चंडीगढ़, 11 जनवरी (हि.स.)। हरियाणा में आंदोलनरत किसानों का समर्थन करते हुए इनेलो के एकमात्र विधायक अभय चौटाला ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। अभय चौटाला ऐलनाबाद से विधायक हैं। अभय ने विधानसभा स्पीकर को लिखे अपने पत्र में कहा है कि अगर 26 जनवरी तक कृषि कानून वापस नहीं होते हैं तो 27 जनवरी से इस पत्र को इस्तीफा समझा जाए। 90 सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा में अभय चौटाला पहले ऐसे विधायक हैं जिन्होंने दो कदम आगे बढ़ाते हुए इस्तीफा दिया है।
सोमवार को हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता को लिखे पत्र में अभय चौटाला ने कहा है कि चौधरी देवीलाल ने हमेशा किसानों के लिए संघर्ष किया है। आज की परिस्थितियों में मैं उसी विरासत का रखवाला हूं। किसानों पर आए इस संकट की घड़ी में मेरा यह दायित्व है कि मैं हर संभव प्रयास करूं जिससे यह धरोहर सहजता से आने वाली पीढ़ी को सौंपी जा सके ताकि किसानों के भविष्य और अस्तित्व पर आए खतरे को टाला जा सके। भारत सरकार द्वारा असंवैधानिक व अलोकतांत्रिक तरीके से पारित किए गए आवश्यक वस्तु अधिनियम कानून 2020, मंडीकरण कानून 2020 और कांट्रैक्ट खेती कानून 2020 हैं, जिनका विरोध देशभर में हो रहा है।
अभय चौटाला ने कहा कि इन कानूनों का देशभर में व्यापक विरोध और आंदोलन को अब तक 47 से भी अधिक हो गए हैं। कड़ाके की ठंड में लाखों की संख्या में किसान दिल्ली को चारों तरफ से घेरे बैठे हैं। ठंड के कारण 60 से ज्यादा किसान शहीद हो चुके हैं। इस संबंध में सरकार द्वारा किसानों से औपचारिक वार्तालाप के आठ दौर हो चुके हैं परंतु केंद्र सरकार ने इन तीनों काले कानूनों को वापस लेने बारे अब तक कोई सहमति नहीं दर्शाई है।
केंद्र सरकार ने जिस प्रकार की परिस्थितियां बनाई हैं उन्हें देखते हुए ऐसे नहीं लगता कि विधानसभा के एक जिम्मेदार सदस्य के रूप में मैं कोई ऐसी भूमिका इन परिस्थितियों में निभा सकूं। इस समय किसानों के हित सर्वोपरि हैं। एक संवेदनहीन विधानसभा में मेरी मौजूदगी कोई महत्व नहीं रखती है। इन सभी हालातों को देखते हुए यदि भारत सरकार इन तीन काले कानूनों को 26 जनवरी 2021 तक वापस नहीं लेती है तो इस पत्र को विधानसभा से मेरा त्याग पत्र समझा जाए। अभय चौटाला का इस्तीफा अगर स्वीकार होता है तो हरियाणा में फिर से एक उपचुनाव होगा।