एलएसी पर आकाश एयर डिफेंस सिस्टम तैनात

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चीन के लड़ाकू विमानों को अब 30 किमी. दूर व 18 हजार मीटर ऊंचाई पर मार गिराया जा सकेगा



नई दिल्ली, 27 जून (हि.स.)। चीन के किसी भी आक्रमण का जवाब देने के लिए पूर्वी लद्दाख की सीमा पर स्वदेश निर्मित आकाश एयर डिफेंस सिस्टम को तैनात किया गया है। डीआरडीओ निर्मित यह प्रणाली दुश्मन के लड़ाकू विमानों का 30 किलोमीटर पहले ही पता लगाकर उसे नीचे ला सकती है।
आकाश प्रक्षेपास्त्र भारत द्वारा स्वदेशीय निर्मित दूर की सतह से हवा में मार करने वाली प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है। इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने विकसित किया है। यह मिसाइल प्रणाली दुश्मन के विमान को 30 किमी. दूर व 18 हजार मीटर ऊंचाई तक टारगेट कर सकती है। इसमें लड़ाकू जेट विमानों, क्रूज मिसाइलों और हवा से सतह वाली मिसाइलों के साथ-साथ बैलिस्टिक मिसाइलों जैसे हवाई लक्ष्यों को बेअसर करने की क्षमता है। यह भारतीय थल सेना और भारतीय वायु सेना के साथ परिचालन सेवा में है।
आकाश प्रक्षेपास्त्र की एक बैटरी में तीन-तीन मिसाइलों के साथ चार लांचर हैं, जो सभी एक दूसरे से जुड़े हैं। प्रत्येक बैटरी 64 लक्ष्यों तक को ट्रैक कर सकती है और उनमें से 12 तक पर हमला कर सकती है। आकाश प्रणाली पूरी तरह से गतिशील है और वाहनों के चलते काफिले की रक्षा करने में सक्षम है। लांच प्लेटफार्म को दोनों पहियों और ट्रैक वाहनों के साथ एकीकृत किया गया है जबकि आकाश सिस्टम को मुख्य रूप से एक हवाई रक्षा (सतह से हवा) के रूप में बनाया गया है। इसे मिसाइल रक्षा भूमिका में भी टेस्ट किया गया है।
वायुसेना ने पहले ही लद्दाख में लड़ाकू विमान मल्टी रोल कम्बैक्ट, मिराज-2000, सुखोई-30 एस एमकेआई और जगुआर की ऐसी जगह तैनाती की है जहां से एलएसी पर नजर रखी जा रही है। कम्बैक्ट एयर पेट्रोल विमान लगातार उड़ान भर रहे हैं। इसके अलावा चिनूक हेलीकाप्टरों को लद्दाख में तैनात सैनिकों को खाद्य और रसद सामग्री पहुंचाने में लगाया गया है। पूर्वी लद्दाख सेक्टर में अमेरिकी अपाचे हेलीकॉप्टरों को उन क्षेत्रों के करीब तैनात किया गया है, जहां जमीनी सैनिक तैनात हैंं। इसके अलावा एमआई-17वी5 मीडियम-लिफ्ट हेलिकॉप्टर भी सैनिकों और सामग्री परिवहन के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

 


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