं है कि एक बड़े देश में निवास करने वाले करोड़ों लोगों पर एक समान नागरिक संहिता को थोपा जाए। बोर्ड ने सरकार से अपनी कोशिशों को विराम देने मांग की है। बोर्ड ने महिलाओं के प्रति बढ़ रहे अत्याचार, बलात्कार और दहेज उत्पीड़न जैसे मामलों की रोकथाम के लिए सख्त कानून बनाए जाने की भी मांग की है।
इससे पूर्व बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर मौलाना राबे हसनी नदवी को छठी बार निर्वाचित घोषित किए जाने का ऐलान किया गया है। इसके साथ ही बोर्ड के उपाध्यक्ष के तौर पर मौलाना अरशद मदनी और प्रोफेसर सय्यद अली मोहम्मद तकवी को निर्वाचित घोषित किया गया है। महासचिव के तौर पर मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी की नियुक्ति की घोषणा की गई है।
कोरोना वायरस महामारी के बाद कानपुर में आयोजित बोर्ड की बैठक में जारी घोषणापत्र में देशभर में पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब की शान में गुस्ताखी की वारदातों में वृद्धि होने पर भी चिंता व्यक्त की गई है। बोर्ड ने कहा है कि पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के साथ-साथ सभी धर्मों के धर्म गुरुओं और संस्थापकों आदि के खिलाफ अभद्रता और निंदा आदि की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार को एक कड़ा कानून बनाना चाहिए और इस तरह की हरकत करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
घोषणापत्र में कहा गया है कि अल्पसंख्यकों और कमजोर वर्गों के लोगों के अधिकारों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है और सरकार को इस पर किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरतनी चाहिए। बोर्ड का कहना है कि धार्मिक उन्माद फैलाने वालों और इस एजेंडे पर काम करने वालों के खिलाफ सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। बोर्ड ने वक्फ संपत्तियों को बेचने और उसे खरीदने पर रोक लगाने की भी मांग की है।
बोर्ड का कहना है कि ऐसी खबरें प्राप्त हो रही है कि वक्फ संपत्तियों को बेचा और खरीदा जा रहा है जो पूरी तरह से गलत है। सरकार को इस पर सख्त कदम उठाना चाहिए। बोर्ड ने मुसलमानों से शादी ब्याह में फिजूलखर्ची पर रोक लगाने और निकाह को आसान बनाने पर भी बल दिया है और दहेज के चलन को रोकने की भी मांग की है। बोर्ड की बैठक में देशभर से 120 से अधिक सदस्यों ने हिस्सा लिया है।