कानपुर, 27 जुलाई (हि.स.)। कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों। दुष्यंत कुमार का यह शेर लोगों के बीच अक्सर तब चर्चा में रहता है जब कोई बड़ी सफलता हासिल करता है। दुष्यंत कुमार का शेर कानपुर के कस्बे बिल्हौर से लेकर महानगर तक फिर चर्चा में बना है। हो भी क्यों न, एक छोटे से कस्बे बिल्हौर में जन्मे आकाश अवस्थी ने कस्बा, महानगर और तमिलनाडु में शिक्षा ग्रहण के बाद अब अमेरिका के ह्यूस्टन विश्वविद्यालय से शोध करने जा रहा है।
तकनीक के क्षेत्र में खासकर अमेरिका बहुत से मेधावी जाते हैं, पर वतन वापसी कुछ ही मेधावी करते हैं। लेकिन कानपुर का आकाश उन कुछ ही मेधावियों में अपने को रखना चाहता है जिन्होंने वतन वापसी की। आकाश का कहना है कि अमेरिका से शोध भारत की तरक्की के लिए वतन जरुर वापसी करुंगा।
कानपुर महानगर से करीब 60 किमी दूर बिल्हौर कस्बे के मुनीश्वर अवस्थी नगर निवासी परचून दुकानदार प्रदीप अवस्थी दिन भर ग्राहकों के बीच और रात्रि में अपनी मेहनत का सपना बेटे की सफलता पर देखता था। प्रदीप के सपने को उनका मेधावी बेटा आकाश अवस्थी काफी हद तक पूरा करता दिख रहा है और कस्बे से महानगर और तमिलनाडु से बीटेक करने के बाद अब अमेरिका के ह्यूस्टन विश्वविद्यालय से पीएचडी करने जा रहा है।
आकाश का कहना है कि यह सत्य है कि भारत में मेधावियों की कमी नहीं है और खासकर तकनीक के क्षेत्र में अमेरिका बहुत से मेधावी शोध करने जाते हैं, पर उस शोध से अमेरिका ही लाभान्वित होता है। इसके पीछे कारण कुछ भी या तो शोधार्थियों में रुपयों का लालच होता होगा या भारत में उन्हे सही प्लेटफार्म नहीं मिल पाता होगा। कुछ भी हो पर ऐसी स्थिति में भारत अपनी मेधा का लाभ नहीं उठा पाता। लेकिन मैं ऐसा नहीं करने वाला हूं और शोध करने के बाद भारत में जिस तरह का प्लेटफार्म मिलेगा उसी प्लेटफार्म पर काम करके भारत की तरक्की करना मेरा मकसद होगा।
आईआईटी कानपुर और भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर से मिली प्रेरणा
आकाश ने बताया उसने बिल्हौर में ही रहकर कक्षा आठ तक शिक्षा ली। इसके बाद कानपुर के रामबाग इलाके में अपनी बुआ के यहां रहकर कक्षा नौ से इंटर तक कानपुर के जय नारायण विद्या मंदिर कालेज में पढ़ाई की। इंटर करने के बाद तमिलनाडु के मदुरई में कलसलिंगम विश्वविद्यालय में कम्प्यूटर साइंस से बीटेक किया। बीटेक करने के दौरान ही कालेज की ओर से आईआईटी कानपुर और भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में रिसर्च वर्क किया। यहां पर रिसर्च वर्क के दौरान अमेरिका में शोध करने की प्रेरणा मिली।
12 लाख रुपये सालाना की मिली नौकरी
आकाश ने बताया मई 2020 में बीटेक कम्प्लीट होने के बाद उनका चयन मल्टीनेशनल कम्पनी ग्रेट लर्निंग में हो गया था। इस कम्पनी में उसको सालाना 12 लाख रुपये का पैकेज मिल रहा था। इसी दौरान अमेरिका के ह्यूस्टन विश्वविद्यालय में पीएचडी के लिए आवेदन किया था। आनलाइन परीक्षा व इंटरव्यू के माध्यम से मई 2021 में ह्यूस्टन विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कुलेन कालेज आफ इंजीनियरिंग में कम्प्यूटर सांइस ट्रेड में पीएचडी के लिए चयन हो गया। बताया कि पांच वर्ष के पाठ्यक्रम में प्रतिवर्ष लगभग तीस लाख रुपए की स्कॉलरशिप मिलेगी। पाठ्यक्रम पूर्ण करने के बाद दो वर्ष तक वहां कार्य करना पड़ेगा।
23 अगस्त से शुरु होंगी कक्षाएं
आकाश ने बताया कि अमेरिका जाने के लिए 12 अगस्त को दिल्ली से टिकट बुक करा लिया गया है। अगले महीने 23 अगस्त से वहां कक्षाएं शुरु होनी है। आकाश ने अपनी सफलता का श्रेय अपने अध्यापकों व परिवार वालों को दिया। आकाश की सफलता से गुरुजन, परिवार व परिचित के लोग बेहद खुश हैं। इसके साथ ही उनकी इस सफलता से बधाइयां देने वालों का तांता लगा रहता है।