कानपुर, 05 अक्टूबर (हि.स.)। कानपुर में बतौर मंडलायुक्त के पद पर तैनात रहे उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस इफ्तिखारुद्दीन की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। इस्लाम का पाठ पढ़ाने वाले उनके वायरल वीडियो सही पाये गये हैं और सभी 77 वीडियो सरकारी आवास के ही हैं। एसआईटी एक-एक बिन्दुओं की जांच रिपोर्ट तैयार कर रही है। इसके साथ ही शाम को इफ्तिखारुद्दीन को बयान दर्ज कराने के लिए एसआईटी ने बुलाया था। हालांकि अभी यह पुष्टि नहीं हो पाई कि बयान दर्ज हुए कि नहीं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि इफ्तिखारुद्दीन पर कार्यवाही होना तय है।
उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस इफ्तिखारुद्दीन सपा सरकार में कानपुर में मंडलायुक्त के पद पर तैनात थे। कई वर्ष बाद हाल ही में उनका एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें दावा किया गया कि यह वीडियो उनके सरकारी आवास का है और तत्कालीन मंडलायुक्त रहने के दौरान वह अक्सर अपने सरकारी आवास में धार्मिक बैठकें करते हैं। वायरल वीडियो की जांच के लिए शासन ने एसआईटी का गठन कर दिया और अब तक एसआईटी ने जो भी जांच की है वह सब वायरल वीडियो से मेल खाती है।
कुल 77 वीडियो क्लिप मिली, कई में मतांतरण की हो रही बातें
एसआईटी प्रमुख जीएल मीणा ने बताया कि उनके आवास के छह लैपटापों से 77 वीडियो मिले हैं और उन्ही में से कई वीडियो की समानता वायरल वीडियो से हो रही है। बताया कि इफ्तिखारुद्दीन के खिलाफ एसआईटी को कई अहम साक्ष्य मिल गये हैं। इसी साप्ताह इस मामले में उनके बयान दर्ज कराने के बाद रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी जायेगी।
बिहार में चलता है मदरसा
कानपुर में मंडलायुक्त के पद पर तैनाती के दौरान उनके आवास पर अनजान व्यक्तियों की आवाजाही थी। ऐसा वहां के कर्मचारी बता रहे हैं। उनका यहां तक दावा है कि इफ्तिखारुद्दीन अपने पैतृक जनपद बिहार के सीवान जिले में उस समय मदरसा बनवा रहे थे। उसके निर्माण से संबंधित सामग्री कानपुर से जाती थी। संभवत: अब वह मदरसा संचालित हो रहा होगा।