नई दिल्ली, 08 जून (हि.स.)। भारतीय वायुसेना ने आइसोलेटेड ट्रांसपोर्टेशन के लिए एक एयरबोर्न रेस्क्यू पॉड का डिजाइन, विकास और निर्माण किया है। इसका उपयोग उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्र, अलग-थलग और दूरदराज के स्थानों से गंभीर संक्रामक रोगियों की निकासी के लिए किया जाएगा।
दरअसल कोविड-19 को महामारी घोषित किये जाने के बाद एक हवाई यात्रा के दौरान एक कोविड रोगी से संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए वायुसेना ने वायु निकासी प्रणाली की आवश्यकता को महसूस किया था। सबसे पहले प्रोटोटाइप को विकसित किया गया जिसमें बाद में कई बदलाव किये गए। प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ आह्वान का समर्थन करते हुए इस एयरबोर्न रेस्क्यू पॉड को बनाने में केवल स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है। इसे विकसित करने में सिर्फ साठ हजार रुपये की लागत आई है, जो साठ लाख रुपये तक की लागत वाली आयातित प्रणालियों की तुलना में बहुत कम है।
वायुसेना के प्रवक्ता ने बताया कि इसके निर्माण में एविएशन प्रमाणित सामग्री का उपयोग करके हल्के आइसोलेशन सिस्टम के रूप में विकसित किया गया है। इसमें रोगी को देखने के लिए एक पारदर्शी और टिकाऊ उच्च गुणवत्ता वाली प्लास्टिक शीट लगाई गई है जो मौजूदा मॉडलों की तुलना में ज्यादा बेहतर है। यह प्रणाली चिकित्सा निगरानी उपकरणों के साथ रोगी को वेंटिलेशन की सुविधा भी देती है। इसके अलावा यह हवाई परिवहन के दौरान कर्मचारियों और ग्राउंड क्रू सदस्यों में संक्रमण का जोखिम रोकने में भी सक्षम है। यह एयरबोर्न रेस्क्यू पॉड में हाई एफिशिएंसी पार्टिकुलेट एयर (एचईपीए) एच-13 क्लास फिल्टर का उपयोग किया गया है। इसका डिजाइन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड और संयुक्त राज्य अमेरिका के रोग नियंत्रण केंद्र द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों के आधार पर किया गया है।