आजादी वाले बयान पर कंगना ने फिर रखा अपना पक्ष

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अपने आजादी वाले बयान को लेकर विवादों में फंसी कंगना रनौत ने एक बार फिर से अपना पक्ष रखा है और अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट साझा करते हुए लिखा-‘साल 2015 में बीबीसी द्वारा एक लेख प्रकाशित है जिसमें यह तर्क दिया गया है कि ब्रिटेन ने भारत के साथ किए गलत पर कोई सुधार नहीं किया था। इसकी कोई हानिपूर्ति नहीं की थी। कैसे गोरे उपनिवेश और उनके हमदर्द आज के समय में ऐसी बकवास बातें करके निकल जाते हैं? अगर आप इसे समझने की कोशिश करेंगे तो इसका जवाब आपको मेरे दिए गए बयान में ही मिल जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे राष्ट्र निर्माताओं ने भारत में किए गए अनगिनत अपराधों के लिए हमारे देश के धन को लूटने से लेकर हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को बेरहमी से मारने, हमारे देश को दो भागों में विभाजित करने के लिए स्वतंत्रता के समय किए गए अपराधों के लिए अंग्रेजों जिम्मेदार नहीं ठहराया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अंग्रेजों ने अपनी मर्जी से भारत छोड़ दिया। विंस्टन चर्चिल को युद्ध नायक के रूप में सम्मानित किया गया। यह वही व्यक्ति था जो बंगाल के अकाल के लिए जिम्मेदार था क्या उनके अपराधों के लिए स्वतंत्र भारत की अदालतों में कभी उनके खिलाफ मुकदमा चलाया गया था? नहीं। एक अंग्रेज श्वेत व्यक्ति सिरिल रैडक्लिफ, जो पहले कभी भारत नहीं आया था उसे विभाजन की रेखा खींचने के लिए अंग्रेजों द्वारा भारत लाया गया था जिसने पांच हफ्ते में यह काम कर दिया था। कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों ही उस समिति के सदस्य थे जिसने अंग्रेजों द्वारा खींची गई विभाजन रेखा की शर्तों को तय किया, जिसका नतीजा यह निकला कि लगभग दस लाख लोग मारे गए। क्या इतने दुख से मरने वालों को आजादी मिली? क्या ब्रिटिश या कांग्रेस, जो विभाजन रेखा से सहमत थे विभाजन के बाद हुए नरसंहार के लिए जिम्मेदार थे? नहीं।’

इसके बाद कंगना ने अपनी पोस्ट में जवाहरलाल नेहरू के एक पत्र का जिक्र करते हुए लिखा-‘हमारे प्रथम प्रधानमंत्री, श्री जवाहर लाल नेहरू की ओर से 28 अप्रैल 1948 को ब्रिटिश सम्राट को एक पत्र है, जिसमें भारत के गवर्नर जनरल के रूप में पश्चिम बंगाल के तत्कालीन गवर्नर की नियुक्ति के लिए ब्रिटिश स्वीकृति का अनुरोध किया गया है। अगर ऐसा कोई पत्र है तो क्या आप मानते हैं कि कांग्रेस ने अंग्रेजों को उनके अपराधों के लिए जवाबदेह ठहराने की कोशिश की? अगर हां तो मुझे बताइए की मेरी बात गलत कैसे है।स्वतंत्र भारत के लिए अपनी जान देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को क्या पता था कि ब्रिटिश और हमारे राष्ट्र निर्माता अविभाजित भारत को दो हिस्सों में बांट देंगे, जिसके कारण दस लाख लोग इतनी बुरी तरह से मारे जाएंगे? मैं यह कहकर अपनी बात बात खत्म करना चाहती हूं कि अगर हम भारत में किए गए असंख्य अपराधों के लिए अंग्रेजों को जिम्मेदार नहीं ठहराते हैं, तब भी हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान कर रहे हैं। जय हिंद!’

उल्लेखनीय है कि कंगना रनौत ने हाल ही में एक बयान में कहा था कि-‘देश को 1947 में तो आजादी भीख में मिली थी जबकि देश को असली आजादी साल 2014 में मिली।’ कंगना के इस बयान के बाद उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है और फैंस उनसे हाल ही में मिले पद्मश्री पुरस्कार को वापस करने की मांग करने लगे। इसके बाद कंगना ने शुक्रवार को एक पोस्ट साझा करते हुए लिखा-‘1857 की लड़ाई मुझे पता है, लेकिन 1947 में कौन सा युद्ध हुआ था, मुझे पता नहीं है। अगर कोई मुझे बता सकता है तो मैं अपना पद्मश्री वापस कर दूंगी और माफी भी मांगूंगी!’ फिलहाल कंगना के आजादी वाले बयान पर देश में सियासत भी गरमाई हुई है और फिलहाल ये मामला ठंडा होता हुआ नजर नहीं आ रहा है।


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