नई दिल्ली, 08 दिसम्बर (हि.स.)। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के बैनर तले विश्वविद्यालय के एडहॉक शिक्षकों का समायोजन सहित विभिन्न मांगों को लेकर धरना रविवार को भी जारी रहा। आंदोलन के पांचवें दिन कुलपति कार्यालय के बाहर बड़ी संख्या में आंदोलनरत शिक्षकों के परिजन भी पहुंचे। वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन ने आज एक बार फिर से डूटा से आंदोलन वापस लेने की अपील की।
डीयू के रजिस्ट्रार प्रो. तरुण दास ने वरिष्ठ शिक्षाविदों और दिल्ली विश्वविद्यालय की कुछ संकाय के प्रमुखों (डीन) के साथ आज हुई बैठक का हवाला देते हुए डूटा के मौजूदा आंदोलन को विश्वविद्यालय की गरिमा को क्षति पहुंचाने वाला करार दिया। उन्होंने कहा कि आंदोलन से विद्यार्थियों के हित प्रभावित हो रहे हैं।
उन्होंने डूटा और इसके सदस्यों से शिक्षकों और अन्य शैक्षणिक कर्मचारियों की सार्वभौमिक योग्यता और कॉलेजों में नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता पर शिक्षकों के पेशेवर नैतिकता के कोड का पालन करने का आग्रह किया है जो उच्च शिक्षा 2018 में मानकों के रखरखाव के लिए शिक्षकों को चाहिए।
वहीं शिक्षकों ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए सोमवार को मंडी हाउस से संसद तक मार्च निकालने की घोषणा की है। शिक्षकों ने कहा कि गुरुवार को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव (उच्च शिक्षा) आर. सुब्रमण्यम से हुई बातचीत से उन्हें कुछ भी हासिल नहीं हुआ है। सरकार ने 28 अगस्त का अतिथि शिक्षकों की नियुक्तियों के लिए जारी पत्र को वापस नहीं लिया है, केवल उसमें कुछ संशोधन कर केवल मौजूदा सत्र तक एडहॉक शिक्षकों को राहत दी है। इसमें समायोजन, एडहॉक सर्विस के अनुभव को जोड़ने, प्रोमोशन और पेंशन आदि किसी भी मांग को पूरा नहीं किया गया है।
उल्लेखनीय है कि एडहॉक शिक्षक बुधवार से कुलपति कार्यालय के बाहर धरनारत हैं। उन्होंने उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन सहित तमाम शैक्षणिक कार्यों का भी बहिष्कार कर रखा है।