अफगानिस्तान में हिंसक कैदियों को मुक्त करने से इंकार कर रहे पश्चिमी देश

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नई दिल्ली, 19 जून (हि.स.)। अफगानिस्तान सरकार कुछ हिंसक हमलों के आरोपी सैकड़ों कैदियों को मुक्त करने से इंकार कर रही हैं, जबकि  तालिबान द्वारा शांति वार्ता शुरू करने की यह एक प्रमुख शर्त रही है। यह मुद्दा गतिरोध का अंतिम प्रमुख बिंदु है, जिसे अगर हल किया जाता है तो उम्मीद की जा सकती है कि 18 से अधिक वर्षों के युद्ध को समाप्त करने के उद्देश्य से कतर में अमेरिका समर्थित अफगान शांति वार्ता जल्द आगे बढ़ेगी।

एक वरिष्ठ अफगान सरकारी सूत्र ने बताया कि अभी सबसे विवादास्पद हिस्सा कैदियों की रिहाई का मुद्दा है। दो यूरोपीय राजनयिक, एक एशियाई राजनयिक और एक अन्य अफगान अधिकारी ने इसकी पुष्टि की। एक वरिष्ठ यूरोपीय राजनयिक ने कहा कि रिहाई की सूची में नामित कुछ खतरनाक तालिबानी लड़ाके हैं और उन्हें रिहा करना खतरनाक हो सकता है। नाटो के कुछ सदस्य ऐसे तालिबान कैदियों की रिहाई का समर्थन करने में बहुत असहज महसूस करते हैं जो अल्पसंख्यक समूहों और बड़े पैमाने पर आत्मघाती हमलों के पीछे थे।

अफगानिस्तान सरकार के साथ बातचीत का मार्ग प्रशस्त करने के लिए तालिबान ने फरवरी में अमेरिका के साथ एक सैन्य वापसी समझौते पर हस्ताक्षर किया। लेकिन विद्रोही समूह ने 5,000 कैदियों की रिहाई के लिये एक सूची जारी की। जिससे कुछ महीनों की देरी हुई क्योंकि अफगान सरकार ने बातचीत से पहले कैदियों को रिहा करने से इनकार कर दिया।

एक अफगान सुरक्षा स्रोत और एक राजनयिक स्रोत ने कहा कि अमेरिका ने भी तालिबान द्वारा जारी सूची के बारे में कुछ आपत्ति प्रकट की थी, जिनको नाटो और अफगान सरकार रिहा करने पर आपत्ति कर रहे थे। इस बारे में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि वह चाहते थे कि शांति वार्ता जल्द से जल्द शुरू हो। दूसरी ओर तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने गुरुवार को कहा कि सभी 5,000 कैदियों को को रिहा किया जाए ताकि बातचीत शुरू हो सके।

 


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