9 किलो की ​​​​​​बुलेट​ प्रूफ जैकेट डीआरडीओ ने बनाई

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चंडीगढ़ की लैब में हुआ परीक्षण, सभी मानकों पर खरी उतरी सैनिकों को मिलेगी राहत, भारी जैकेट से मिल सकेगा छुटकारा



नई दिल्ली, 01 अप्रैल (हि.स.)। भारत ​ने ​अपने सैनिकों को दुश्मन की गोलियों से बचाने के लिए हल्की​ ​बुलेट​ प्रूफ जैकेट ​विकसित कर ली हैं​ यह जैकेट रक्षा अनुसंधान औ​​र विकास संगठन (​डीआरडीओ​) की कानपुर​ स्थित ​प्रयोगशाला रक्षा सामग्री और भंडार अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान ने ​बनाई हैं​ विकसित की गईं इन ​​​​​​बुलेट​ प्रूफ जैकेट का वजन ​महज ​9.0 किलोग्राम है।
 
डीआरडीओ की ओर से गुरुवार को बताया गया कि इस हल्की जैकेट को तैयार करने में इस्तेमाल की गई तकनीक ने जैकेट का वजन 10.4 किलोग्राम से घटाकर नौ किलोग्राम कर दिया है। ज्यादा भारी ​​बुलेटप्रूफ जैकेट को अच्छा नहीं माना जाता, क्योंकि इसे पहनने वाला आसानी से चल या भाग नहीं पाता है। इस हल्की फ्रंट हार्ड आर्मर पैनल (एफएचएपी) जैकेट का परीक्षण टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लेबोरेटरी (टीबीआरएल), चंडीगढ़ में किया गया ​है, जो बीआईएस मानकों ​पर पूरी तरह खरी उतरी है​ ​
 
डीआरडीओ ​का मानना है कि​ सीमा पर अग्रिम मोर्चों या आतंकरोधी ऑपरेशन में तैनात सैनिकों के लिए जीवित रहने की क्षमता सुनिश्चित करते हुए आराम​देह बनाने में ​​बुलेटप्रूफ जैकेट​ का प्रत्येक ग्राम​ वजन महत्वपूर्ण ​होता ​है।​ ​इसी के मद्देनजर डीआरडीओ की प्रयोगशालाओं में बहुत विशिष्ट सामग्री और प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी विकसित की गई है।​ ​यह तकनीक मध्यम आकार ​की बुलेटप्रूफ जैकेट​ के वजन को 10.4 से घटाकर 9.0 किलोग्राम कर देती है।​ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ​और ​डीआरडीओ​ के सचिव ​डॉ​.​ जी सतेश रेड्डी ने​ सैनिकों को अधिक आरामदायक बनाने के लिए हल्के वजन वा​ली बुलेटप्रूफ जैकेट​ विकसित करने के लिए ​डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ​और डीएमएसआरडीई टीम को बधाई दी​ है​​ 
 
क्या है बुलेटप्रूफ जैकेट 
दुश्मन की ओर से चलाई गई कोई भी गोली सबसे पहले बुलेटप्रूफ जैकेट की सेरेमिक परत से जाकर टकराती है। सेरेमिक परत बहुत मजबूत होती है, इसलिए इससे टकराते ही गोली का आगे का नुकीला सिरा टुकड़ों में टूट जाता है। ऐसा होने पर गोली की पावर कम हो जाती है और वो आसानी से भेद नहीं पाती है। सेरेमिक परत से टकराने पर गोली के टूटने से बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है, जिसे बैलेस्टिक परत अवशोषित कर लेती है। ऐसा होने पर बुलेटप्रूफ जैकेट पहने हुए सैनिक को कम से कम क्षति ​पहुंचती है और इस तरह बुलेटप्रूफ जैकेट गोली के प्रभाव को कम करके सैनिक को सुरक्षित रखती है।इस जैकेट में हेलमेट, गर्दन, कोहनी और कमर के हिस्सों को जरुरत के अनुसार अलग किया जा सकता है, जैसे गश्त के दौरान जैकेट के पिछले हिस्से को हटाया जा सकता है।
 

 


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