नई दिल्ली, 19 दिसम्बर (हि.स.)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को तेलंगाना के डंडीगल में एयरफोर्स अकादमी की संयुक्त स्नातक परेड का निरीक्षण करने के बाद कहा कि भारतीय वायु सेना का एक गौरवशाली इतिहास है। इसने 1971 में लोंगेवाला की लड़ाई से लेकर पिछले साल बालाकोट हवाई हमले तक हमेशा वीरता के एपिसोड प्रदर्शित किए हैं। इन सभी प्रकरणों को हमारे देश के इतिहास में स्वर्णिम अध्याय माना जाएगा। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि आप सभी अपने कर्तव्य के साथ न्याय करेंगे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उत्तरी क्षेत्र में भारत-चीन के बीच चल रहे गतिरोध से आप सभी परिचित हैं। कोविड जैसे संकट के समय में चीन का यह रवैया उस देश की नीयत को दिखाता है। दूसरी तरफ पश्चिमी क्षेत्र में हमारा पड़ोसी पाकिस्तान सीमा पर नापाक हरकतें करता रहता है। भारत से अब तक 4 युद्ध हारने के बाद भी वह अभी भी आतंक के माध्यम से छद्म युद्ध लड़ रहा है। उन्होंने उन सुरक्षा बलों की सराहना की जो इन आतंकी प्रयासों का सतर्कता से मुकाबला करते हैं। बालाकोट में भारतीय एयरफोर्स ने आतंकवाद के ख़िलाफ़ प्रभावी कार्रवाई करके पूरी दुनिया को भारतीय सेना की ताक़त और आतंक के ख़िलाफ़ उसके मज़बूत इरादों से परिचित करा दिया है। अब तो भारत आतंकवादियों के ख़िलाफ़ देश के भीतर ही नहीं बल्कि सीमा पार भी प्रभावी कार्रवाई कर रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच सैन्य और कूटनीतिक चैनल के ज़रिए बातचीत हो रही है। मैं फिर से कहना चाहूंगा कि हम संघर्ष नहीं बल्कि शांति चाहते हैं। मगर देश के स्वाभिमान पर किसी भी तरह की चोट हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम किसी भी स्थिति का मुक़ाबला करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। हमारे द्वारा उठाए गए कदमों का समर्थन कई बड़े देशों ने भी किया है। हम किसी भी विवाद का समाधान, शांतिपूर्ण और बातचीत के जरिए ही निकालने में यकीन रखते हैं। हमने यह दिखाया है कि अब यह भारत कोई कमजोर भारत नहीं है। यह एक नया भारत है जो किसी भी तरह के संक्रमण, आक्रामकता या सीमाओं पर किसी भी तरह की एकपक्षीय कार्रवाई का माकूल और मुक्कमल जवाब देने की कूवत रखता है। आज लद्दाख़ में मौजूद हमारी सेनाएं आवश्यक हथियार, इक्विपमेंट, कपड़े और राशन से लैस हैं, तो इसमें भारतीय एयरफोर्स का पूरा योगदान है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इंडियन एयरफोर्स एकेडमी की पासिंग आउट परेड में शामिल कैडेट्स को संबोधित करते हुए कहा कि आप सभी के बीच आकर मुझे बेहद खुशी और गौरव की अनुभूति हो रही है। साथियों, अब आप जिस संगठन के अंग हैं, उसका एक गौरवशाली इतिहास रहा है। देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा के लिए भारतीय वायुसेना ने जरूरत पड़ने पर दुश्मनों के हौसले पस्त करने वाले शौर्य और पराक्रम का प्रदर्शन किया है। राजनाथ सिंह ने कहा कि 1961 के गोवा मुक्ति संग्राम से लेकर 65 के भारत-पाकिस्तान युद्ध, 71 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम, 84 के ऑपरेशन मेघदूत, 99 में ऑपरेशन ‘सफ़ेद सागर’ और हाल ही में बालकोट स्ट्राइक जैसे वीरता के एपिसोड हैं जो न केवल वायुसेना के लिए बल्कि हमारे देश के इतिहास के ‘स्वर्ण अध्याय’ हैं। हमारे वायु योद्धाओं ने जिस तरह अपना सर्वस्व दांव पर लगाकर देश की आन-बान और शान पर कोई आंच नहीं आने दी, वह अपने आप में एक मिसाल है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि इंडियन एयरफोर्स, आर्मी, नेवी, कोस्टगार्ड और हिंदुस्तान एरोनोटिक्स लिमिटेड के प्रशिक्षुओं को ट्रेनिंग देने वाली इस अकादमी ने देश को एक से बढ़कर एक शानदार अधिकारी दिए हैं। इन अधिकारियों ने न केवल अपना, बल्कि भारत का नाम भी ऊंचा किया है। वायुसेना की यह प्रतिष्ठित एकेडमी अपनी गोल्डन जुबली से बस कुछ कदम दूर है, इसलिए हमें संकल्प लेने की जरूरत है कि अपने राष्ट्र की सुरक्षा, सम्मान और उसके प्रति समर्पण को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। अपने देश का प्रहरी होने की ज़िम्मेदारी मिलना बड़े सौभाग्य की बात होती है। मुझे पूरा भरोसा है कि आप इस ज़िम्मेदारी को पूरी मुस्तैदी और ईमानदारी से निर्वाह करेंगे। आने वाले दिनों में सेना के जिम्मे केवल जल-थल-वायु की रक्षा सीमित नहीं रहेगी। यह एक ऐसी गतिशील चुनौती होगी जिसके लिए हमें आने वाले दिनों में खुद को तैयार करना होगा।
उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा के लिए एक तरफ जहां हमने स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट ‘तेजस’ को शामिल किया तो दूसरी ओर पांचवीं पीढ़ी के मल्टीरोल फाइटर प्लेन राफेल को भी शामिल किया गया है। इससे एयरफोर्स की क्षमताओं में वृद्धि हुई है और एयरफोर्स में एक नया आत्मविश्वास भी आया है। वायु रक्षा और समुद्री कमान के बारे में विचार विमर्श चल रहा है, जो आने वाले समय में हमारी सेनाओं को एकीकृत और व्यापक तरीके से काम करने में सहूलियत देगा। इस वर्ष 1971 के युद्ध में हुई विजय की स्वर्ण जयंती मनायी जा रही है। यह साल उन सभी योद्धाओं को याद करने का है जिन्होंने भारत के लिए पराक्रम और शौर्य की दास्तान लिखी और कई बहादुरों ने अपनी जान तक क़ुर्बान कर दी।