चुनाव रद्द होने के बाद मंत्री भूपेंद्रसिंह चुडासमा को विधानसभा अध्यक्ष ने दिए पद से हटाने के संकेत

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अहमदाबाद, 13 मई (हि.स.)। गुजरात के कानून और शिक्षा मंत्री भूपेंद्रसिंह चुडासमा ने अपने चुनाव को रद्द करने वाले गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी है। लेकिन कानूनविदों की मानें तो को सुप्रीम काेर्ट से फौरी कोई मदद नहीं मिलने की उम्मीद कम है। गुजरात विधानसभा अध्यक्ष ने भी फैसले की प्रति मिलने के बाद उनको मंत्रिमडल से हटाने के संकेत दिये हैं।
बुधवार को गुजरात विधानसभा के स्पीकर राजेंद्र त्रिवेदी ने कहा कि अगर हाई कोर्ट के फैसले की प्रति उन्हें मिलती है, तो स्वाभाविक रूप से भूपेंद्र सिंह को विधायक पद से हटा दिया जाएगा, लेकिन अभी तक हाई कोर्ट के आदेश प्रति प्राप्त नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट कोई अंतरिम आदेश जारी करता है, तो चुडासमा की विधायिकी अंतिम फैसले तक रहेगी। उन्होंने कहा कि अगर गुजरात सरकार, मुख्यमंत्री और भाजपा आलाकमान चाहें तो भूपेंद्र सिंह चुडासमा अपने विधायक पद से हटने के बाद भी मंत्री बने रह सकते हैं। लेकिन इसके लिए भूपेंद्र सिंह को नियमों के अनुसार छह महीने में निर्वाचित होकर विधानसभा में आना होगा। उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने हाई कोर्ट के फैसले के बाद पार्टी और सरकार की ओर से सबसे पहली प्रतिक्रिया व्यक्त करते कहा था कि हम सब उनके साथ हैं।
धोलका विधानसभा क्षेत्र से 2017 में शिक्षा मंत्री भूपेंद्रसिंह चुडासमा ने विधानसभा चुनाव में धोलका सीट से मात्र 327 मतों के अंतर से जीती थी। इस सीट से चुनाव हारने के बाद कांग्रेस के उम्मीदवार अश्विन राठौर ने गुजरात हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। राठौर ने याचिका में आरोप लगाया था कि 2017 के चुनाव की मतगणना में धांधली की गयी थी। हाई कोर्ट ने मंगलवार को फैसले में कहा कि चुडासामा को पोस्टल बैलेट के 429 वोट रद्द करके विजयी घोषित किया गया था जबकि 429 डाक मतपत्रों को रद्द करने का निर्णय अवैध है। ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।


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