जेएनयू में वामपंथी हिंसा की बरसी पर एबीवीपी ने फोटो प्रदर्शनी लगाकर जताया विरोध

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नई दिल्ली, 04 जनवरी (हि.स.)। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने सोमवार को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में वामपंथी हिंसा की बरसी पर फोटो प्रदर्शनी लगाकर विरोध प्रदर्शन किया।

जेएनयू के मुख्य द्वार पर आयोजित इस फोटो प्रदर्शनी में विश्विवद्यालय के छात्रों, शिक्षकों तथा कर्मचारियों पर पिछले साल घटित सुनियोजित वामपंथी हमले की कहानी बयां की। प्रदर्शनी में फीस आंदोलन में एबीवीपी के संघर्ष और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा छात्रों की मांगे माने जाने की पटकथा को भी स्थान दिया गया।

एबीवीपी जेएनयू अध्यक्ष शिवम चौरसिया ने बताया कि 5 जनवरी 2020 की तारीख छात्र राजनीति के इतिहास कि कभी ना भुलाई जा सकने वाली तारीख है। उस दिन सारे जेएनयू ने लाल आतंक की कहानी अपनी आंखो से देखी की किस तरह आइसा, एसएफआई, डीएएसएफ के गुंडे लाठी और रॉड से एबीवीपी समर्थकों पर हमला कर रहे थे। हमारे कई कार्यकर्ता गंभीर रूप से घायल होकर अस्पताल में भर्ती हुए। मै स्वयं भी उस हिंसा का पीड़ित छात्र हूं, मेरे गर्दन ओर हाथ में गंभीर चोट लगी। आज भी अगर उस दृश्य का कल्पना करता हूं तो शरीर में सिहरन पैदा होती है।

इकाई मंत्री गोविन्द दांगी ने कहा कि वामपंथी गुंडों ने एक योजना के तहत घटनाओं को अंजाम दिया। स्कूल में महिला प्रोफेसर को बंदी बनाना, विवेकानंद की मूर्ति पर अपशब्द लिखना हो या छात्रों को रजिस्ट्रेशन करने से रोकने के लिए सर्वर रूम को तोड़ने ओर छात्रों से मारपीट को अंजाम देना। भले ही उस घटना को एक वर्ष हो गया हो लेकिन तमाम छात्रों के दिलों में आज भी जेएनयू छात्र संघ का कुकृत्य जीवित है। आज ये प्रदर्शनी संपूर्ण छात्र समुदाय को वामपंथी इतिहास के बारे जाग्रत करने के उद्देश्य से हम सभी ने आयोजित की।

 


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