नई दिल्ली, 10 सितम्बर (हि.स.)। भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने कहा कि राफेल लड़ाकू विमानों के बेड़े में शामिल होने से निस्संदेह भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ेगी बल्कि फ्रांस और भारत के बीच रणनीतिक संबंध एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बनेंगे। राफेल विमानों को समय पर ऑपरेशनल किया जाना फ्रेंच सरकार, फ्रांसीसी वायुसेना और फ्रांस की निर्माता कंपनी के सहयोग बिना संभव ही नहीं था। राफेल विमान उन्नत हथियारों से फायरिंग करने सहित अन्य लड़ाकू बेड़े के साथ यहां की पहाड़ियों में उड़कर भारत के वातावरण से परिचित हो चुके हैं।
वायुसेना प्रमुख भदौरिया गुरुवार को अम्बाला एयरबेस पर राफेल लड़ाकू विमानों को वायुसेना के बेड़े में औपचारिक रूप से शामिल किये जाने के लिए आयोजित भव्य समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अंबाला एयर फ़ोर्स स्टेशन वायुसेना का सबसे पुराना एयरबेस होने के साथ-साथ अब हमारे सबसे नए एयरक्राफ्ट का घर होगा। हम इस बेस पर स्क्वाड्रन ‘गोल्डन एरो’ को पुनर्जीवित करके अंबाला और भारतीय वायुसेना के गौरवशाली इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ रहे हैं, जिसमें हमारी रुचि के क्षेत्रों तक तेजी से पहुंचने की क्षमता है। आप सभी ने राफेल को आसमान पर जाते और उसके कुछ युद्धाभ्यास और चपलता का प्रदर्शन देखा है। मिशनों की पूरी श्रृंखला और इस बेड़े में क्षमता वृद्धि आईएएफ के लिए और भी अधिक प्रभावशाली है।
एयर चीफ मार्शल ने कहा कि राफेल विमान इस समारोह से पहले ही हमारे परिचालन उड़कर यहां के वातावरण से परिचित हो चुके हैं। इस बीच उन्नत हथियारों की फायरिंग सहित अन्य लड़ाकू बेड़े के साथ गहन एकीकृत प्रशिक्षण लिया है। इसलिए आज का यह औपचारिक समारोह सिर्फ इनके वायुसेना में पूरी तरह से ऑपरेशनल किये जाने के लिए आयोजित किया गया है। राफेल विमानों को समय पर ऑपरेशनल किया जाना फ्रांस की सरकार, फ्रांसीसी वायुसेना और फ्रांस की कंपनी के सहयोग बिना संभव ही नहीं था। कोविड-19 के दौरान बाधाओं के बावजूद फ्रांस ने समय पर आपूर्ति सुनिश्चित की। इसके लिए भारतीय वायुसेना फ्रांस के सशस्त्र बलों की मंत्री फ्लोरेंस पैली का विशेष रूप से आभारी है, उनका बहुत बहुत धन्यवाद।
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि आज हम जो कुछ देख रहे हैं, वह सरकार की निर्णायक कार्रवाई का परिणाम है। मध्यम मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट की खरीद में गतिरोध को तोड़कर रक्षा मंत्रालय ने फ्रांसीसी सरकार के साथ 36 विमानों का अधिग्रहण करने के लिए त्वरित कार्रवाई की। मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य को देखते हुए राफेल विमानों को वायुसेना के बेड़े में शामिल करने के लिए इससे अधिक उचित समय नहीं हो सकता था। भारतीय वायुसेना की ओर से मैं उन सभी के लिए अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करना चाहूंगा, जिन्होंने इस जटिल अधिग्रहण को संभव बनाकर भारतीय वायुसेना के लिए आज का दिन ऐतिहासिक बना दिया। राफेल विमानों के लिए बनाई गई पहली स्क्वाड्रन 17 गोल्डन एरो भी आज धन्य हो गई है। फ्रांस से 8300 किलोमीटर की हवाई यात्रा करके पांचों राफेल विमान 29 जुलाई को अंबाला पहुंचे थे। इसके बाद यह स्क्वाड्रन वास्तव में व्यस्त हो गई है और परिचालन के लिए एक ओवरड्राइव में है।