सांस रोकने का अभ्यास करें कोरोना से बचाव के लिए , फेफड़ों को स्वस्थ बनाएं

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नई दिल्ली, 19 मई(हि.स.)। कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की मांग में काफी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी. के. पॉल के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर में बड़ी संख्या में लोगों को सांस लेने में तकलीफ की शिकायत हुई है। सांस लेने की तकलीफ एक लक्षण के तौर पर देखा गया है। इसलिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने फेफड़ों को स्वस्थ्य बनाने पर जोर दिया है और लोगों से कुछ व्यायाम करने की सलाह दी है।
डॉ. अरविन्द कुमार चेस्ट सर्जरी इन्स्टीट्यूट के अध्यक्ष मेदांता फाउंडर तथा मैनेजिंग ट्रस्टी लंग केयर फाउंडेशन ने बताया कि कोरोना के 90 प्रतिशत मरीज फेफड़े में तकलीफ का अनुभव करते हैं लेकिन यह गंभीर समस्या नहीं है। 10-12 प्रतिशत लोगों में निमोनिया विकसित हो जाता है, यह फेफड़े का संक्रमण होता है। बहुत कम मरीजों में ऑक्सीजन के सहारे की जरूरत पड़ती है। उन्होंने बताया कि सांस रोक कर रखेने का अभ्यास एक ऐसी तकनीक है जो मरीज की ऑक्सीजन आवश्यकता को कम कर सकती है और उन्हें अपनी स्थिति की निगरानी करने में मदद दे सकती है। यदि सांस रोक कर रखने के समय में कमी होने लगती है तो यह पूर्व चेतावनी का संकते है और मरीज को अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। दूसरी ओर, यदि मरीज सांस रोक कर रखने के समय में धीरे-धीरे वृद्धि करने में सक्षम होता है तो यह सकारात्मक संकेत है।
स्वस्थ व्यक्ति भी सांस रोक कर रखने का अभ्यास कर सकते हैं। यह अभ्यास उन्हें अपने फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मदद करेगा।
सांस रोक कर रखने का अभ्यास कैसे करें
• सीधा बैठें और अपने हाथों को जांघों पर रखें
• अपना मुंह खोलें और सीने में जितना अधिक वायु भर सकते हैं भरें।
• अपने होठों को कस कर बंद कर लें।
• अपनी सांस को जितना अधिक समय तक रोक कर रख सकते हैं रोकें।
• जांचें कि आप कितने समय तक अपनी सांस रोक कर रख सकते हैं।
मरीज एक घंटे में एक बार यह अभ्यास कर सकते हैं और धीरे-धीरे प्रयास करके सांस रोक कर रखने का समय बढ़ा सकते हैं। 25 सेकेंड और उससे अधिक समय तक सांस रोक कर रखने वाले व्यक्ति को सुरक्षित माना जाता है। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ज्यादा जोर न लगे और इस प्रक्रिया में थकान न हो जाए।

 


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