पटना, 19 दिसम्बर (हि.स.) । नए साल में बिहार में शहरी निकायों की संख्या बढ़ जाएगी। शहरीकरण के मानकों में बदलाव कर राज्य सरकार इन निकायों के गठन का रास्ता पहले ही साफ कर चुकी है। ऐसे में जल्द ही राज्य में 40 से 50 नए निकाय गठित हो सकते हैं। नए निकायों के बनने से राज्य में शहरीकरण की रफ्तार बढ़ेगी। नगर विकास एवं आवास विभाग ने नए निकायों के लिए जिलों से प्रस्ताव मांगे थे। इन प्रस्तावों की जांच की जा रही है। मानक पर खरे उतरने वाले प्रस्तावों को जल्द मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
बिहार शहरीकरण के मामले में फिलहाल काफी पीछे है। यहां शहरीकरण का आंकड़ा महज 11 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय औसत करीब 33 प्रतिशत है। नए निकायों का गठन होने पर यह आंकड़ा 15 प्रतिशत के करीब होने की उम्मीद है। राज्य में नियमों के पेच के चलते लंबे समय से शहरी निकायों का गठन नहीं हो पाया है। एकाध बार हुआ भी तो वह न्यायिक प्रक्रिया में फंस गया। ऐसे में राज्य सरकार ने शहरीकरण के मानकों में बदलाव किया है। इसी साल 6 मई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में राज्य कैबिनेट ने इन बदलावों को मंजूरी देते हुए नए निकाय गठन का रास्ता साफ कर दिया था। नगर विकास एवं आवास विभाग ने तब जिलों से प्रस्ताव भी मांग लिया था। मगर जनसंख्या निदेशालय के एक पत्र के चलते यह काम रुक गया। अब इसे फिर शुरू करते हुए विभाग ने नए सिरे से प्रस्ताव मांगा है। इन प्रस्तावों की जांच के लिए विभाग ने कई टीमें गठित की हैं। जिलों से एडीएम, डीपीआरओ, स्टेटिक अफसर सहित अन्य पदाधिकारियों को भी बारी-बारी से बुलाया गया है।
शहरीकरण के मानकों में ये बदलाव हुए
राज्य में शहरीकरण के मौजूदा मानक के अनुसार शहरी निकाय गठन के लिए कुल जनसंख्या की 75 प्रतिशत आबादी खेती पर निर्भर नहीं होनी चाहिए। जनगणना में कुल जनसंख्या का कृषि और गैर कृषि आधारित आबादी का अलग आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। नए बदलाव में अब कार्यशील जनसंख्या की 50 प्रतिशत से अधिक आबादी खेती पर निर्भर नहीं होनी चाहिए। यानि सौ में से 51 लोग खेती न करते हों। राज्य में तमाम अनुमंडल मुख्यालय ऐसे हैं, जहां विकास बहुत कम हुआ है। ऐसे 12 हजार से अधिक आबादी वाले तमाम क्षेत्रों को अब नगर पंचायत बनाने की तैयारी है। 40 हजार से अधिक आबादी वाली नगर पंचायतें अब उच्चीकृत होकर नगर पालिका परिषद बनेंगी।
कई बार सदन में उठता रहा है मामला
यह मामला बार-बार विधानसभा और विधान परिषद में उठता रहा है। तब सरकार की ओर से मंत्री कोर्ट से जुड़ा मामला बताते रहे हैं। दरअसल, पूर्व में गठित हरनौत व बिहटा नगर पंचायत के मामलों में हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी।