आपातकाल के 44 सालःइन्दिरा सरकार के खिलाफ बोलने वालों के नाखून तक उखाड़ दिये गए

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हमीरपुर में संघ और भारतीय जनसंघ से जुड़े तमाम नेताओं समेत 81 लोग भेजे गये थे जेल- इन्दिरा गांधी के खिलाफ शहर से लेकर गांव-गांव तक आम लोगों में भड़का था आक्रोश 



हमीरपुर, 22 जून (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में आपातकाल की चर्चा होते ही यहां लोकतंत्र सेनानियों का दिल कांप उठता है। कई सेनानियों ने आजाद भारत में इन्दिरा गांधी ने आम लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी पहरा लगाकर यातनायें देकर अंग्रेजों को भी पीछे छोड़ दिया था। आपात काल के दौरान यहां पुलिस ने इन्दिरा गांधी की सरकार के खिलाफ कुछ बोलने वालों के नाखून तक उखाड़ दिये थे। इमरजेंसी के खिलाफ हल्ला बोलने पर एक स्नातक छात्र को गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे कर किया गया था।
देश में कई दशकों तक कांग्रेस ने राज किया था। इन्दिरा गांधी, वर्ष 1971 के आम चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री बनी थीं। तब विपक्ष को कुचलने के लिये उन्होंने वर्ष 1975 में पूरे देश में इमरजेंसी लगा दी थी। इमरजेंसी के दौरान आम लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर ही पहरा लगा दिया गया था। सरकार का विरोध करने वालों को यातनायें दी गयीं। हमीरपुर जिले में इमरजेंसी के खिलाफ विरोध करने वाले 81 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था। हमीरपुर शहर के ही शिक्षक रघुराज सिंह, शिक्षक राजकुमार सचान के अलावा अमर सिंह, रामसनेही दीक्षित, पूर्व विधायक ओंकारनाथ दुबे, विशम्भर नाथ निगम ,भवानी सिंह, निर्भय सिंह, आनंदी पालीवाल आदि इमरजेंसी के दौरान जेल में बंद रहे थे। इनमें कई लोग अब इस दुनिया में नहीं रहे।  करीब एक साल बाद सभी लोग जेल से रिहा किये गये तो कई लोगों पर मीसा भी लगाया गया था। इमरजेंसी के कारण ही इन्दिरा गांधी वर्ष 1977 के आम चुनाव में सत्ता से बाहर हो गयी थीं। उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में आपातकाल में जेल जाने वालों को लोकतंत्र सेनानी का दर्जा दिया था। उन्हें हर माह बीस हजार रुपये की सम्मान राशि दी जा रही है।
इमरजेंसी का विरोध करने पर छात्र को मिली थी जेल
हमीरपुर नगर के किंग रोड मुहाल निवासी मेहेरनाथ निगम ने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ से बातचीत में कहा कि आपातकाल के दौर में हर व्यक्ति की स्वतंत्रता पर पहरा था। आपातकाल का दर्द सुनाते हुए उन्होंने बताया कि बीए. प्रथम वर्ष की पढ़ाई के दौरान उन्हें हमीरपुर सदर के तत्कालीन कोतवाल गौहर ने डिग्री कालेज से बुलवाकर स्कूल के गेट से अपने साथ ले गये थे और कोतवाली के लॉकअप में डाल दिया था। उन पर बिजली की लाइन और टेलीफोन के तार काटने के आरोप लगाये गये थे। कोतवाली में उनके साथ मदन राजपूत, बृजराज यादव, वीरेन्द्र यादव समेत अन्य लोगों पर भी इमरजेंसी का विरोध करने पर कार्यवाही की गयी थी। सभी को जेल भेजा गया था। जेल की बैरक में सभी को रखा गया था। उन्होंने बताया कि जेल में हमीरपुर नगर के ही रघुराज सिंह अध्यापक, चन्द्रशेखर सचान, सतीश चन्द्र शर्मा, राजकुमार सचान समेत बड़ी संख्या में लोगों को बैरक में रखा गया था। मीसा में पकड़े गये तमाम लोगों को हमीरपुर कारागार में अलग बैरक में रखा गया था।
इमरजेंसी में विरोध करने वालों के उखाड़े गये थे नाखून
हमीरपुर नगर के लोकतंत्र सेनानी मेहेर नाथ निगम ने बताया कि इमरजेंसी के दौरान सड़क पर नारेबाजी कर विरोध करने वालों को पुलिस ने गिरफ्तार कर उन्हें शारीरिक यातनायें दी थीं। इमरजेंसी का विरोध करने वालों के नाखून उखाड़ दिए गए। उन्होंने बताया कि कई लोग जेल भेजे गये थे, तब पुलिस की ज्यादती बताकर लोग रोये थे। उन्होंने बताया कि जेल के अंदर किसी को भी यातनायें नहीं दी गयी थीं लेकिन जेल भेजने से पहले सरकार के इशारे पर लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को रौंदा गया था। मेहेर नाथ निगम ने बताया कि विद्यामंदिर इण्टर कालेज हमीरपुर के पूर्व प्रधानाचार्य जगदेव प्रसाद विद्यार्थी व सुखनंदन को इमरजेंसी में गिरफ्तार कर जेल में रखा गया था।  बाद में फतेहगढ़ जेल भेजा जा रहा था। तभी जेल के बाहर मेहेरनाथ निगम ने बड़ी संख्या में लोगों के साथ पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की थी। सरकार के सड़कों पर विरोध प्रदर्शन के बाद कई लोगों के  साथ उन्हें एक साल तक जेल में रखा गया था। बाद में सभी लोगों को बिना जमानत के ही रिहा कर दिया गया था।
एक गांव में ही इमरजेंसी का विरोध कर बने 12 लोकतंत्र सेनानी
हमीरपुर जिले के मौदहा तहसील क्षेत्र में सर्वाधिक 43 लोगों ने इमरजेंसी के दौरान सरकार का विरोध कर सड़कों पर हंगामा किया था, जिन्हें कई दशक बाद लोकतंत्र सेनानी का दर्जा दिया गया। इस क्षेत्र के खड़ेहीलोधन गांव निवासी हरीसिंह पुत्र हरचरन, नाथूराम पुत्र शिवचरन, फूलसिंह पुत्र राजाराम, महिपाल सिंह पुत्र जय सिंह, लखनलाल पुत्र अच्छेलाल, छत्रपाल सिंह पुत्र भगवानदास, टीकाराम पुत्र तुलाराम, महेश्वरी सिंह पुत्र चेतराम, भानुप्रताप पुत्र बाबूराम तिवारी, श्याम बाबू पुत्र शारदा प्रसाद व स्व.कुंवर बहादुर आदि इमरजेंसी के दौरान गिरफ्तार कर जेल भेजे गये थे। मौदहा कस्बे के सलाउद्दीन भी इमरजेंसी में जेल की सलाखों में बंद किये गये थे। कस्बे के ही देवीप्रसाद गुप्ता, विजय पाण्डेय पुत्र मान बहादुर पाण्डेय ने भी आपातकाल में जेल की सजा काटी है। यहां की जेल में हमीरपुर के 28, मौदहा के 43, राठ के 8 लोकतंत्र सेनानी समेत 81 जेल में बंद हुये थे। इनमें सात आश्रित लोकतंत्र सेनानी की सम्मान राशि प्राप्त कर रहे है।
इमरजेंसी के दौरान लोगों की जबरदस्ती की गयी थी नसबंदी
यहां के वरिष्ठ समाजसेवी बाबूराम प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि इन्दिरा गांधी ने पहले इमरजेंसी लगाकर विरोधियों पर अत्याचार कराया फिर नसबंदी अभियान चलवाकर लोगों की जबरदस्ती नसबंदी की गयी। उन्होंने बताया कि इमरजेंसी के दौरान यूपी सरकार में रहे कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद का विरोध करने पर यहां कांग्रेसियों ने विपक्ष दलों के लोगों के खिलाफ कार्रवाई करायी थी। खासकर भाजपा और संघ से जुड़े लोगों में अमर सिंह, विजय कुमार पाण्डे, लक्ष्मीनारायण, देवी प्रसाद, रघुराज सिंह व यतीश चन्द्र सहित तमाम लोगों को जबरन जेल में बंद किया गया था। उन्होंने बताया कि नसबंदी अभियान में खेतों और खलिहानों से लोगों को पकड़कर जबरदस्ती उनकी नसबंदी की गयी थी। पूरे जिले में हाहाकार मचा था। ललपुरा क्षेत्र के कलौलीजार गांव में ही रामदीन वर्मा को खेत से पकड़कर अस्पताल ले जाकर नसबंदी की गयी थी। उन्होंने बताया कि इमरजेंसी का स्मरण करते ही आज भी रूह कांप उठती है।

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