जयपुर, 25 मई (हि.स.) । आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी में आठ हजार करोड़ रुपये की ठगी के मामले में एसओजी जयपुर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 11 पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया है। एसओजी के डीजी भूपेन्द्र सिंह यादव ने शनिवार को प्रेस वार्ता कर इसकी जानकारी दी।
यादव ने बताया कि कार्रवाई में सोसाइटी के पूर्व चेयरमेन वीरेन्द्र मोदी और कमलेश चौधरी को गिरफ्तार किया गया है। इनके अलावा इस मामले में सोसाइटी के चेयरमेन ईश्वर सिंह सिंहल, पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर प्रियंका मोदी, वरिष्ठ अध्यक्ष वैभव लोढ़ा, सीएफओ समीर मोदी, सहायक मैनेजिंक डायरेक्टर रोहित मोदी, पूर्व एमडी ललिता राजपुरोहित, 6 कंपनीज ऑफ आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव बैंक के निदेशक विवेक पुरोहित, आदित्य मेगा प्रोजेक्ट कंपनी के डायरेक्टर भरत मोदी और टेक्टोनिक इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी के भरत दास वैष्णव समेत कुल 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
उन्होंने बताया कि सोसायटी की प्रदेश में 309 शाखाओं में 20 लाख सदस्यों के साथ ठगी हुई है। अगस्त 2018 में एसओजी को सूचना मिली की सोसाइटी की स्थापना मुकेश मोदी ने की है। सोसाइटी की देशभर में 806 शाखाएं संचालित हैं। इनमें से अकेले राजस्थान में 309 शाखाएं खोलकर 20 लाख सदस्यों को जोड़ा गया है, जिनमें से 50 फीसदी सदस्य सोसाइटी में निवेश कर चुके है।
यादव ने बताया कि सोसाइटी ने निवेशकों का 8000 करोड़ रुपये फर्जी (शैल) कंपनियों में पुनःनिवेश कर दिया। मुकेश और वीरेंद्र ने अपने बेटे-बेटियों को पिछले कई वर्षों में विधि विरुद्ध तरीके से 270 करोड़ रुपये अनुग्रह राशि के रूप में दे दिए। इसके अलावा मुकेश मोदी ने अपनी पत्नी और दामाद को सोसाइटी का हिस्सा नहीं होने के बावजूद उन्हें सलाहाकार नियुक्त कर पिछले तीन वर्षों में 720 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया। 28 दिसंबर 2018 को एसओजी ने इस पर कार्रवाई करते हुए मामला दर्ज किया, जिसका अनुसंधान दिल्ली एसओजी में एएसपी सत्यपाल मिढा ने किया।
उन्होंने बताया कि अनुसंधान में सामने आया कि मोदी परिवार ने अपने मित्रों और सगे-संबंधियों के नाम पर 187 ऋण खातों में 20 लाख निवेशकों से प्राप्त हुई राशि का 99 प्रतिशत पुनः निवेश शैल कंपनियों को अवैध तरीके से सदस्य बनाकर कर दिया। इस ऋण राशि से शैल कंपनी की अर्जित सम्पतियों को अपनी अकाउंट में कई गुणा अधिक मूल्य पर दिखाया। जिसकी वजह से वित्त वर्ष 31 मार्च 2019 को सोसायटी के इन सभी ऋण खातों में 14682 करोड़ 24 लाख 42 हजार 239 रुपये बकाया चल रहे है। ये बकाया राशि लाखों निवेशकों की निवेश राशि है, जिसका दुरुपयोग किया गया। इस दौरान अधिकांश निवेशक अपनी रकम मांगते रहे लेकिन सोसायटी ने उनका भुगतान नहीं किया। सघनता से जांच में पाया गया कि महावीर कंसलटेंसी ने किसी भी प्रकार की सेवाएं सोसायटी को नहीं दी। लेकिन एमएससीएस अधिनियम 2002 के प्रावधान और सोसायटी के रजिस्टर्ड के विपरीत सोसायटी की ओर से मुकेश मोदी और वीरेंद्र मोदी के बेटा-बेटी और दामाद को 270 करोड़ रुपये का भुगतान विधि विरुद्ध तरीके से किया गया। भूपेन्द्र ने बताया कि सोसायटी की शैल कंपनी और फर्म के पास 31 मार्च 2016 में 223 करोड़ 77 लाख 50 हजार रुपये थे। लेकिन नोटबंदी के बाद सोसायटी ने इसे शेयर एप्लीकेशन मनी के रूप में दिया। जांच के बाद यह स्पष्ट हो गया कि पैसे कभी भी सोसायटी को मिले हीं नही थे, बल्कि सोसायटी ने शैल कंपनी की शेयर एप्लीकेशन मनी को रिजेक्ट करते हुए आरटीजीसी वापस कर लाखों निवेशकों को गलत तरीके से क्षति दिखाई गई।