छत्तीसगढ़ में मछली पालन को कृषि का दर्जा, भूपेश सरकार का सराहनीय फैसला

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रायपुर, 23 जुलाई (हि.स.)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कैबिनेट द्वारा बीते 20 जुलाई को राज्य में मछली पालन को कृषि का दर्जा देने का फैसला सराहनीय है। सरकार के इस फैसले से मछुआरों को मत्स्य पालन के लिए किसानों के समान ब्याज रहित ऋण सुविधा मिलने के साथ ही जलकर और विद्युत शुल्क में भी छूट का लाभ मिलेगा। इससे राज्य में मछली पालन को बढ़ावा मिलने के साथ ही इससे जुड़े दो लाख 20 हजार लोगों की स्थिति में सकारात्मक बदलाव आएगा।

मत्स्य पालन विभाग से शुक्रवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में बीते ढाई सालों में छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों से मछली पालन के क्षेत्र में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है। राज्य में ढाई सालों में मत्स्य बीज उत्पादन के मामले में 13 प्रतिशत और मत्स्य उत्पादन में नौ प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है। कृषि का दर्जा मिलने से मत्स्य पालन के क्षेत्र में राज्य अब और तेजी से आगे बढ़ेगा, यह संभावना प्रबल हो गई है। छत्तीसगढ़ राज्य में मत्स्य पालन के लिए अभी मछुआरों को एक प्रतिशत ब्याज पर एक लाख तक तथा 3 प्रतिशत ब्याज पर अधिकतम 3 लाख रुपये तक ऋण मिलता था। इस क्षेत्र को कृषि का दर्जा मिलने से अब मत्स्य पालन से जुड़े लोग सहकारी समितियों से अब अपनी जरूरत के अनुसार शून्य प्रतिशत ब्याज पर सहजता से ऋण प्राप्त कर सकेंगे।

राज्य में मछली पालन के लिए 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई बांधों एवं जलाशयों से नहर के माध्यम से जलापूर्ति आवश्यकता पड़ती थी, जिसके लिए मत्स्य कृषकों एवं मछुआरों को प्रति 10 हजार घन फीट पानी के बदले चार रुपये का शुल्क अदा करना पड़ता था, जो अब उन्हें फ्री में मिलेगा। मत्स्य पालक कृषकों एवं मछुआरों को प्रति यूनिट 4.40 रुपये की दर से विद्युत शुल्क भी अदा नहीं करना होगा। सरकार के इस फैसले से मत्स्य उत्पादन की लागत में प्रति किलो लगभग 10 रुपये की कमी आएगी, जिसका सीधा लाभ मत्स्य पालन व्यवसाय से जुड़े लोगों को मिलेगा।

बताते चलें कि छत्तीसगढ़ मत्स्य बीज उत्पादन एवं मत्स्य उत्पादन में देश में छठवें स्थान पर है। मछली पालन को कृषि का दर्जा मिलने से राज्य 6 वें पायदान से ऊपर की ओर अग्रसर होगा और मत्स्य पालन के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनेगा। राज्य में वर्तमान में 93 हजार 698 जलाशय और तालाब विद्यमान हैं, जिनका जल क्षेत्र एक लाख 92 हजार हेक्टेयर है। इसमें से 81 हजार 616 जलाशयों एवं तालाबों का एक लाख 81 हजार 200 हेक्टेयर जल क्षेत्र मछली पालन के अंतर्गत है, जो कुल उपलब्ध जल क्षेत्र का 94 प्रतिशत है।

मत्स्य बीज उत्पादन के मामले में छत्तीसगढ़ राज्य न सिर्फ आत्मनिर्भर है, बल्कि यहां से मत्स्य बीज की आपूर्ति पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश, महाराष्ट्,र आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और बिहार को होती है। छत्तीसगढ़ राज्य में वर्तमान में 288 करोड़ मत्स्य बीज फ्राई तथा 5.77 लाख मीट्रिक टन मछली का उत्पादन प्रतिवर्ष होता है। राज्य की मत्स्य उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 3.682 मीट्रिक टन है, जो राष्ट्रीय उत्पादकता 3.250 मीट्रिक टन से लगभग 0.432 मीट्रिक टन अधिक है।

राज्य में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने और मत्स्य कृषकों मछुआरों को सहूलियत देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा नवीन मछली पालन नीति तैयार की जा रही है। इसके लिए कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे की अध्यक्षता में गठित समिति ने मछुआरों को उत्पादकता बोनस दिए जाने, ऐसे एनीकट जिनका क्षेत्रफल 20 हेक्टेयर तक है, उसे स्थानीय मछुआरों के निःशुल्क मत्स्याखेट के लिए सुरक्षित रखने तथा मछुआ जाति के लोगों की सहकारी समिति को सर्वाेच्च प्राथमिकता के आधार पर जलाशयों को मछली पालन के लिए पट्टे पर देने की सिफारिश की है।


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