‘वैश्विक गरीबी खत्म करने के प्रयोग’ को लेकर शोध के लिए अर्थशास्त्र में भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी और उनकी पत्नी एस्थन डफलो के साथ माइकल क्रेमर नाम के अर्थशास्त्री को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। आपको बता दें कि इस पुरस्कार को जीतने वाले अभिजीत बनर्जी मूल रूप से कोलकाता के रहने वाले हैं।
21 फरवरी, 1961 को जन्मे अभिजीत बनर्जी फिलहाल मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में इकनॉमिक्स के प्रफेसर हैं। वे और उनकी पत्नी डफलो अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी ऐक्शन लैब के को-फाउंडर हैं। बनर्जी ने 1981 में कोलकाता यूनिवर्सिटी से बीएससी और 1983 में जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से एमए किया। इसके बाद उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से 1988 में पीएचडी की। उन्होंने गरीबी उन्मूलन के लिए गहन शोध किया और कई किताबें भी लिखीं। 2019 के कांग्रेस के घोषणापत्र में गरीबी उन्मूलन से जुड़ी योजनाओं का खाका तैयार करने में अभिजीत बनर्जी ने अहम भूमिका निभाई थी। अभिजीत की किताब ‘जगरनॉट’ जल्द ही आने वाली है ।
उल्लेखनीय है कि बीती 9 अक्टूबर को लिथियम-आयन बैटरी का विकास करने के लिए अमेरिका के जॉन बी. गुडइनफ, इंग्लैंड के एम. स्टैनली विटिंघम और जापान के अकीरा योशिनो को संयुक्त रूप से कैमिस्ट्री का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई थी।नोबल पुरस्कार बेहद प्रतिष्ठित अवॉर्ड है। हर साल स्वीडिश एकेडमी की तरफ से 16 पुरस्कारों का ऐलान किया जाता है।