66 साल बाद बेगूसराय के लाल बैठेगें राज्यसभा में

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बेगूसराय,15 जुलाई ।  संघ विचारक प्रोफेसर राकेश सिन्हा के राज्यसभा में मनोनयन ने कई मायनों में इतिहास रच दिया है। 66 साल बाद ऐसा मौका आया जब बेगूसराय से पुनः एक व्यक्ति का मनोनयन राज्यसभा के लिए किया गया और वह भी साहित्य के क्षेत्र से। बताते चलें कि आजादी के बाद प्रथम बार 1952 में जब सदन का निर्धारण किया जा रहा था तो राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया गया था। दिनकर जी 12 वर्षों तक राज्यसभा के सदस्य रहे, इस दौरान उन्होंने बेगूसराय, बिहार एवं साहित्य के उत्तरोत्तर वृद्धि के लिए कई बहसों में हिस्सा लिया। बेगूसराय जिला के बलिया मनसेरपुर निवासी संघ विचारक, दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक प्रोफेसर राकेश सिन्हा को महामहिम राष्ट्रपति द्वारा साहित्य के क्षेत्र से राज्यसभा के लिए मनोनीत किये जाने से उम्मीद जताया जा रहा है कि जिस तरह दिनकर जी सत्ताधारी दल का सहयोगी रहते हुए भी विकास के मुद्दे पर लगातार अपनी आवाज बुलंद करते रहे। उसी तरह प्रोफेसर राकेश सिन्हा बेगूसराय के विकास के मुद्दे पर उच्च सदन में लगातार अपनी आवाज बुलंद करते रहेंगे। दिल्ली विश्वविद्यालय से एमफिल एवं कोटा विश्वविद्यालय से पीएचडी प्रो सिन्हा जानेमाने लेखक और दिल्ली यूनिवर्सिटी में असोसिएट प्रोफेसर हैं। दिल्ली स्थित थिंक टैंक इंडिया पॉलिसी फाउंडेशन (आईपीएफ) के संस्थापक और मानद निदेशक तथा इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च के बोर्ड मेंबर हैं, तो पहले हिंदी सलाहकार समिति और फिल्म सर्टिफिकेशन अपीलेट ट्राइब्यूनल के सदस्य रह चुके प्रो सिन्हा कई अखबारों में नियमित लेख एवं टीवी चैनलों पर बीजेपी और संघ का पक्ष रखते हैं। हेडगेवार की जीवनी एवं राजनीतिक पत्रकारिता समेत कई पुस्तकों के लेखक हैं तथा केंद्रीय हिंदी संस्थान की ओर से दीनदयाल उपाध्याय अवॉर्ड भी मिल चुका है।


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