झारखंड : कांग्रेस व झामुमो में टूट तय, 23 अक्टूबर को भाजपा में जा सकते हैं दोनों दलों के पांच विधायक
रांची, 23अक्टूबर (हि.स.)। विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही दल-बदल का खेल जारी है। झारखंड की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने रणनीति के तहत जोरदार सेंधमारी की है। विपक्षी दलों के पांच विधायक झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के दिग्गज मांडू से विधायक जयप्रकाश भाई पटेल, झामुमो के बिशुनपुर विधायक चमरा लिंडा और झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता व बहरागोड़ा से विधायक कुणाल षाड़ंगी, कांग्रेस पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व लोहरदगा से विधायक सुखदेव भगत और कांग्रेस पार्टी से बरही विधायक मनोज यादव भाजपा की नीतियों और सिद्धांतों में आस्था जता चुके हैं। माना जाता है कि 23 अक्टूबर को आयोजित महामिलन समारोह में सभी पांच दिग्गज विधायक कांग्रेस और झामुमो को जोर का झटका देकर भाजपा के हो जायेंगे। इसी समारोह में झारखंड के पूर्व डीजीपी डीके पांडेय और पूर्व आईपीएस अधिकारी अरुण उरांव भी कमल हाथ में थामेंगे।
कांग्रेस और झामुमो के ये सभी विधायक पिछले कुछ महीने से भाजपा के संपर्क में थे। भाजपा का टिकट मिलने और मनपसंद सीट से चुनाव लड़ने की गारंटी के बाद ही इन्होंने पार्टी में शामिल होने का निर्णय लिया है। साथ ही पार्टी नेतृत्व से नाराजगी ही पाला बदलने का बड़ा कारण है। इन चारों के अलावा और कुछ नाम भी हवा में तैर रहे हैं। उनके भाजपा में शामिल होने की चर्चा जोरों पर है। इनमें नौजवान संघर्ष मोर्चा के विधायक व आय से अधिक संपत्ति मामले जेल जा चुके भानु प्रताप शाही का नाम प्रमुख है। भानु का भाजपा में शामिल होना तय है, लेकिन आय से अधिक संपत्ति मामले में जेल जाने के साथ ही सीबीआई और ईडी के मामले इसमें आड़े भी आ सकते हैं। इसके अलावा बादल पत्रलेख सहित अन्य कुछ और महत्वपूर्ण नाम भी शामिल हो सकते हैं।
सबसे दिलचस्प है कि इसी माह के पहले सप्ताह में झामुमो से भाजपा में शामिल हुए ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल की महिला शिक्षिका की हत्या के आरोपित शशिभूषण मेहता की ज्वॉइनिंग के समय हुए हंगामा और पीड़ित परिवार के साथ हुई मारपीट के बाद पार्टी के कड़े रूख के कारण भाजपा का कोई भी पदाधिकारी कुछ भी बोलने से इनकार कर रहे हैं। शशिभूषण मेहता पर सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड (रांची) के मामले में सीबीआई ने चार्जशीट भी दायर कर दी है। वह केस अब अंतिम चरण में है। उसमें गवाही चल रही है। इसमें कभी भी फैसला आ सकता है।
सुखदेव भगत से मिलने लोहरदगा पहुंचे झारखंड कांग्रेस के प्रभारी उमंग सिंघार
लोकसभा चुनाव में भितरघात की वजह से सुखदेव भगत के महज 10 हजार वोट से चुनाव में हारने के बाद से ही वे पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे थे। उनके भाजपा में जाने की सूचना से कांग्रेस महकमे में बेचैनी हो गई है । इसके बाद आज मंगलवार की दोपहर दरकती जमीन को बचाने के लिए मध्य प्रदेश के वन व पर्यावरण मंत्री और कांग्रेस के झारखंड प्रदेश सह प्रभारी उमंग सिंघार, झारखंड प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष मानस सिन्हा सहित कांग्रेस के कई दिग्गज नेता अचानक लोहरदगा पहुंच कर विधायक सुखदेव भगत से उनके आवास पर मुलाकात की। हालांकि पूरे प्रकरण पर सुखदेव भगत खामोश हैं। उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि वे अभी तक कांग्रेस में ही हैं।
झामुमो के जेपी पटेल ने लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के लिए काम किया था
जयप्रकाश भाई पटेल को लोकसभा चुनाव के दौरान झामुमो ने निष्कासित कर दिया था। इसके बाद उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन को जो करना है वह करें, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। झामुमो अब पार्टी नहीं प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है। झामुमो में केवल बाप और बेटे की ही चलती है। इसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव में खुलकर भाजपा के लिए काम किया। कई जगहों पर भाजपा का मंच भी साझा किया था।
झामुमो नेतृत्व से नाराज चल रहे थे चमरा लिंडा
चमरा लिंडा लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे। उनकी पसंदीदा सीट लोहरदगा थी। यह सीट फिलहाल भाजपा के सुदर्शन भगत के कब्जे में है। चमरा लिंडा ने आदिवासी छात्र संघ से राजनीति शुरू की। वे हेमंत सोरेन की सरकार में तेनुघाट विद्युत निगम के चेयरमैन बनाए गये थे। वे पूर्व में भी झारखंड मुक्ति मोर्चा को झटका दे चुके हैं। झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन के पुत्र वसंत सोरेन जब राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी थे तो नाटकीय घटनाक्रम में वे गायब हो गये थे। इस चुनाव में वसंत को हार का सामना करना पड़ा था।
कुणाल षाड़ंगी का बैकग्राउंड शुरू से भाजपा से जुड़ा रहा है
झामुमो कुणाल षाडंगी का बैकग्राउंड शुरू से ही भाजपा का रहा है। बहरागोड़ा सीट पर 2005 में उनके पिता दिनेश कुमार षाड़ंगी भाजपा से विधायक रह चुके हैं। 2009 में विद्युत वरण महतो ने झामुमो से जीत दर्ज की थी, लेकिन 2014 में दिनेश षाड़ंगी के पुत्र कुणाल षाड़ंगी ने झामुमो के कोटे से जीत दर्ज की। 2014 में बीजेपी प्रत्याशी डॉ. दिनेशानंद गोस्वामी ने भी यहां से चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत दर्ज नहीं कर पाए।
मनोज यादव थे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के दावेदार, अब मोदी पर भरोसा
मनोज यादव कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद के बड़े दावेदार थे, लेकिन जब उन्हें निराशा हाथ लगी तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा जता दिया। मनोज फिलहाल बरही विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में विपक्षी महागठबंधन दो फाड़ हो गया था। महागठबंधन के तहत चतरा में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस में फ्रेंडली फाइट हुई थी, लेकिन भाजपा उम्मीदवार ने भारी बहुमत से हरा दिया था।