चंडीगढ़,16 जून (हि.स.)। पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर कांग्रेस की स्थिति बेहद असहज हो गई है। सिद्धू न तो पंजाब मंत्रिमंडल के लिए ‘फिट’ हो रहे हैं और न ही पार्टी उन्हें केंद्रीय संगठन में लेने के इरादे में है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिद्धू के टकराव के समाधान के लिए राहुल गाँधी द्वारा नियुक्त किये केंद्रीय नेता व सांसद अहमद पटेल सोमवार को चंडीगढ़ पहुंच रहे हैं। पंजाब सरकार में अपना विभाग बदले जाने के बाद से सिद्धू ने न तो विभाग का कार्यभार संभाला है और न ही सार्वजनिक रूप से सामने आ रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि अहमद पटेल के सोमवार को यहाँ आने का कार्यक्रम तो है परन्तु कोई भी इस बात की पुष्टि को तैयार नहीं।
पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनने के साथ ही कैप्टन और सिद्धू में तनातनी बन गई थी, जो अब इस हद तक बढ़ गई कि दोनों ही एक-दूसरे खिलाफ कोई मौका हाथ से नहीं जाने दे रहे। मुख्यमंत्री ने सार्वजानिक घोषणा करके सिद्धू का विभाग बदला तो सिद्धू भी कैप्टन की शिकायत करने राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी के पास चले आये थे। तभी अहमद पटेल को इस तनातनी को निपटने का कार्य सौंपा गया था। राहुल विदेश गए हैं और उनके 19 जून को वापस आने की उम्मीद है। तबतक अहमद पटेल कैप्टन-सिद्धू विवाद को निपटाने का इरादा रखते हैं। अहमद पटेल और कैप्टन के मध्य 15 जून को दिल्ली में अनौपचारिक मुलाकात की सूचना थी, जब मुख्यमंत्री को दिल्ली में नीति आयोग की बैठक में भाग लेने आना था, परन्तु खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर वे दिल्ली नहीं पहुंचे। अब पटेल के चंडीगढ़ आने की सूचना है।
कांग्रेस के उच्चस्तरीय सूत्रों का कहना था कि सिद्धू को कैप्टन मंत्रिमंडल में ही फिट करने के प्रयास होंगे क्योंकि वर्तमान हालातों में कैप्टन अमरिंदर सिंह को चुनौती देना इस वक्त इसलिए भी मुश्किल है क्योंकि पार्टी नेतृत्व के संकट से जूझ रही है। लोकसभा चुनाव में सिद्धू पार्टी के स्टार प्रचारक रहे परन्तु उनके पाकिस्तान के प्रति हमदर्दी के आरोपों से पार्टी को तब नुकसान भुगतना पड़ा, जब भाजपा ने चुनावों में राष्ट्रवाद का मुद्दा खड़ा कर दिया। ऐसे में अब सिद्धू का मामला पार्टी के लिए परेशानी का कारण बन गया है।
जानकारी अनुसार अहमद पटेल सोमवार को चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री से उनके निवास पर मिलेंगे। इस सन्दर्भ में अहमद पटेल, पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ से भी संपर्क किया गया परन्तु न संपर्क हो पाया और न ही नेताओं ने सन्देश का जवाब दिया।